नई दिल्ली:
निर्भया गैंगरेप के बाद से पूरे देश में गैंगरेप के खिलाफ मुहीम देखी गई. उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुए कथित गैंगरेप को लेकर एक बार फिर पूरे देश में रेप की राजनीति चरम पर है. अगर एक रेप पर देश का माहौल इतना गर्म हो जाता है तो फिर आज से लगभग 28 साल पहले हुए देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल पर कोई क्यों नहीं बोलता है. इस बलात्कार कांड में एक-दो या दस-बीस नहीं बल्कि सैकड़ों लड़कियां रेप का शिकार बनीं थीं जिनमें से महज दो लड़कियां ही सामने आकर अपराधियों के खिलाफ खड़ी हो सकीं. इसके बावजूद इन अपराधियों को अभी तक कोई सजा नहीं हो पाई है. आपको बता दें कि ये लड़कियां कोई साधारण लड़कियां नहीं थीं इनमें से आईएस, आईपीएस की बेटियां भी शामिल थीं.
राजस्थान के अजमेर में रेप करने वाले एक गैंग ने सैकड़ों हिन्दू लड़कियों को अपने फार्म हाउस में बुलाकर अपनी हवस का शिकार बनाया था. मामला साल 1992 का है जब अजमेर के एक प्रतिष्ठित गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को एक गैंग ने फार्महाउस पर बुलाकर रेप करता रहा इस दौरान इनके घरवालों को इस बात की भनक तक नहीं लगी. तो चलिए आपको बता दें कि ये सब कैसे हुआ. इस जघन्य अपराध को अंजाम देने के लिए आरोपियों ने पीड़िताओं की अश्लील तस्वीरों से उन्हें ब्लैकमेल कर इस घटना को अंजाम दिया. पहले एक लड़की इस गैंग की दरिंदगी का शिकार बनी, फिर दूसरी और ऐसे करके सैकड़ों लड़कियों को इस गैंग ने अपना शिकार बनाया. आपको बता दें कि गैंगरेप की शिकार ये लड़कियां किसी गरीब या मिडिल क्लास घरों से नहीं थी, ये अजमेर के जाने-माने घरों से आने वाली बच्चियां थीं.
एक के बाद एक करके गैंगरेप के आरोपी बनाते रहे चेन
जब इस गैंगरेप के बारे में तत्कालीन अधिकारियों से सवाल किए गए तो उनके जवाब थे कि, पता तो पहले से था लेकिन कम्युनल टेंशन ना हो जाये कोई कदम नहीं उठाया गया. आपको बता दें कि देश के सबसे बड़ा बलात्कार कांड का सबसे ज्यादा घिनौना सच तो ये है कि अभी तक वो गैंग जिसने सैकड़ों लड़कियों से हैवानियत का खेल खेला वो अब भी खुला घूम रहा है. साल 1992 में एक प्रतिष्ठित गर्ल्स स्कूल अजमेर की सैकड़ों हिन्दू लड़कियों को लव जेहाद के मुताबिक प्रेमजाल में फंसा कर सामूहिक बलात्कार किया गया. जिसके बाद इस गैंग ने एक चेन बना ली कि जिस लड़की को अपनी अश्लील तस्वीरों को फैलने से रोकना है वो एक और अपनी सहेली, बहन या फिर भाभी किसी को भी इन दरिंदों को लाकर सौंपे इन सब के दौरान हर एक लड़की की न्यूड तस्वीरें लीं गईं जिनके द्वारा ये गैंग उन्हें ब्लैकमेल कर उनका शोषण करता रहा.
एक के बाद एक हिन्दू लड़कियों को लव जेहाद में फंसाया
इस प्रतिष्ठित गर्ल्स स्कूल की एक हिन्दू लड़की को प्रेमजाल में फंसाया और एक दिन उसे फार्म हाउस पर ले जा कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार करके, उसकी न्यूड तस्वीरें लीं और उन्हीं तस्वीरों से उसे ब्लैकमेल कर उस लड़की की सहेलियों को भी लाने को कहा. जिसके बाद तो इस घटना को लेकर चेन बनती गई. अब इस गैंग द्वारा सामूहिक बलात्कार की गई लड़की को एक नई लड़की लाने की जिम्मेदारी दी जाती थी वो चाहे अपनी सेहली या फिर अपनी बहन या दूसरी रिश्तेदार को यहां पर ले आती और फिर ये काम उस नई शिकार को दे दिया जाता था.
रील धुलने वाले स्टूडियो के लोग भी थे गैंगरेप में शामिल
आपको बता दें कि साल 1992 में आज की तरह डिजिटल और मोबाइल कैमरे नहीं होते थे उस समय तो रील वाले कैमरे होते थे. जब इन कैमरों की रील धुलाई के लिए स्टूडियो में भेजी जाती थी तो रील धुलने वाले लोग एक्स्ट्रा कॉपी निकाल कर अलग से उन शिकार लड़कियों का शोषण करते थे. बताया तो ये भी जाता है कि स्कूल की इन लड़कियों के साथ रेप करने में नेता और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे. ये चेन लगातार बढ़ती गई है और देखते ही देखते ब्लैकमेलर्स की संख्या 18 तक पहुंच गई, जबकि रेप करने वाले गैंग में इसके तीन गुना लोग शामिल थे जिसमें फोटो लैब के मालिक के साथ-साथ लैब टेक्नीशियन भी शामिल थे. इस गैंग के लोग खुद तो बलात्कार करते ही थे साथ ही ये अपने जानने वालों को भी इन लड़कियों को परोसते थे.
देश का सबसे बड़ा सेक्स स्कैंडल
जब इस बात का खुलासा हुआ तो हंगामा हो गया. इसे भारत का अब तक का सबसे बडा सेक्स स्कैंडल माना गया. इस केस ने बड़ी-बड़ी कोंट्रोवर्सीज की आग को हवा दी लेकिन जो भी इस केस में लड़ने के लिए आगे आता, उसे धमका कर बैठा दिया जाता था. तत्कालीन अधिकारियों ने, सांप्रदायिक तनाव न हो जाये, इस बात का हवाला दे कर आरोपियों को बचाया. रसूखदार आरोपियों के आगे जुबान खोलने की किसी की हिम्मत नहीं थी उनका खौफ इतना था कि कई लड़कियों ने आत्महत्या तक कर ली थी, लेकिन उनके खिलाफ जुबान नहीं खोली. एक ही कॉलेज की एक ही उम्र की नाबालिग लड़कियों के अचानक सुसाइड की खबरों ने लोगों को चौंकाया जरूर लेकिन किसी ने भी इस मामले की जांच के लिए आवाज नहीं उठाई. जिन लोगों को इसके बारे में जानकारी भी थी वो भी लड़कियों की बजाए आरोपियों की वकालत करने में जुटे थे.
तब मीडिया नहीं था इतना शक्तिशाली, सोशल मीडिया भी नहीं था
आपको बता दें कि ये वो दौर था जब मीडिया इतना शक्तिशाली नहीं था और सोशल मीडिया का उदय नहीं हुआ था इसके अलावा लोग ऐसे मामलों में घरों की बच्चियों को बदनामी के डर से चुप्पी साधने को बोल देते थे. ये वो खबरें थीं जिन्हें तत्काली सरकार ने वोटबैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के लिए दबा दिया था. इस जघन्य अपराध के मामले में पुलिस के कुछ अधिकारियों और इक्का दुक्का महिला संगठनों की कोशिशों के बावजूद भी पीड़ित लड़कियों के परिवार सामने नहीं आ रहे थे. इस गैंग में शामिल लोगों के तत्काली सत्ताधारी नेताओं और खूंखार अपराधियों तथा उनके चिश्तियों से संबंध होने की वजह से लोगों ने अपना मुंह नहीं खोला.
एनजीओ ने मामले की छानबीन कर केस फाइल करवाया
काफी समय बाद एक गैर सरकारी संगठन ने फोटो और वीडियो के जरिए जब लगभग तीस लड़कियों की पहचान कर ली तब उनसे जाकर इस मामले को उठाने के लिए मांग की और केस फाइल करने को कहा, लेकिन सामाजिक बदनामी के डर से कोई भी आगे आने को तैयार नहीं हुआ. कुल 12 लड़कियां केस फाइल करने को तैयार हो गईं लेकिन धमकियों की वजह से इनमें से भी 10 लड़कियों ने अपने नाम वापस ले लिए. अब बचीं सिर्फ दो लड़कियों ने हिम्मत बरकरार रखते हुए इस मामले में आगे बढ़ीं और केस फाइल कर दिया.
दो बहादुर लड़कियों ने की 16 आरोपियों की शिनाख्त
इन दोनों बहादुर लड़कियों ने सोलह आदमियों की शिनाख्त की जिसमें से ग्यारह लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिला कोर्ट ने इनमें से आठ लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई. इसी बीच मुख्य आरोपियों में से एक ने अपना मानसिक संतुलन ठीक नहीं का सर्टिफिकेट पेश कर फांसी की सजा से बचा कर महज 10 साल की सजा दी गई. आपको बता दें कि कुल मिलाकर अजमेर के इस जघन्य बलात्कार कांड में से अभी तक कोई भी मुख्य आरोपी अभी तक जेल में नहीं है बाकी आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक बलात्कार की सजा अगर 10 साल हुई है तो सैकड़ों बलात्कार की कितनी सजा होनी चाहिए.