इंदौर
वैसे ताे शनिवार काे शहर में टाेटल लाॅकडाउन है लेकिन विशेष अनुमति के बाद इंदाैर के थाेक कपड़ा बाजार में प्रतिष्ठान खाेलने की अनुमति मिल ही गई। हालांकि क्लॉथ मार्केट में एक दीवार के अंतर पर तो तस्वीरें सामने आईं। एक तरफ थोक कपड़ा बाजार की थी, जो कि फ्रीगंज गेट को क्रॉस करते ही खुली थी। तो दूसरी रिटेल यानी शीतला माता बाजार की। थोक बाजार की तो अनुमति के बाद 20 फीसदी दुकानें खुलीं, लेकिन रिटेल के शटर गिर ही रहे।
दोनों ही बाजार के व्यापारियों की एक ही समस्या थी। आखिर दुकान का किराया, बिजली बिल, माल लेकर आए व्यापारियों का कर्ज, घर खर्च आखिर कैसे चलाएं। थोक बाजार खुलने के बाद शीतला माता बाजार के व्यापारियों का कहना है कि साहब अब हमें भी थोड़ी छूट दे दो, जिससे हम भी अपने दाल-रोटी की व्यवस्था कर लें। हालांकि वे मानते हैं कि इस बार का कोरोना बहुत ही खतरनाक है, इसलिए लॉकडाउन है, लेकिन वे कहते हैं विवश हैं, दुकान नहीं खुलीं तो गुजारा कैसे करेंगे।
संक्रमण दर 5 फीसदी से नीचे आने के बाद 1 जून से जिला प्रशासन ने कुछ छूट के साथ इंदौर को अनलॉक कर दिया था। हालांकि शनिवार और रविवार को पूर्ण लॉकडाउन की बात कही थी। आर्थिक परेशानी से जूझ रहे कपड़ा व्यापारियों ने दो दिन पहले कुछ छूट की मांग करते हुए कलेक्टर सहित राजनेताओं से मुलाकात की थी। कपड़ा व्यापारियों की मांग थी कि उन्हें थोड़ी राहत दे दी जाए। इस पर प्रशासन ने उन्हें शनिवार से 4 घंटे की राहत दे दी।
अनुमति मिलने के बाद शनिवार को अपर कलेक्टर पवन जैन पुलिस और निगम की टीम के साथ कपड़ा बाजार पहुंचे। यहां थोक क्लॉथ मार्केट कपड़ा एसोसिएशन के साथ मिलकर मार्केट का निरीक्षण किया और फिर गाइडलाइन के अनुसार व्यापारियों को 4 घंटे के लिए दुकान खोलने की अनुमति दे दी। थोक व्यापारी केवल अपने माल को डिस्पैच कर रिटेलर तक पहुंचा सकेंगे और जो माल गोडाउन में रखा हुआ है। वह खराब ना हो उसे भी वे सेल कर सकेंगे। यहां पर किसी भी प्रकार से ग्राहकों के आने की अनुमति नहीं है।
दुकान संचालक नीरज गुलवानी और अरुण बाकलीवाल।
क्लॉथ मार्केट में साड़ी का कारोबार करने वाले नीरज गुलवानी का कहना है ये 60 दिन काफी मुश्किलों भरे रहे। दुकान का किराया, कर्मचारियों की सैलरी के साथ ही खुद का घर चलाना आसान नहीं रहा। सीजन के लिए जो स्टॉक मंगवाया ना वो बिक पाया ना ही पुराना माल बिक पाया। अखातीज और रमजान में कुछ नहीं बिक पाया। ये सीजन में जो बिक्री करते हैं, उससे हमारा 8 महीने का खर्च निकलता है।
यह दो महीने का लॉस नहीं है, हकीकत में 8 महीने का लॉस है। अब स्कूल खुल गई हैं। हमें कॉल आने लगे हैं कि फीस जमा करो। जब माल ही नहीं बिका तो फीस कहां से भरें। दुकान खुलने के बाद भी यह चुनौती है कि जब तक ग्राहक माल नहीं देखेगा, उसे खरीदेगा नहीं। अभी इसकी अनुमति नहीं है। मैं डर रहा हूं कि कहीं ग्राहक आ गए तो 10 हजार का दुकान का चालान बन जाएगा। बस ग्राहकों को वेट करने को कह रहे हैं।
कपड़ा मार्केट एसोशिएसन के मेंबर अरुण बाकलीवाल ने बताया कि कोविड काल में व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि आखातीज और रमजान में ही सालभर का खर्च निकल जाया करता था, लेकिन इस बार लॉकडाउन ने सब कुछ छीन लिया। अचानक लॉकडाउन से स्टॉक वैसा का वैसा रखा रह गया। स्कूल यूनिफॉर्म का माल दो साल से वैसे ही पड़ा हुआ है।
क्लाॅथ मार्केट अध्यक्ष हंसराज जैन और शीतला माता बाजार के अध्यक्ष हेमा भैय्या पंजवानी।
क्लॉथ मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष हंसराज जैन ने बताया कि यहां हाेल सेल का कारोबार होता है। पिछले साल की तरह इस साल भी सीजन बिना व्यापार के गुजर गया। व्यापारियों ने अच्छी ग्राहकी की उम्मीद से बड़ी मात्रा में माल स्टॉक कर लिया था, लेकिन अचानक लॉकडाउन लगने से सब कुछ अटक गया। विशेष परमिशन पर माल डिस्पैच की अनुमति मिली है। इस सीजन के अब 10 से 12 दिन बचे हैं।
इसमें जो माल भेज दिया, तो भेज दिया नहीं तो फिर दीवाली के दौरान ही कपड़ा बाजार में उठाव आएगा। 80 फीसदी ग्राहकी मार्च, अप्रैल मई और जून में ही होती है। स्कूल यूनिफार्म का यहां बड़ा बाजार है, लेकिन वह ग्राहकी भी खत्म है। आज हमने 10 से 15 फीसदी दुकानें ही खुली हैं। यहां करीब 11 दुकानें हैं। 400 किमी तक तो इंदौर का ही कपड़ा बिकता है। सालभर में 500 करोड़ से ज्यादा की ग्राहकी होती है।
सीजन में साढ़े 300 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है। दुकान बंद होने से हमारे ग्राहक बैरागढ़, उज्जैन चले गए। पुरानी उधारी भी रुक गई। साथ में माल भी नहीं भेज पाए। यहां से तो आंध्रप्रदेश तक माल जाता है। काेराेना गाइडलाइन का पालन करते हुए व्यापार कर रहे हैं।
एडीएम पवन जैन सुबह क्लॉथ मार्केट पहुंचे और व्यापारियों से बात की।
शीतला माता बाजार के अध्यक्ष हेमा भैय्या पंजवानी ने बताया कि जिस प्रकार से होल सेल को खोलने की अनुमति मिली है। उसी प्रकार से अब रिटेल वालों को भी राहत देनी चाहिए। हम अब कहां जाएं। बिजली बिल, बैंक की किश्त, दुकान का किराया, घर खर्च यह सबकुछ लग रहा है। हम जानते हैं कि इस बार का कोरोना बहुत घातक है, कई लोगों की जानें भी गईं, लेकिन हम विवश हैं।
दुकान नहीं खुली तो रोजी-रोटी कैसे चलाएंगे। हमें भी छूट दी जाए। हम लोगों से भी कहते हैं कि जिन्हें जरूरत हो वही, दुकान पर सामान लेने आए। बिना वजह भीड़ नहीं लगाएं। यहां पर 12 से 15 बाजार हैं। बसकुछ यहां मिलता है। प्रशासन ने कहा है कि थोक के बाद आपको भी राहत देंगे। इंदौर में एक लाख से ज्यादा दुकानें हैं। हमें सभी को देखना होगा। हमने मांग की है कि टाइम तय कर परमिशन दी जाए।
एडीएम पवन जैन ने कहा कि थोक व्यापारियों के पास बड़ी संख्या में माल जमा होता है। इनका कहना था कि पिछले 2 माह से काफी सारा कपड़ा व अन्य सामान दुकानों सहित गोडाउन में पड़ा हुआ है। हमें कोई खेरची काम नहीं करना है। हमारे पास जो ऑर्डर हैं, उन्हें डिस्पैच करना है। बारिश का समय शुरू होने वाला है, ऐसे में माल का नुकसान होगा।
इस पर तय किया गया कि 4 घंटे यानी 9 बजे से लेकर 1 बजे तक होलसेल का माल डिलीवर करने की छूट दी जाए। रिटेल वालों ने भी अपनी बात रखी है, धीरे-धीरे हमें अनलॉक की ओर बढ़ना है। क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी तय करेगी। सोमवार से सराफा में भी होल सेल का काम शुरू होगा। इन्हें 4 घंटे का समय मिलेगा।