अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

दुनिया में सबसे सस्ती चीज मुसलमान की जान है, जो मुफ्त में मिलती है

Share

— राजीव शर्मा (कोलसिया)

अखबार पढ़ना और टीवी पर खबरें देखना मेरी बहुत पुरानी आदत है, मगर अब मैं धीरे-धीरे इनसे दूर होता जा रहा हूं। शाम को घर आने के बाद जैसे ही टीवी चलाता हूं, वहां एक एंकर चीख-चीखकर मुझे समझाता रहता है कि इस मुल्क की असल समस्या तो बस मुसलमान हैं। यह मुल्क इसलिए तरक्की नहीं कर रहा क्योंकि मुसलमान चार शादियां कर रहे हैं, ढेर सारे बच्चे पैदा कर रहे हैं, तलाक पर तलाक दिए जा रहे हैं। अगर यह सब न होता तो भारत बहुत पहले सोने की चिड़िया नहीं बल्कि सोने का मोर बन गया होता। वह और जोर से चीखता है तो मुझे लगता है कि शायद उसकी बातों में सच्चाई है।

चुपचाप मेरे बेटे मुर्तजा की रखैल बनकर रह और बन जा मुसलमान नहीं तो धो बैठेगी  जान से हाथ ... लव जिहाद में फंसी युवती से बोले मुर्तजा के परिजन


अगले दिन मैं अखबार पढ़ता हूं। आज एसीबी ने कई भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते पकड़ा है। मैंने उनके नाम पढ़े। मुझे उनमें से एक भी मुसलमान नहीं मिला। मैं एक हफ्ते तक लगातार भ्रष्ट कर्मचारियों की गिरफ्तारी के समाचार पढ़ता रहा, जिनमें एक भी नाम मुसलमान का नहीं था।
अरे यह क्या! यह तो किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा जारी की गई उन लोगों की सूची है जिन पर कालाधन विदेशों में रखने का शक है। जरा देखूं तो! मगर मुझे इसमें एक भी मुसलमान नहीं मिला।
मेरे पड़ोस में एक मुस्लिम परिवार वर्षों से रहता है। घर का मुखिया दाढ़ी रखता है। वह बहुत समझदारी की बातें करता है। आज शाम को वह एक थैला लिए मेरी ओर चला आ रहा था। मुझे एंकर की बात याद आ गई। शक हुआ, कहीं इसके थैले में बम न हो!
वह करीब आ गया, मेरा दिल जोरों से धड़क रहा है। उसने थैला मुझे थमाते हुए कहा — लो बेटा, ये दो किलो आलू हैं। आज बाजार में सस्ते मिल रहे थे तो तुम्हारे लिए भी ले आया।
इस साल सर्दी कुछ ज्यादा है, लेकिन मेरी जेब इजाजत नहीं दे रही कि नया कोट खरीद लूं। यूं भी मुझे चमक-दमक पसंद नहीं है। मैं पुराने स्वेटर से काम चला लूंगा। शाम को मेरे फोन की घंटी बजी। मालूम हुआ कि मेरी मां की एक मुस्लिम सहेली ने मेरे लिए कोट भेजा है।

Delhi Violence Chandu Nagar Ground Report | Hindu Family On Muslim  Neighbours During Delhi Riots | बात उन गलियों की, जहां नफरत की आग  हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को छू भी न सकी -


कोट पहनकर मैं मुस्लिम पड़ोसी के लड़कों से मिलने गया। एक मुझसे बड़ा है, दूसरा हमउम्र। मैंने बड़े वाले से पूछा — भाईजान, मैंने सुना है कि हर मुसलमान को दस बच्चे पैदा करने का हुक्म है?
वो बोले — किसने कहा? बताया — फलां टीवी वाला एंकर कह रहा था! उन्होंने जवाब दिया — दो बच्चों को पालते कमर टूट गई। अगर दस बच्चे होंगे तो उनकी फीस वो एंकर देगा क्या?
अब मैं हमउम्र लड़के के साथ क्रिकेट खेलने जा रहा हूं। रास्ते में उससे पूछा — मियां क्या तुम चार शादियां करोगे? वह हंसा और बोला — यार, यहां एक नहीं मिल रही, तुम चार की बात कर रहे हो! अम्मी तो कब से कन्नौज का इत्र और बरेली के झुमके खरीदकर बैठी है कि मेरे बेटे का निकाह हो!
घर में रद्दी अखबारों का ढेर बहुत ज्यादा हो गया है। मैं रद्दी खरीदने वाले एक शख्स को ले आया। उसकी टोपी से मालूम हुआ कि वह मुसलमान है। मैंने बातों ही बातों में उससे पूछ लिया — क्यों भाईजान, अगर आपको पाकिस्तान जाने का मौका मिले तो चले जाओगे?
वह मुस्कुराया और बोला — बंटवारे के वक्त मेरे दादा-चाचा पाकिस्तान चले गए और दादी-अब्बू यहीं रह गए। दादा तो बहुत पहले इंतिकाल कर गए। मेरे अब्बू उन्हें कंधा भी नहीं दे सके। दादी यहां आंसू बहाती रह गई, मगर वीजा नहीं मिला। परसों ही खबर मिली कि एक बम धमाके में चाचा के दोनों लड़के मारे गए।
मैंने पूछा — तो तुम जरूर भारत में शरीयत वाला कानून लागू कराना चाहोगो! वह बोला — कानून-वानून मेरी समझ से बाहर की चीज है। मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि रोज दो सौ रुपए कमा लूं, ताकि बड़े लड़के को स्कूल भेज सकूं वरना वो भी मेरी तरह रद्दी खरीदेगा।
मैंने फिर पूछा — तो तुम्हें क्या चाहिए? आरक्षण, जमीन, सब्सिडी, नौकरी! वह बोला — इनमें से कुछ नहीं। हम मेहनत की कमाई खाने वाले लोग हैं। मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि मेरा घर सलामत रहे, मेरे मौहल्ले की मस्जिद सुरक्षित रहे। दंगाई उन्हें निशाना न बनाएं। मुझे और कुछ नहीं चाहिए।
मैंने सवाल किया — तुम चुनावों में हमारी पार्टी को वोट क्यों नहीं देते? उसने कहा — जरूर देता, लेकिन आप हमें अपने पास तो नहीं बैठने देते। उलटे हमारे नाम से लोगों को डराते हैं। तो वोट क्यों दूं? कभी हमारी भी फिक्र कर लिया कीजिए। फिर वोट ही क्यों जान हाजिर है।
पूछा — अच्छा तो तुमने इतनी बातें कहां से सीखीं? बताया — फुर्सत मिलती है तो रद्दी के अखबार पढ़ लेता हूं।
उसके जाने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि भारत में सबसे सस्ती चीज अगर कोई है तो वह मुसलमान है। वह नौकरी नहीं मांगता, आरक्षण नहीं चाहता, हड़ताल कर पटरियां नहीं उखाड़ता, खाड़ी के देशों में तपती दोपहरी में तगारियां उठाता है पर शिकायत नहीं करता। तो आखिर वह चाहता क्या है?
सिर्फ दो चीजें — उसका घर सलामत रहे, उसकी मस्जिद सुरक्षित रहे। हां, उसे दीन के नाम पर गुमराह करने वाले खूब हैं, नेताओं ने उसे सियासत का सामान बना डाला, गरीबी की हालत भयंकर है। कोई भी नेता दो-चार जोशीले नारे लगाकर, एक-दो भड़कीले शेर सुनाकर जिधर चाहे हांक कर ले जाता है। क्या इससे सस्ती चीज भारत में कहीं और मिलेगी? मैं तो कहूंगा कि महंगाई के इस दौर में मुसलमान की जान सबसे सस्ती चीज है। रंगून से लेकर राजसमंद तक रोज मुफ्त में मारे जा रहे हैं।
— राजीव शर्मा (कोलसिया)

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें