यूपी से लेकर बंगाल तक 15 राज्यों की 48 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे। कहने को ये उपचुनाव हैं लेकिन इसे लेकर विपक्षी इंडिया गठबंधन में मानो घमासान तेज होने लगा है। कहीं कांग्रेस को झटका लगा है तो कहीं उसकी वजह से अलायंस ही संकट में आ गया है। आखिर पूरा खेल है क्या जानिए।
महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान चरम पर है। एनडीए हो या इंडिया गठबंधन, दोनों ही खेमा चुनाव प्रचार से लेकर कैंडिडेट्स सेलेक्शन में जुटा है। सभी की निगाहें इन विधानसभा चुनावों पर है। हालांकि, इन चुनावों के साथ 15 राज्यों की 48 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भी सियासी हंगामा तेज है। खास तौर पर विपक्षी INDI अलायंस में इन सीटों को लेकर कहीं-कहीं पेंच फंस रहा तो कहीं गठबंधन ही खतरे में जाता नजर आ रहा। आखिर कहां-कहां उपचुनाव वाली सीटों ने सियासी दलों के बीच गठबंधन में दरार पैदा कर दी है, बताते हैं आगे।
48 सीट पर उपचुनाव, विपक्ष में कैसे बिगड़ रहे समीकरण
15 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर विपक्षी खेमे में तनाव और बेचैनी का माहौल है। बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां समाजवादी पार्टी के अड़ियल रवैये के कारण कांग्रेस ने सभी नौ उपचुनावों में अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में अपने खराब प्रदर्शन से जूझ रही कांग्रेस अब पश्चिम बंगाल में भी मुश्किल में है। यहां उसकी सहयोगी सीपीएम ने छह सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
बंगाल में कांग्रेस-सीपीएम अलग-अलग मैदान में
सीपीएम का कहना है कि वो लगातार कांग्रेस की ओर से बातचीत शुरू होने का इंतजार करती रही। कोई पहल नहीं होने पर आखिरकार उन्होंने थक कर 6 सीटों पर उपचुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिए। इसी तरह, असम में भी उपचुनाव विपक्षी खेमे में राजनीतिक समीकरणों को नया रूप देते दिख रहे। ऐसा तब हुआ जब कांग्रेस ने बेहाली सीट पर उम्मीदवार उतार दिया। कांग्रेस के आश्चर्यजनक तरीके से लिए गए इस फैसले के कारण 2026 के विधानसभा चुनावों को लेकर बना विपक्ष दलों के गठबंधन असम संयुक्त मोर्चा में टूट हो गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बेहाली सीट से CPI-ML (लिबरेशन) के उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला लिया गया था।
यूपी में सपा ने सभी 9 सीट पर उतारे कैंडिडेट
उत्तर प्रदेश में, कांग्रेस ने उपचुनावों की आशंका में कुछ जमीनी काम भी किया था, और 10 उपचुनाव वाली सीटों में से पांच के लिए सौदेबाजी शुरू कर दी थी। हालांकि चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा नहीं की। कांग्रेस नेताओं को उम्मीद थी कि 9 सीटों के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी उन्हें कम से कम तीन सीटें देगी। हालांकि, क्षेत्रीय दल ने उसे केवल दो सीटें दीं। वो भी खैर और गाजियाबाद जैसी मुश्किल सीटें। बीजेपी ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में ये दोनों सीटें जीती थीं। सपा की ओर से झुकने का इनकार करने के बाद, कांग्रेस ने प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया।
इसलिए कांग्रेस को रहना पड़ा खाली हाथ
कांग्रेस इस फैसले के लिए तर्क दिया कि समय की मांग बीजेपी को हराने की है। वह बिना किसी शर्त के सभी सीटों पर सपा को समर्थन दे रही। हालांकि, हकीकत यह थी कि हरियाणा के नतीजों के बाद उसके पास बहुत कम सौदेबाजी की शक्ति रह गई थी। सपा ने इस पर कांग्रेस के खिलाफ भी नाराजगी जताई, क्योंकि कांग्रेस ने हरियाणा और उससे पहले मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे के समझौते की उसकी मांगों को नजरअंदाज कर दिया था।
बंगाल में इंडी अलायंस में फूट का असर
पश्चिम बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ध्वस्त हो गया है। वाम मोर्चे ने कांग्रेस से सलाह-मशविरा किए बिना ही छह उपचुनाव वाली सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। वामपंथी और कांग्रेस हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़े थे। कोई विकल्प न बचने के कारण कांग्रेस ने मंगलवार को छह सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। जिन छह सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से पांच पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है, जो आरजी कर रेप और मर्डर मामले से निपटने और उसके बाद के आंदोलन को लेकर काफी राजनीतिक दबाव में है। हालांकि विपक्षी खेमा अब बंटा हुआ है।
कर्नाटक में बीजेपी को झटका
कर्नाटक में, NDA के सहयोगी दलों बीजेपी और जेडीएस को उस समय झटका लगा जब अभिनेता से नेता बने सीपी योगेश्वर ने बुधवार को बीजेपी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। चन्नापटना उपचुनाव के लिए बीजेपी की ओर से टिकट नहीं दिए जाने से योगेश्वर नाराज थे। गुरुवार को उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार की मौजूदगी में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
केरल में कांग्रेस नेता का बगावती तेवर
केरल में भी उपचुनावों के कारण कुछ उथल-पुथल मची हुई है और कांग्रेस से एक प्रमुख नेता ने पाला बदल लिया। यूथ कांग्रेस के प्रमुख राहुल मम्कुट्टाथिल को पलक्कड़ विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाने के कांग्रेस के फैसले के विरोध में उसके सोशल मीडिया प्रमुख पी शरीन ने पार्टी छोड़ दी। शरीन अब पलक्कड़ में वामपंथी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार हैं।