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देष की एक और जनक्रान्ति की जरूरत

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उदयपुर (समता संवाद), 15 अगस्त 1947 को देष तो आजाद हो गया लेकिन अषिक्षा,
साम्प्रदायिकता, जातिवाद, बैरोजगारी और गरीबी से आजादी नहीं मिली है। उन्होंने कहा
इनसे मुक्ति के लिए देष को एक और जनक्रान्ति की जरूरत है। समता संवाद मंच, जनतांत्रिक विचार
मंच, पीयूसीएल व ऐपवा के संयुक्त तत्वाधान में जनक्रान्ति दिवस के अवसर पर एक पदयात्रा एवं जनसभा
का आयोजन किया गया। उसी सभा को सम्बोधित करते हुए महावीर समता सन्देष के प्रधान सम्पादक
हिम्मत सेठ ने ये विचार रखे।


हिम्मत सेठ ने कहा कि 8-9 अगस्त 1942 को गवालिया टेंक मैदान पर कांग्रेस का अधिवेषन
हो रहा था। महात्मा गांधी ने वहीं अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया और
देषवासियों को भी करो या मरो का आह्वाहन किया। यहां यह भी बताना ठीक होगा कि
अंग्र्रेजो भारत छोडों का नारा समाजवादी नेता और बम्बई षहर के मेयर, युसूफ मेहर
अली ने गांधी जी को सुझाया था। 8 अगस्त की रात को ही अंग्रेजों ने गांधी जी सहित
कां्रग्रेस के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। तब 9 अगस्त गवालिया टेंक मैदान पर
अरूणा आसफ अली ने पहुंच कर तिरंगा झण्डा फहराया और वहां से भूमिगत हो गई क्योंकि
अंग्रेज पुलिस और सेना उसे गिरफ्तार करने के लिए ढूंढ रही थी। समाजवादी नेता लोक नायक
जयप्रकाष, डाॅ. राम मनोहर लोहिया, आचार्य नरेन्द्र देव, उषा मेहता, कमला चट्टोपाध्याय
की इस जन क्रान्ति में विषेष भूमिका थी।


गांधी जी की गिरफ्तारी की खबर सुनते ही पूरे देष के लोग घरों से बाहर निकल पड़े।
अंग्रेजों भारत छोड़ों का नारा लगाते हुए, कलक्टर कार्यालय, तहसील कार्यालय, रेल्वे
स्टेषन पहुंचे और जगह-जगह सरकारी बिल्डिंगों पर तिरंगे झण्डे फहराने लगे। पुलिस ने बहुत
ही बर्बरता पूर्ण इस आन्दोलन को कुचलने का प्रयास किया। लाठी चलाई, गोली चलाई,गिरफ्तारियां की। 50 हजार से ज्यादा लोग पुलिस और सेना की गोली से षहीद हुए और लाखों
लोग घायल हुए। इन अनाम षहीदों को स्मरण करने उन्हें श्रद्धांजलि देेने के लिए जनक्रान्ति
दिवस मनाया जाता है। क्योंकि उन्हीं के त्याग और बलिदान से हम आजाद हुए और खुल्ली
हवा में सांस ले रहे है। सभा को भाकपा माले के प्रदेष सचिव षंकर लाल चैधरी ने
सम्बोधित करते हुए कहा कि 1942 की क्रान्ति का एक काला अध्याय भी है। जब लोग षहीद हो
रहे थे। आएसएस के नेता ष्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अंग्रेज वायसराय को पत्र लिख कर इस आन्दोलन
को कुचलने का सुझाव दे रहे थे। इतना ही नहीं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जब आजाद
हिन्द फौज में नौजवानों को भर्ती कर रहे थे तब विनायक दामोदर, सावरकर नौजवानों
को अंग्रेज फौज में भर्ती होने के लिए समझा रहे थे। आजाद हिन्द फौज से लड़ने को
प्रेरित कर रहे थे। हमे ऐसे लोगों से सावधान रहना है। सभा को युगधारा के अध्यक्ष
अषोक मन्थन ने एक क्रान्तिकारी कविता सुनाई। सभा के पहले सभी साथी नेताजी सुभाष
चन्द्र बोस की प्रतिमा को माल्यार्पण कर नमन् किया। वहां से नारे लगाते हुए गांधी नगर
महात्मा गांधी की प्रतिमा तक पद यात्रा की और महात्मा गांधी की प्रतिमा को माल्यार्पण व
नमन् किया।


सभा को एडवोकेट मन्ना राम डांगी, हरीष सुवालका ने भी सम्बोधित किया। सभा में
मोहम्मद बक्ष, मोहम्मद युसूफ, रामचन्द्र सालवी, पीयूष जोषी, प्रो. सुधा चैधरी, अष्वनी
पालीवाल, चन्द्रदेव आलो, एच.ए. दानिष, राम उंराव, डाॅ. फरहत बानो, काजल अनुरागी,
इस्माइल अली दुर्गा आदि उपस्थित थे। डाॅ. भगत सिंह रावत ने सबको धन्यवाद दिया।

हिम्मत सेठ
मो. 9460693560

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