~ सोनी तिवारी, वाराणसी
प्रेम को बेशक़ इस दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास कहने के बावजूद प्रेम शब्द का सर्वाधिक उपयोग शारीरिक संबंध बनाने के लिये किया जाता है, प्रेम के नाम पर लड़कियों को, खास करके कम उम्र की बच्चियों को बरगलाया जाता है।
जिन लड़कियों को घर में सहज माहौल नहीं मिलता, उनका घर की देहरी, छत पर खड़े होना मना होता है, जिन घरों में पिता बेटियों के सर पर हाथ नहीं फेरते। जहां किसी लड़के से हँस कर बात कर लेने भर से बाप भाई थप्पड़ मार देते हैं, या कई घरों में पिता बेटी पर हाथ नहीं उठाते, मां से पिटवाते हैं : ऐसी लड़कियों को जब कभी परेशान देखकर उनकी दोगुनी उम्र का शिक्षक सर से पीठ पर ब्रा टैटोटले हुए हाथ फेरते हुए कहता है तुम उदास अच्छी नहीं लगती, खुश रहा करो तो उसे लगता है यही फिक्र प्रेम है.
जिन घरों में भाई कभी बहन को गले नहीं लगाते, वो लड़कियां जब सुकून के लिये कुछ देर प्रेमी को गले लगाती हैं जो गले लगाने के बहाने उनकी छातियाँ दबा देते हैं, लड़की को लगता है यही छिछोरापन प्रेम है।
इन लड़कियों के पीछे जब कोई सिरफिरा लड़का आशिक़ बनकर घूमता है, उनके लिये हाथ पर कट लगा लेता है तो उसे लगता है यही पागलपन प्रेम है.
घर में विपरीत लिंग के लोगों से सहज शारीरिक स्पर्श मात्र तक से जितनी दूरी बनाकर लड़कियों को बड़ा किया जाता है, उतनी ही जल्दी वो प्रेमी के स्पर्श से पिघलती हुई खुद को उसके सामने समर्पित कर देती है; क्योंकि वो शुरू में वासना और प्रेम से भरे स्पर्श में अंतर ही नहीं कर पाती।
यह एक बहुत बड़ा फेलियर भी है हमारे पारिवारिक ढांचे का, जहां बेटियाँ न जाने कितनी बार घर में ही भाई चाचा दादा अंकल से यौन शोषण की शिकार होती हैं, लेकिन आपने अपनी बेटियों को इतना सहज माहौल भी नही दिया होता कि वो आपसे अपना दर्द बाँट सके।
समाज का एक तबका इतना असंवेदनशील है जहां माँ भी बेटी की सिसकियों की आवाज़ नहीं सुन पाती। बेटी का गुमसुम होना कामचोरी और आलस लगता है। इन बेटियों का प्रेम के नाम पर शोषण करना सबसे आसान होता है।
हमारे समाज के बड़े तबके को बेटियां पालना ही नहीं आता। और सही शब्दों में कहूँ तो भारतीय समाज के बहुत बड़े तबके को औलाद पालने की तमीज़ ही नहीं है, न बेटा- न बेटी।अभी इस समाज को और संवेदनशील और जिम्मेदार होने की ज़रूरत है।
अपनी बेटी को घर में खूब प्रेम दीजिये, खूब स्पेशल फील करवाइए। उसके साथ खेलिए, उसे गले लगाइये। उसका हाथ पकड़कर चलिये। उसके मन में अपने प्रति भरोसा पैदा करिये की इस दुनिया में उसके साथ कुछ भी गलत होगा, गलत करने वाला कोई भी हो आप हमेशा बेटी के पक्ष में होंगे।