अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

प्रधान प्रचारक के आरोपों का पांचवा स्तर,स्वाति मालीवाल का मामला एंटायर पॉलिटिल साइंस का खेल

Share

हिन्दुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर आज मतदान की खबर को लीड बनाया है। द हिन्दू के अनुसार चुनाव आयोग ने लोगों से शहरी उदासीनता छोड़ने और बड़ी संख्या में जिम्मेदारी के साथ वोट देने की अपील की है। अरविन्द केजरीाल को चुनाव प्रचार के लिए जमानत मिलने के बाद स्वाति मालीवाल का मामला एंटायर पॉलिटिल साइंस का खेल लग रहा है। मुख्यमंत्री के घर में बिना समय लिये पहुंच जाने और रोकने पर खरोंच आने (पिटाई के आरोप) के मामले में मुख्यमंत्री के सहायक को गिरफ्तार कर लिया है और प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया है कि, टीएमसी अपने ‘शाहजहां’ को बचाने के लिए संदेशखाली की महिलाओं को शर्मिन्दा कर रही है। दिल्ली में उनकी ताकत और बंगाल में लाचारी उनकी राजनीति है और यही उनका लोकतंत्र है जो देश में सरकारी और प्रशासनिक व्यवस्था की अजीब दास्तां है। ऐसे में मीडिया ने आज यह बताने की जरूरत नहीं समझी कि स्वाति मालीवाल ने भाजपा मुख्यालय तक मार्च में हिस्सा लिया या नहीं और नहीं लिया तो क्यों? उनसे इस बाबत पूछा कि नहीं और पूछा तो उनने क्या कहा और क्यों नहीं पूछा – यह भी नहीं है। फिर भी अमर उजाला में यह खबर पूरे भोलेपन के साथ है।

इंडियन एक्सप्रेस में आज कल की दो खबरों का फॉलोअप है। यह थोड़ा असामान्य है इसलिए शुरुआत इसी से। इनमें से एक खबर कल टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर छपी थी, ममता बनर्जी ने कहा है, रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के कुछ साधु दिल्ली के आदेश पर भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। जवाब आज इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर है। इसका शीर्षक है, सीमा पार कर गईं : मोदी”। शीर्षक में ही बताया गया है कि प्रधानमंत्री ने ऐसा तब कहा जब ममता बनर्जी ने दावा किया कि कुछ साधु भाजपा की सहायता कर रहे हैं। प्रधानमंत्री प्रचारक भी हैं, जो चाहें कह सकते हैं, सच तो यह है कि उनकी पार्टी जज की सहायता लेती रही बदले में टिकट और पद का ईनाम दिया है। इंडियन एक्सप्रेस की दूसरी खबर बताती है कि जम्मू और कश्मीर में हमला करने वालों ने भाजपा के पूर्व सरपंच से हत्या से पहले परिचय पत्र मांगा था

आज के अखबारों में पांचवें चरण के मतदान के लिए प्रधानमंत्री पांचवें स्तर के आरोप और उनकी खबर है। द हिन्दू में पहले पन्ने पर छपी खबर का शीर्षक है, राहुल गांधी निवेश भगा दे रहे हैं : मोदी”। इस खबर के अनुसार जमशेदपुर में उन्होंने कहा, कांग्रेस शासित राज्यों में निवेश से पहले कारोबारी 50 बार सोचेंगे। अखबार ने लिखा है कि उद्योगपतियों के खिलाफ राहुल गांधी की टिप्पणियों के लिए उनकी आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसा कहा। वैसे तो निन्दक नियरे राखिये आंगन कुटि छवाय वाले देश में आलोचना से कोई डरने लगे तो काम क्या करेगा और ऐसा नहीं है कि आलोचना की परवाह अकेले मोदी नहीं करते हैं। पर अच्छा कारोबारी माहौल बनाने के लिए नरेन्द्र मोदी ने कुछ किया हो ऐसा तो नहीं लगता है। यह समस्या पुरानी है और स्थानीय गुंडों और थाने की वसूली से लेकर इलेक्टोरल बांड तक पहुंच गया है। मोदी राज में तो जेल से वसूली का भी रिकार्ड और वह भी उद्यमी को जमानत दिलाने के नाम पर। ऐसे में प्रधानमंत्री को राहुल गांधी की आलोचना करनी पड़ रही है और टेम्पो वाले अपने हवा-हवाई आरोप की जांच नहीं करवाई तो कुछ कहा नहीं जा सकता है। दिलचस्प यह है कि अब ऐसी खबरों को पहले जैसी प्रमुखता नहीं मिल रही है।

आज टाइम्स ऑफ इंडिया में भी ऐसी एक खबर है। शीर्षक है, टीएमसी अपने ‘शाहजहां’ को बचाने के लिए संदेशखाली की महिलाओं को शर्मिन्दा कर रही है : मोदी”। इंट्रो वही है जिसे इंडियन एक्सप्रेस ने अलग से खबर की तरह छापा है और शीर्षक बनाया है। अखबार ने मोदी के इस आरोप पर टीएमसी की प्रतिक्रिया भी छापी है। टीएमसी ने कहा है कि प्रधानमंत्री संदेशखाली के वीडियो पर चुप्पी साधे हैं। आप जानते हैं कि संदेशखाली की महिलाओं ने तृणमूल पार्टी के विधायक के खिलाफ आरोप लगाये थे। बाद में एक स्टिंग से पता चला कि इनसे सादे कागज पर दस्तखत करवा लिये गये थे और उन्हें अपनी शिकायत की जानकारी नहीं थी। पता चलने पर शिकायत वापस ली गई तो भाजपा कहती रही कि शिकायतें दबाव में वापस ली जा रही हैं जबकि एक दूसरा स्टिंग भी आ गया जिससे पता चला कि आरोप लगाने वाली महिलाओं को पैसे भी दिये गये थे। प्रधानमंत्री इस दौरान लगातार चुप रहे और अब मतदान के पहले यह आरोप लगाया है।

नवोदय टाइम्स के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा है कि राहुलगांधी माओवादियों की  भाषा बोल रहे हैं। और यह आरोप भी लगाया है कि ममता बनर्जी मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में हैं। अखबार ने इसके साथ राहुल गांधी की खबर छापी है। शीर्षक है, “पीएम ने सिर्फ 22 लोगों को बनाया अरबपति : राहुल”। कहा, हम करोड़ों को लखपति बनायेंगे।

आज के अखबारों में मैं आम आदमी पार्टी के मार्च की खबर का इंतजार कर रहा था। चुनाव के समय जब लेवल प्लेइंग फील्ड की बात होती है, नहीं होने और एकतरफा स्थिति देखकर सुप्रीम कोर्ट ने जिसे चुनाव प्रचार के लिए रिहा किया है उसके सहायक को एक साधारण से मामले में गिरफ्तार कर लिया जाना खबर के साथ राजनीति भी है। बिल्कुल एंटायर पॉलिटिल साइंस वाला। अखबारों में जो छप रहा है वह आप देख रहे हैं। सरकार समर्थक मीडिया के अलावा सोशल मीडिया पर जो सब आया है उससे लगता है कि मालीवाल का इरादा केजरीवाल को फंसाने का था और केजरीवाल कम से कम आरोपों से तो बच ही गये हैं। ऐसे में अरविन्द केजरीवाल का सरकारी कार्रवाई के विरोध में यह कहना कि वे तय समय पर सभी पदाधिकारियों के साथ सत्तारूढ़ दल के मुख्यालय पर मौजूद रहेंगे और सरकार यानी सत्तारूढ़ पार्टी विपक्षी नेताओं में जिसे चाहे गिरफ्तार कर सकती है, विरोध का एक गांधी वादी तरीका है। इसमें स्वाति मालीवाल का शामिल होना और नहीं होना – दोनों महत्वपूर्ण है। लेकिन आज यह खबर नहीं है।

मैं इंतजार कर रहा था कि यह खबर से आगे बढ़ती है। यह पुलिस के व्यवहार पर भी निर्भर करना था और लाठी-वाठी नहीं चली तो बड़ी खबर होनी भी नहीं थी लेकिन भाजपा ने भी कोई ऐसी राजनीति नहीं की (या कर पाई जिससे उसे राजनीतिक लाभ मिलता)।  हिन्दुस्तान टाइम्स में इससे संबंधित खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है और यह आम आदमी पार्टी कार्यालय पर अरविन्द केजरीवाल के संबोधन का हिस्सा है। खबर में बताया गया है कि पुलिस ने धारा 144 का हवाला देकर पार्टी नेताओं को भाजपा मुख्यालय से पहले ही रोक दिया। खबर का शीर्षक है, “केजरीवाल ने कहा, भाजपा ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को जेल में बंद करने के लिए ‘ऑपरेशन झाड़ू’ शुरू किया है”। मुझे लगता है कि हेडलाइन मैनेजमेंट के जमाने में हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर इतनी जगह बना लेना और भाजपा के खिलाफ छप जाना आम आदमी पार्टी के लिए उपलब्धि है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर का शीर्षक भी वही है जो हिन्दुस्तान टाइम्स का है।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसी शीर्षक से खबर को लीड बनाया है। इस खबर का इंट्रो है, सहायक की गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल ने विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इस खबर के साथ अंदर के पन्नों पर तीन और खबरें होने की सूचना है। 1) पुलिस ने बिभव कुमार के लिए 50 सवाल तैयार किये 2) दिल्ली पुलिस चुने हुए वीडियो लीक कर रही है और 3) आम आदमी पार्टी के कार्यालयों पर ताला लगाने की योजना। यहां यह बताना दिलचस्प है कि इंडियन एक्सप्रेस में एक खबर का शीर्षक है, केजरीवाल के सहायक बिभव पर सबूत नष्ट करने का आरोप भी। किसी भी मामले में यह आरोप या धारा बहुत आम है और इस मामले में इस आधार पर यह मामला भी बन सकता है कि स्वाति मालीवाल के पास अनुमति थी जिससे इनकार कर दिया गया। शुरुआती खबरों में कहा गया था कि वे बिना समय लिये मिलने गई थीं जो मुद्दा नहीं रहा जबकि बहुत महत्वपूर्ण है। दिलचस्प यह भी है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मामले में हाथ होने से इनकार करते हुए यह भी कहा है, ये लोगों को अपने घर बुलाते हैं और उनसे मारपीट करते हैं।

द हिन्दू में यह खबर फोल्ड के नीचे चार कॉलम में है। फोटो के साथ। शीर्षक है, पुलिस ने भाजपा के दिल्ली मुख्यालय तक आम आदमी पार्टी के मार्च को रोक दिया; केजरीवाल ने धरने का नेतृत्व किया। इसके साथ सिंगल कॉलम की एक खबर का शीर्षक है, दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री के घर की तलाशी ली। यहां भी सबूत मिटाने के आरोप वाली खबर की चर्चा नहीं है। मैं इसका मतलब यह लगाता हूं कि खबर महत्वपूर्ण नहीं है। पहले पन्ने लायक तो बिल्कुल नहीं। आप इसका मतलब लगाने के लिए स्वतंत्र हैं। वैसे भी यह मामला उस अखबार से संबंधित है जो न सिर्फ इमरजेंसी का विरोध करने के लिए जाना जाता है बल्कि जर्नलिज्म ऑफ करेज इसकी टैगलाइन है और राम नाथ गोयनका के नाम पर पत्रकारिता पुरस्कार भी देता है। संभव है कि यह खबर इंडियन एक्सप्रेस की एक्सक्लूसिव हो और दूसरे अखबारों को मिली ही नहीं हो। एक्सप्रेस में यह खबर निर्भय ठाकुर के बाईलाइन से है। 

इस मामले में द टेलीग्राफ की रिपोर्ट सबसे अलग है। फिरोज एल विंसेंट की बाईलाइन वाली इस खबर का शीर्षक हैकेजरीवाल के विरोध मार्च की अपील पर ढीली-ढाली प्रतिक्रिया। मुझे लगता है और जैसा मैंने ऊपर लिखा है, केजरीवाल को साथी नेताओं (विधायकों, सांसदों, पदाधिकारियों) के साथ मार्च करके भाजपा मुख्यालय पहुंचना था। गिरफ्तारी देने के लिए। यह विरोध प्रदर्शन था ही नहीं और कार्यकर्ताओं को आना ही नहीं था ना बुलाया गया होगा। ऐसे में जिन्हे कल दिन में 12 बजे भाजपा मुख्यालय पहुंचना था उनकी संख्या 62 विधायकों के अलावा बाकी सब को मिलाकर दिल्ली में सौ-सवा सौ से ज्यादा नहीं होनी थी। इससे ज्यादा लोगों के होने की अपेक्षा मुझे नहीं थी और केजरीवाल को यही दिखाना था कि हम डरते नहीं हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं की जरूरत भी नहीं थी।

द टेलीग्राफ की खबर इस प्रकार है (गूगल अनुवाद, संपादित) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 13 मई को मुख्यमंत्री के आवास पर पार्टी सांसद स्वाति मालीवाल पर हमला करने के आरोप में अपने सहयोगी बिभव कुमार की गिरफ्तारी के विरोध में रविवार को भाजपा मुख्यालय की ओर मार्च का नेतृत्व किया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सभी निर्वाचित प्रतिनिधि और पदाधिकारी मार्च में शामिल हुए। लेकिन लगभग 45 डिग्री के दोपहर के तापमान के बीचवे पार्टी कार्यालय और बैरिकेड्स के बीच पुलिस द्वारा छोड़ी गई 200 मीटर की दूरी को भी नहीं भर सके। भाजपा ने इस मौके को यूं ही नहीं जाने दिया। आप जानते हैं कि जेल से बाहर आने पर उनका एक नायक की तरह स्वागत किया गया था। पुलिस बैरिकेड्स द्वारा रोके जाने के बाद मार्च लगभग एक किमी दूर भाजपा मुख्यालय तक नहीं पहुंच सका। केजरीवाल की गिरफ्तारी की मांग भी अधूरी रह गई।

नवोदय टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। इस मामले से संबंधित एक खबर जरूर है और इसके साथ मालीवाल मामला हाइलाइट किया हुआ है। शीर्षक है, सीएम आवास से डीवीआर जब्त। हाईलाइट किया हुआ अंश है, बिभव की रिमांड में फोन कॉल डीटेल और क्राइम रिक्रिएशन अहम। सिंगल कॉलम की एक तस्वीर का कैप्शन है, सीसीटीवी डीवीआर जब्त कर ले जाते पुलिसकर्मी। अमर उजाला में पहले पन्ने पर विज्ञापन है और प्रधानमंत्री का इंटरव्यू। इसमें केजरीवाल के मार्च की खबर नहीं है। पहले पन्ने पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव की खबर जरूर है। असल में यह इलाहाबाद का मामला है। अखबार के अनुसार, (शीर्षक है) राहुल और अखिलेश की जनसभा में मची भगदड़, उपशीर्षक है, प्रयागराज : बिना भाषण दिये लौट गये दोनों नेता

सोशल मीडिया की खबरों के अनुसार भीड़ बहुत ज्यादा थी और लोग मंच तक पहुंच गये थे (यह सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस के इंतजाम और अनुमान का मामला है जिसके लिए उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है)। माइक काम नहीं कर रहे थे। सोशल मीडिया पर बताया गया कि मजबूरी में दोनों नेताओं ने बातचीत की और उम्मीद जताई कि उनकी बातचीत (की रिकार्डिंग) जनता तक पहुंच जायेगी। संयोग से मैंने वह बातचीत सुनी और उसमें राहुल गांधी से अखिलेश यादव के उनके पिता मुलायम सिंह के बारे में पूछा। अखिलेश ने बताया तो राहुल ने यह भी पूछा कि आप कुश्ती लड़ते हैं। बेशक, यह सब पहले पन्ने की खबर नहीं है। इस खबर के साथ एक तस्वीर है जिसका कैप्शन है, प्रयागराज की फूलपुर लोकसभा सीट पर रविवार को रैली करने पहुंचे राहुल गांधी को देखने के लिए उमड़ी भीड़। इस दौरान समर्थक बेकाबू हो गये।

अमर उजाला में आज दो पहले पन्ने हैं। दूसरे पन्ने की लीड के साथ दो खबरें हैं। पहली दो कॉलम में शीर्षक समेत पांच लाइनों की और दूसरी एक कॉलम में शीर्षक समेत 15 लाइनों की। पहली का शीर्षक है, आप के मार्च को पुलिस ने रास्ते में रोका। वैसे यह केजरीवाल को ही नहीं खबरों में दिलचस्पी रखने वाले बच्चे-बच्चे को मालूम था। दूसरी खबर है, भाजपा ने मानी हार : केजरीवाल।  यहां याद आया कि ऐसा ही आरोप कन्हैया ने मारपीट के बाद लगाया है। कन्हैया के समर्थकों ने उसपर हमला करने वालों को ठीक से कूट दिया है। उसकी खबर का पता नहीं चला। गिरफ्तारी वगैरह तो बाद की बात है। हालांकि कन्हैया की पिटाई टुकड़े-टुकड़े गैंग का होने के भाजपाई आरोप के कारण हुई और लोग अभी भी मानते हैं कि दो-दो मुख्यमंत्री को जेल भेजने वाली भाजपा के सत्ता में रहते कन्हैया के खिलाफ सबूत या मामला है। यह देश के मीडिया की नालायकी है पर अभी मुद्दा नहीं है।  

अमर उजाला में आज दूसरे पहले पन्ने की लीड का शीर्षक है, सीएम आवास के कैमरों का रिकार्डर जब्त वीडियो के नष्ट हिस्से वापस पाने का प्रयास। उपशीर्षक है, आप का दावा – ड्राइंगरूम में नहीं था कोई कैमरा …. कोर्ट ने भी उठाये डाटा नष्ट करने पर सवाल। इसके साथ एक और खबर है, बिभव को जांच के लिए मुंबई ले जायेगी पुलिस। इस खबर में लिखा है, पुलिस बिभव पर सबूतों से छेड़छाड़ की धारा भी जोड़ सकती है। हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के बीच में एक बॉक्स है जिसमें स्वाति मालीवाल की तस्वीर के साथ खबर का शीर्षक है, “निर्भया के लिये वे सड़क पर उतर आये थे, अब आरोपी को बचा रहे हैं : मालीवाल”। कहने की जरूरत नहीं है कि वे निर्भया नहीं हुई हैं और ना बिभव ने बलात्कारियों के उस गिरोह की तरह काम किया है। यही नहीं, इस मामले में उनका मित्र भी पैसे लेकर इंटरव्यू नहीं दे रहा है। कुल मिलाकर मामला पूरी तरह अलग है। अखबारों ने बताया नहीं इसलिए वे ऐसा दावा कर रही हैं वरना यह तथ्य है और आम आदमी पार्टी का आरोप भी, कि स्वाति मालीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया है। अगर ऐसा है तो वाशिंग मशीन पार्टी की जरूरत और भूमिका को समझा जा सकता है। पर खबरों में वह सब नहीं है। मीडिया ने अभी तक इस केस या आरोप के सही या गलत होने पर कुछ नहीं कहा है। इतने भर से भाजपा का समर्थन और आम आदमी पार्टी का विरोध दोनों हो रहा है। पर अभी वह मुद्दा नहीं है।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें