बांधों का कमीशन से लेकर ट्रांसफर के रेट तय हैं जल संसाधन विभाग में*
*विजया पाठक,
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मंत्रियों ने मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार का रंग दिखाना शुरू कर दिया है। सिंधिया के मंत्रियों के काले कारनामों की परतें खुलना शुरू हो गई हैं। प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने पूरे विभाग को भ्रष्टाचार रूपी दीमक से खोखला कर दिया है। वर्ष 2018 से जल संसाधन विभाग हमेशा से हैवीवेट मंत्रालय रहा है, भाजपा का दामन थामने के साथ ही सिंधिया ने सबसे पहले इसी विभाग में अपने मंत्री बैठाने की शर्त रखी थी। सिंधिया की यह जिद इसीलिए भी थी क्योंकि वो इस विभाग के माध्यम से करोड़ों रूपए के भ्रष्टाचार के खेल को अंजाम देने की चाह रखते थे।
प्रदेश के 70% प्रतिशत ग्रामीण आबादी को डायरेक्ट इंपैक्ट करता है। पिछले 04 वर्षो से जो रिकॉर्ड भ्रष्टाचार इस विभाग में हुआ उसका एक उदाहरण भर है कारम बांध। सूत्रों के मुताबिक कारम बांध में हुए भ्रष्टाचार में करीब 30% तक रिश्वत बांटी गई। आज जल संसाधन विभाग में हर पोस्टिंग बिकती है, जिसका सीधा हिसाब तुलसी सिलावट रखते हैं। इसके साथ ही मंत्री सिलावट के खास और मंत्री के ओएसडी जीवन एस रजक पूरे फर्जीवाड़े में सहयोग करते हैं। रजक मंत्री के काले कारनामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मंत्री जी ने एक ग्रुप बना रखा है, जो विभाग के अधिकारी पर पैनी नजर रखता है। तुलसी सिलावट की कृपा के कारण विभाग के ईएनसी पद को चालीस दिन तक खाली रखा गया और बाद में रिटायर्ड ईएनसी डावर को पद पर एक्सटेंशन दिया गया। वैसे ईएनसी महोदय भी मंत्री के करीबी लोगों में शामिल है। जब वो इंदौर में चीफ इंजीनियर थे तब मालवा के 45 विधायकों ने इनके पक्ष में लिखकर दिया था। भोपाल में सहायक अभियंता के लिए 05 लाख तक रिश्वत ली जाती है। बाकी बात कार्यपालक अभियंता, मुख्य अभियंता के लिए कितने पैसे लिए जाते होंगे उसका अंदाजा लगाया ही जा सकता है। उदाहरण के तौर पर चंबल संभाग के मुख्य अभियंता आर सी झा है। क्षेत्र की जीवनदायनी चंबल कैनाल से पूरे चंबल संभाग में सिंचाई होती है, जो श्योपुर के पास कोटा बैराज में पार्वती एक्वाडक्ट से शुरू होती है। यह चंबल राइट मेन कैनाल संबलगढ़ तक आती है और वहां से यह दो भागों में बंट जाती है और भिंड जिले तक जाती है। इस 30 मीटर चौड़ी कैनाल सिस्टम से चंबल के गांव गांव में सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
पिछले साल की बाढ़ में इसका स्ट्रक्चर खराब हुआ था जिसकी मरम्मत 4-5 करोड़ तक हो जाना चाहिए था पर इस कार्य के लिए 50-60 करोड़ का एस्टीमेट तैयार किया गया और काम भी चालू करवा दिया गया है। इस घोटाले की जांच की जाए तो पूरा सच सामने आ जाएगा। इस समय पूरे विभाग की दुर्दशा के पीछे मंत्री तुलसी सिलावट ही जिम्मेदार है। कमीशन बाज़ी से लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग कहीं भी मंत्री जी बिना पैसे के किसी को नहीं छोड़ते हैं। प्रदेश का कारव बांध हो, धार का खेड़ी बांध, पिछले वर्ष बहे 35 करोड़ के पुल पुलिया, राजघाट बांध में हुई गड़बड़ियां और भी अन्य में सब में मंत्री तुलसी सिलावट के काले कारनामे सामने आ रहे हैं। इस बार इंद्र देवता की कृपा से विभाग की गुणवत्ता का स्तर सामने आ गए हैं। इस बरसात में ना जाने कितने स्टॉप बांध टूट गए। टीकमगढ़ में 41 करोड़ की लागत वाली हरपुरा नहर भी टूट गई जिसे भी कारम बांध वाली सारथी ग्रुप ने बनाया था। वैसे सूत्रों के मुताबिक सारथी ग्रुप ने हो सारथी बनकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिरवाई थी। ठेकेदारों से इतना पैसे खींचा जा रहा है तो वो गुणवत्ता वाले कार्य कैसे कर सकता है। कारम बांध के रेस्टोरेशन के दौरान मंत्री जी मानो पिकनिक मनाने गए थे। ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने से क्या होगा। जब आपने पहले से ही कमीशन और अधिकारी की ट्रांसफर पोस्टिंग में मोटा पैसा ले लिया हो। प्रदेश या केंद्र की कोई एजेंसी गलती से भी तुलसी सिलावट की जांच कर बैठे तो वो देश की प्रमुख भ्रष्टाचार वाली हेडलाइन बनेगी। भ्रष्टाचार तो एक बात है मंत्री तुलसी सिलावट कि प्रदेश को लेकर असंवेदनशीलता भी कम नहीं है।
एक तरफ प्रदेश में हो रही बेतहाशा बारिश से आमजन परेशान हैं। वही मंत्री तुलसी सिलावट अपने आका ज्योतिरादित्य सिंधिया के आओ भगत में व्यस्त है। यही नही सिंधिया खुद व्यक्तिगत रूप से सिंधिया के लिए भजिए पकोड़ों का प्रबंध कर रहे हैं। जबकि तुलसी सिलावट को आपदा के इस समय पर प्रदेश में एक कंट्रोल रूम स्थापित करके बारिश पर नजर रखना चाहिए। ताकि समय रहते आमजन को परेशानी से बचाया जा सके। सोचने वाली बात यह है कि सिंधिया और सिलावट की इस जुगलबंदी पर अब तक प्रदेश भाजपा कैसे चुप्पी साधे हुए हैं। अगर सिलावट का यही रवैया रहा तो वो दिन दूर नही जब प्रदेश भाजपा सिंधिया समर्थित मंत्रियों के कारनामों के चलते गर्त में चली जायेगी।