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दलितों की नृशंसतम् हत्या बनाम आरएसएस का उग्र हिंदुत्व

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Nirmal Kumar Sharma - YouTube

निर्मल कुमार शर्मा,

अभी पिछले दिनों 15 मार्च की घटना है,जिसमें राजस्थान के पाली जिले के बारवा गांव के निवासी एक युवक जितेन्द्र पाल मेघवाल बाली नामक जगह पर एक अस्पताल में कोशिश हेल्थ सेंटर हेल्थ सहायक के रूप में कार्यरत थे,वे बाली कस्बे के सेसली सड़क पर अपने एक साथी के साथ अपनी ड्यूटी करके मोटरसाइकिल से लगभग सवा तीन बजे अपने घर लौट रहे थे,तभी चुपचाप उनका पीछा करते हुए दो उग्र जातिवादी, आतंकवादी गुंडे जिनमें एक का नाम सूरज सिंह राजपुरोहित और दूसरे का रमेश सिंह बताया जा रहा है, मोटरसाइकिल से तेज़ी से आए ..और जितेन्द्र पाल मेघवाल के पीठ में तेज चाकू से ताबड़तोड हमला करते हुए उनको अत्यंत गंभीर रूप से घायल कर दिए,हत्यारोपियों द्वारा यह हमला इतनी तेजी और प्राणांतक तरीके से की गई कि जितेन्द्र पाल मेघवाल को संभलने का मौका तक नहीं मिल पाया ! वे मोटरसाइकिल से नीचे लुढ़क गए ! लेकिन हतप्रभ करनेवाली बात यह है कि मौत के मुंह में जाते और मूर्छित होकर मोटरसाइकिल से गिरते जितेन्द्र पाल मेघवाल को जातिवादी गुंडे उस अवस्था में भी तेज धारदार चाकू से लगातार वार करने का सिलसिला जारी रखे हुए थे ! जब तक वे मौत के मुंह में नहीं चले गए !*


भारतीय समाज के कुछ बहुत ही प्रबुद्ध और जागरूक लोगों का कथन है कि आज से 15-20 सालों पूर्व जातिवादी वैमनस्यता से ग्रसित जातिवादी आतंकवादियों द्वारा दलितों पर अक्सर ऐसे जानलेवा हमले नहीं होते थे,छोटी-मोटी मार-पीट और लाली-गलौज की घटनाएं होती रहतीं थीं,इसका कारण यह है कि उस समय दलित समुदाय की हालत उस बहुत ही दयनीय,दीन-हीन और ग़रीबी से अभिशापित थी,युगों-युगों से हिन्दू समाज से पददलित, त्याज्य दलितों की यह दयनीय स्थिति कथित उच्च जाति के गुर्गों और गुंडों को मानसिक तृप्ति और शीतलता प्रदान करती थी ! लेकिन बाबा भीमराव अंबेडकर द्वारा संविधान में प्रदत्त आरक्षण के संवैधानिक मौलिक अधिकारों से पिछले 20-25 सालों से दलितों,अल्पसंख्यकों और पिछड़ी जातियों की सरकारी नौकरी लगने से उनकी आर्थिक स्थिति कुछ बेहतर और सुदृढ़ हुई है,जिससे आज उनकी रहन-सहन,खान-पान,पहनावे आदि में गुणात्मक सुधार हुआ है,अब हजारों साल से दीन-हीन,फटेहाल दलितों के लड़के भी साफ-सुथरे कपड़े पहनने लगे हैं,अच्छा खाना खाना,बढ़िया मकानमें रहना,अच्छे स्कूलों में पढ़कर फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना, आईएएस में सेलेक्ट होकर कलेक्टर सहित बड़ी नौकरियों में आ जाना, मोटरसाइकिल और कारों से अपने कार्यालय,बाजार आदि जगहों पर जाना ! उनमें भी ठाट-बाट से रहने की,उसके प्रदर्शन करने की जीजिविषा जाग खड़ी हुई है,परन्तु दलितों के इस उत्थान को भारत में हजारों सालों से कथित ऋषि मनु द्वारा रचित मनुस्मृति में कुटिल जातिवादी वैमनस्यता की उपज और जातिवादी रूपी कोढ़ व्यवस्था का जन्मजात लाभ उठाने वाले तथाकथित उच्च जातियों के संकीर्ण मानसिकता के जातिवादी वैमनस्यता पाले गुंडों और असामाजिक तत्वों को यह बात बिल्कुल गले नहीं उतर पा रही है !
इसे हम एक अन्य उदाहरण से ठीक से समझ सकते हैं ‘संयुक्त राज्य अमरीका में भी काले-गोरे का रंगभेद सदियों तक अपने चरम पर था, परन्तु कुछ कमजोर होने के बावजूद आज भी वहां बाकायदा बरकरार है,लेकिन वर्ष 1863में 1जनवरी को अमेरिका के कालातीत मानवीय महान राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने संयुक्त राज्य अमरीका से मानवीय कलंक दासता को सदा के लिए समाप्त कर दिए,अब अफ्रीकी मूल के हब्शी और नीग्रो जैसे काले लोग भी यूरोपीयन मूल के गोरों से नागरिकता के मामले में बराबरी के स्तर पर आ गए,लेकिन सदियों से कथित श्रेष्ठ नस्ल की मानसिकता की ग्रंथि से ग्रसित बहुत से गोरों के दिलोदिमाग से अब्राहम लिंकन की यह दासता उन्मूलन का कानून उतरा ही नहीं है ! दासता उन्मूलन की वजह से समान अधिकार प्राप्त काले लोगों में आई सम्पन्नता की वजह से अब अमेरिका के भीड़भरे चौराहों पर गोरे नस्लवादी मानसिकता से ग्रस्त गुंडों द्वारा काले लोगों पर जानलेवा हमले होने लगे हैं ! ठीक यही स्थिति भारत में आजकल हो रही है ! ‘
पाली जिले में जातिवादी आतंकवादियों द्वारा मारे गये दिवंगत मृतक श्री जितेन्द्र पाल मेघवाल के एक मित्र ने भी उक्त वर्णित बातों को परिपुष्ट करते हुए मिडिया को बताया है कि ‘जितेन्द्रपाल मेघवाल के शानदार तरीके से जीवन जीना,उनके शानदार तरीके से कड़कती मूंछ रखना,उसे शानदार तरीके से ऐंठते हुए अपने उसी शानदार रूपवाले फोटो को सोशल मिडिया पर अपलोड करना अपकृति सांस्कृतिक सोचवाले, जातिवादी वैमनस्यता से ग्रसित विकृत मानसिकता वाले गुंडों और आतंकवादियों को बिल्कुल रास नहीं आ रहा था ‘
इसी सोच के चलते जातिवादी गुंडे उनसे अक्सर मारपीट करते रहते थे ! हत्यारोपियों ने पूर्व में भी जितेन्द्र पाल मेघवाल से एकबार भयंकर मारपीट किए थे,उस झगड़े के बाद मुकदमेबाजी भी हुई थी उस घटना में पुलिस के डर से हत्यारोपी भागकर राजस्थान छोड़कर 800किलोमीटर दूर गुजरात के सूरत शहर में रहने लगे थे,लेकिन उनके दिलोदिमाग में दलित जाति के जितेन्द्र पाल मेघवाल के प्रति प्रतिशोध लेने की जातिवादी भावनाएं बरकार रहीं,वे कुछ दिन बिताने के बाद गुजरात के सूरत से आकर जितेन्द्र पाल मेघवाल की अब इसी 15 मार्च 2022को सुनियोजित तरीके से निर्मम हत्या कर दिए !
अब आइए मोदीराज में दलितों पर कथित उच्च जातियों के हमले के कुछ आंकड़े भारत सरकार के ही एक संस्थान राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर दृष्टिपात करें । वर्ष 2019 में दलितों पर हिंसा के मामले में वर्ष 2018 की तुलना में 7.3प्रतिशत की वृद्धि हुई है,जहां 2018 में दलितों के खिलाफ हिंसा के 42793 मामले दर्ज हुए,वहीं वर्ष 2019 में उनके खिलाफ 45935 मामले दर्ज किए गए ! इसी प्रकार अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ कथित उच्च जातियों के अत्याचार के मामले में वर्ष 2018 के मुकाबले वर्ष 2019में 26.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई उदाहरणार्थ वर्ष 2018 में उनके साथ 6528 अपराधिक मामले दर्ज किए गए,वहीं 2019में उनके खिलाफ 8257मामले दर्ज हुए !वैसे सामाजिक विशेषज्ञों के अनुसार राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े भी बिल्कुल सही नहीं होते,क्योंकि भारत के जातिवादी वैमनस्यता और क्रूरता से भरे समाज में पुलिस,प्रशासन, न्यायालयों आदि में सब जगह कथित रूप से उच्च जातियों का ही वर्चस्व है,इसलिए दबे-कुचले, गरीब,असहाय,अशिक्षित दलित समुदाय के खिलाफ हुए बहुत से अपराधिक मामलों को स्थानीय स्तर पर ही दबा दिया जाता है !
यह भी उल्लेखनीय है कि अपराध के मामले में लगभग सभी बीजेपी शासित राज्य टाप पर हैं,विडंम्बना देखिए जहां जम्मू कश्मीर,त्रिपुरा, नागालैंड,मिज़ोरम,मेघालय आदि राज्य दलितों से अपराधिक मामलों के संबंध में बिल्कुल निरापद राज्य हैं,वहां दलितों के खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं है ! वहीं दलितों के खिलाफ अपराधिक मामलों में एक मंदिर के मठाधीश कथित योगी मुख्यमंत्री द्वारा शासित उत्तर प्रदेश राज्य कथित उच्च जातियों द्वारा दलित समुदाय से उत्पीड़न के मामले में देश भर में टाप पर है ! यह भी उल्लेखनीय है कि गैर बीजेपी शासित दक्षिण के लगभग सभी राज्य दलितों के उत्पीड़न के मामले में बिल्कुल स्वच्छ छवि वाले हैं !
कुछ प्रबुद्ध व मानवीय सोचवाले समाजशास्त्रियों के अनुसार ‘भारत में कानून तो बहुत हैं लेकिन उनके क्रियान्वयन में बहुत कमी है ! भारत में सामाजिक कोढ़ रूपी जाति की ऐसी दुरूह व्यवस्था अभी भी बनी हुई है जिसकी वजह से कथित उच्च जातियां अभी भी दलितों को बराबरी का दर्जा देने की बात तो छोड़िए,उन्हें अभी भी मनुष्य तक मानने को तैयार नहीं हैं ! यहां भारतीय न्याय व्यवस्था भी ऐसी है,जिसमें एक निर्धन,दलित समुदाय न्याय पा ही नहीं सकता ! भारतीय समाज की विडंबना यह भी है कि पिछले हजारों साल से एक जाति विशेष का ही शिक्षा पर विशेषाधिकार रहा है ! पिछले लगभग 3 हजार सालों से भारतीय समाज के कुछ बहुत ही धूर्त और कुटिल वर्ग की साजिश से भारतीय मेहनतकश वर्ग को कुटिलता पूर्वक शूद्रों की श्रेणी में लाकर उन्हें शिक्षा से ही वंचित कर दिया गया था,एक-आध शूद्र शिक्षा प्राप्त करने की कोशिश किए तो भारतीय पौराणिक पुस्तकों में वर्णित कथा-कहानियों के अनुसार तत्कालीन शासक उनके कान में गर्म सीसा डलवाने,उनकी जीभ काट लेने और उनके सिर तक काट लेने की कठोरतम् सजा दिए जाने के अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं ! लेकिन अब पिछले 71सालों से भारतीय समाज की इस विषमता को पाटने के लिए आरक्षण की संवैधानिक कोशिश को वर्तमान सत्ता के कर्णधार अपनी पैतृक कुटिलतम् और घोर जातिवादी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन बड़े सरकारी संस्थानों तथा रेलवे, बीएसएनएल, इंडियन ऑयल आदि जैसे सैकड़ों संस्थानों का निजीकरण करके उस आरक्षण व्यवस्था को ही खत्म करके दलितों में आई कुछ आर्थिक रूप से सम्पन्नता को फिर से मटियामेट करके दलितों को फिर से पददलित और ग़रीबी के दलदल रूपी गड्ढे में फिर धकेलने का जोरदार प्रयास करने के कुप्रयास में एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं,ताकि भारत का पूरा दलित और पिछड़ा समुदाय आरक्षण से प्राप्त सुविधा के उपयोग से ही वंचित हो जाय !
अभी पिछले दिनों कर्नाटक राज्य के धारवाड़ जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल मतलब एबीकेएम की बैठक हुई थी,इस बैठक के समापन के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठता के पदक्रम के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बाद दूसरे सबसे ताकतवर पद माने जाने वाले सरकार्यवाह के पद पर पदासीन दत्तात्रेय होसबोले ने धर्मांतरण विरोधी कानून पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रूख पर सवाल का जबाब देते हुए कहा कि ‘धर्मांतरण को रोका जाना चाहिए और जिन लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है, उन्हें घोषणा करनी होगी कि उन्होंने धर्मांतरण किया है। अल्पसंख्यक इसका विरोध क्यों कर रहे हैं,यह एक रहस्य है। किसी भी तरीके से किसी धर्म के लोगों की संख्या बढ़ाना,धोखाधड़ी या ऐसे अन्य तरीकों को स्वीकार नहीं किया जा सकता,न केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,बल्कि महात्मा गांधी और अन्य ने भी इसका विरोध किया है,देश में 10 से भी अधिक राज्य ऐसे हैं,जिन्होंने धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित किया है ‘
अब यक्षप्रश्न यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किस हिंदू धर्म की बात करता है,उदाहरणार्थ उस हिन्दू धर्म की तो नहीं जिसमें इसी कथित हिंदूओं के देश के बिहार के वैशाली के एक गांव में कथित उच्च जाति के गुँडे अपने गाँव की ही एक गरीब मजदूर दलित की अपनी बहन सरीखी 20 वर्षीया लड़की को बंदूक की ताकत के बलपर अपने घर उठा ले जाते हैं,लड़की को छोड़ने के लिए उसके परिवार वालों के लाख घिघियाने और अनुरोध करने के बावजूद उनको अपने दरवाजे से यह कहकर दुत्कारते हुए भगा देते हैं कि ‘दो दिन बाद तुम्हारी लड़की तुम्हें वापस कर दी जाएगी ! ‘ 5 दिन बाद उस दलित की बेटी को घिनौने, पैशाचिक सामूहिक रूप से बलात्कार करके उसकी निर्मम तरीकों से हत्या कर उसके मृत शरीर को उसी गांव के एक तालाब में फेंक देते हैं,दूसरी घटना में हाथरस के एक गांव में अपने पशुओं के लिए चारा लेने गई एक दलित की बेटी के साथ उसी गांव के कुछ कथित उच्च जाति के ठाकुरों के तीन दंरिदे लड़के उसके साथ सामूहिक बलात्कार करते हैं,उसकी जीभ काटते हैं और उसकी गर्दन तोड़ देते हैं,उत्तर प्रदेश का कथित योगी मुख्यमंत्री और उसका पूरा प्रशासनिक अमला हफ्तों तक उस दलित,गरीब,अभागी, अबला लड़की से बलात्कार होने की बात से ही सीधा मुकर जाता है,समुचित ईलाज के अभाव में वह लड़की लगभग 15 दिन बाद दिल्ली के एक अस्पताल में दम तोड़ देती है,उस लड़की से कथित हिन्दू धर्म के पैरोकार उच्च जातियों के गुंडे ने उससे बलात्कार करके मौत के घाट उतारने के बाद भी हैवानियत करने से नहीं चूके ! हिन्दू धर्म में यह मानवीयता के नाते यह परम् और अभीष्ट कर्तव्य होता है कि किसी के भी मृत शरीर को अंततः उसके अंतिम संस्कार के लिए उसके माँ -बाप और परिजनों को सौंप दिया जाता है,लेकिन इस मामले में उस मृत लड़की के माँ-बाप और परिजनों के लाख अनुनय-विनय करने के बावजूद भी इस असभ्य,असामान्य तथा असामाजिक व्यक्ति जो उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना बैठा है उस अभागी दलित लड़की के शव से भी अपने नीच हरकत करने से बाज नहीं आया ! उसके शव को उसके परिजनों को न देकर अपनी पुलिस फोर्स के पशुवत बल पर उस लड़की के मृत शरीर को जलाकर नष्ट करने का जघन्यतम् अपराध कर दिया ! इसके अतिरिक्त इस देश में 85 प्रतिशत दलित और पिछड़े वर्ग और जाति की लड़कियों, लड़कों,वयस्कों और वृद्धों से कथित उच्च जातियों के गुँडे प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में बलात्कार, बदतमीजी,गाली-गलौज,अपमान और हत्या तक करते रहते हैं ! वास्तविकता यह है कि कथित हिन्दू धर्म अपनी साँस ही जातिवादी वैमनस्यता, छूआ-छूत और जातियों के अवरोही क्रम की अनिवार्यता कायम रखकर जिंदा है,ताकि कथित उच्च जाति के गुँडे अपनी जातीय श्रेष्ठता को जातिगत् आधार पर कायम रखकर कथित 85प्रतिशत शूद्र जातियों से अपनी हेकड़ी दिखाते रहें !
हिन्दू धर्म की जातिवादी मानसिकता का सबसे ज्वलंत व घिनौना रूप कुछ दिनों पूर्व हरिद्वार,दिल्ली और विलासपुर में कथित धर्मसंसद में कुछ गुँडे भगवा वस्त्र पहनकर सरेआम मुसलमानों को कत्ल करने का फतवा जारी करते नजर आए,वे नरपशु इस देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक को यहाँ न लिखनेवाली असभ्य व अमर्यादित गाली देने से नहीं चूके ! वे उस नरपिशाच और सबसे बड़े आतंकवादी बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने से भी नहीं चूके ! जातिवादी वैमस्यता को बढ़ाने वाले इन गुँडों द्वारा इस जघन्यतम् अपराध करने पर भी हिन्दू धर्म रक्षा के कथित पैरोकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मोहनभागवत व दत्तात्रेय होसबोले जैसों ने अपना मुँह खोलना तक उचित नहीं समझा ! भारत सरकार की ही एक संस्थान नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2019 की रिपोर्ट यह चीख-चीखकर बोल रही है कि इस कथित हिन्दू धर्म बहुल राष्ट्रराज्य भारत में केवल 1साल में 32033 दलित बच्चियों के साथ कथित उच्च जातियों के गुँडों ने बलात्कार किए मतलब प्रतिदिन 88 बलात्कार यानी हर 20 मिनट में इस देश के किसी भूभाग पर किसी गरीब,कमजोर,दलित की बेटी की अस्मत कथित उच्च जातियों के दरिंदे लूट रहे होते हैं और ज्यादेतर मामलों में सबूत मिटाने के लिए उनकी वैशाली और हाथरस जैसे उन बच्चियों की निर्मम हत्या कर देते हैं !
इसके अतिरिक्त इसी देश में कहीं अपनी शादी में घोड़ी पर बैठने,कहीं मेज पर खाना खा लेने,कहीं फसल न काटने,कहीं गाय की खाल को न उतारने,कहीं कथित उच्च जातियों के श्मशानघाट में दलित के शव को जलाने के अपराध में,कहीं मूँछ रख लेने मात्र के कथित अपराध में दलित नवयुवकों की जातिवादी गुँडें बुरी तरह सरेआम पिटाई करते नजर आ रहे हैं और उनकी निर्मम हत्या तक कर रहे हैं ! कथित हिंदू धर्म में दलित जातियों के साथ उक्तवर्णित इस तरह की अमानवीय व घिनौनी हरकत होने पर कौन दलित इस नारकीय हिंदू धर्म में रहना चाहेगा ! इस स्थिति में तो स्वाभाविक रूप से वह ऐसे धर्म में जाना चाहेगा,जहाँ उसकी,उसकी बीवी,बहन और बेटियों की इज्जत और आबरू कम से कम सुरक्षित रहे ! क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मोहनभागवत व दत्तात्रेय होसबोले जैसों को यह मोटी सी बात समझ में नहीं आ रही है ? क्या उक्त दृष्टांतों की सूचना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सबसे बड़े सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले को नहीं मिलती है ! जरूर मिलती होगी,तो क्या इन अमानवीय अत्याचारों पर उन्हें अपने सद् विचार तो प्रकट करने ही चाहिए ? लेकिन कटुसच्चाई और वास्तविकता यह है कि आरएसएस के मुखिया मोहनभागवत या होसबोले जैसे जातिवादी कुप्रथा को भारतीय समाज में बरकार रखनेवाले विकृत सोच के मानवेत्तर लोग यह कदापि नहीं चाहते कि इस देश से जातिवादरूपी कोढ़ और जातिवादी वैमनस्यता कभी समाप्त हो ! इन मनुष्य रूप में नरपिशाचों और शैतानों की बहन-बेटियों और इनके साथ उक्तवर्णित अमानवीय, वीभत्स व्यवहार होने लगे तो कथित हिंदू धर्म को बचाने की इनकी हेकड़ी मिनटों में निकल जाय ! अब समय आ गया है कि 85 प्रतिशत बहुजन समाज भी संगठित और सशक्त होकर अपनी और अपनी बहन-बेटियों की इज्जत पर डाका डालनेवाले कथित उच्च जाति के दरिंदों के साथ ‘जैसे को तैसा ‘ और ‘ईंट का जबाब पत्थर से दें ‘ तभी इसका सही समाधान होगा,इसके अलावे इसका कुछ भी समाधान नहीं है ! सबसे बड़ा और बढ़िया इसका इलाज यही है कि 85 प्रतिशत बहुजन समाज आपस में वैवाहिक संबंध बनाए और पूरे 84 प्रतिशत भारतीय समाज के लोग गोलबंद होकर इन 3.5 प्रतिशत कुटिल और धूर्तों से मुकाबला करें,तब वे अवश्य विजयी होंगे,तभी इस देश में वास्तविक समता,न्याय और शांतिपूर्ण समाज की स्थापना होगी ! यहां के नीचे से ऊपर तक के न्यायालयों में भरे उच्च जातियों के कुटिल वह निकृष्ट सोचवाले जजों से इस देश के 85 प्रतिशत दलितों और पिछड़ों को न्याय की आशा करना बिल्कुल व्यर्थ की बात है ! इसका समाधान यही है कि दलितों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए हर हाल में आरक्षण की व्यवस्था बरकरार रहे,पूरे देश में सम्पत्ति का बंटवारा समान रूप से हो और सामाजिक समरसता और जातिवादी वैमनस्यता और कोढ़ को समाप्त करने के लिए अंतर्जातीय शादियों को समाज और सरकार की तरफ से जोरदार प्रोत्साहन मिले ।

     _-निर्मल कुमार शर्मा, 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में पाखंड,अंधविश्वास,राजनैतिक, सामाजिक,आर्थिक,वैज्ञानिक,पर्यावरण आदि सभी विषयों पर बेखौफ,निष्पृह और स्वतंत्र रूप से लेखन ', गाजियाबाद, उप्र
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