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आम जनता समझदार है भाजपा का घोषणा पत्र बनाम संकल्प पत्र पर अविश्वसनियता

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सनत जैन

भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इसे संकल्प पत्र का नाम दिया गया है। इस घोषणा पत्र में तीसरी बार सत्ता में वापसी होने पर भारत में न्याय संहिता लागू की जाएगी। वन नेशन और वन इलेक्शन पर काम किया जाएगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकल्प पत्र के बारे में अपने संकल्पों को दोहराया। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किसानों,युवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिए घोषणा पत्र में जो कहा है, उसके बारे में विस्तार से समझाया।

मछुआरों के लिए बीमा की सुविधा, आदिवासियों के लिए मोटे अनाज को सुपरफुड के तौर पर दुनिया भर में पहचान बनाने, उन्हें आर्थिक रूप से संपन्न बनाने, एसटी-एससी वर्ग के लिए विशेष कार्यक्रम, एकलव्य स्कूल खोलने, रामायण उत्सव मनाने,अयोध्या का विकास और भ्रष्टाचार खत्म करने जैसे कई संकल्पों की घोषणा की। ट्रेनों की वेटिंग लिस्ट को समाप्त करने और 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों का बिना किसी भेदभाव के इलाज करने के संकल्प को दोहराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार गरीब, गांव और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए विशेष कार्यक्रम चलाएगी।

भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में जिन विषयों को संकल्प रूप में दर्शाया गया है। वह कब और किस रूप में पूरे होंगे। यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। 2024 में 2047 का खाका जरूर खींचा गया है। 2014 से भारतीय जनता पार्टी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है। पिछले 10 वर्षों में जो वायदे और संकल्प किए गए थे। समय-समय पर जो सपने और घोषणाएं भाजपा ने की थी। मतदाता अब 10 साल बाद उसे विश्वसनीयता की कसौटी पर कसने की मुद्रा में आ गया है। कांग्रेस पार्टी ने जो घोषणा पत्र जारी किया है। वह ज्यादा स्पष्ट,और मतदाताओं को लुभा रहा है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में मजदूरों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासी, एससी-एसटी वर्ग प्रत्येक परिवार को न्यूनतम आर्थिक गारंटी, बेरोजगार युवाओं को नौकरी पढ़ाई के बाद स्टाई फंड इत्यादि विषयों को शामिल किया गया है।

अब भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र और कांग्रेस के घोषणा पत्र पर मतदाता चर्चा करेंगें। 2024 की लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच में सीधा मुकाबला है। इंडिया गठबंधन के राजनीतिक दल 2014 और 2019 की तुलना में ज्यादा आक्रामक है। पिछले 10 सालों में मोदी सरकार ने जो वायदे जनता से किए थे। उन वादों में कितने वायदे पूरे हुए? राम मंदिर, धारा 370, सीएए जैसे कानून भाजपा के घोषणा पत्र का राजनीतिक एजेंडा था। जो स्वतंत्रता के बाद से और 1990 से पार्टी चलाती आ रही थी। इससे सभी मतदाताओं का सीधा जुड़ाव नहीं था।महंगाई और बेरोजगारी पिछले 10 वर्षों में बढ़ी है। जो भारतीय जनता पार्टी के लिए एक चुनौती के रूप में सामने है।

कांग्रेस पार्टी 10 सालों से सत्ता से बाहर है। राहुल गांधी ने जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के माध्यम से आम जनता की समस्याओं को समझा है। उन्हें कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल करके एक बड़ी चुनौती भारतीय जनता पार्टी के लिए खड़ी कर दी है। भाजपा ने आज जो घोषणा पत्र जारी किया है। उसमें स्पष्टता का अभाव है। जिसके कारण 10 वर्षों में जो-जो वायदे जनता से किए गए थे।उनके बारे में जो अविश्वसनियता मतदाताओं के बीच बन गई है।

2024 की लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है। मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच राष्ट्रीय स्तर पर है। पांच दशक तक कांग्रेस ने देश में राज किया है।कांग्रेस की पहचान मतदाताओं के बीच मे है। कांग्रेस के कार्यों से जो नाराजी समय-समय पर बनी।आम जनता ने कांग्रेस के खिलाफ मत देकर उन्हें सत्ता से हटाया भी है। भारत के मतदाता समय-समय पर जो निर्णय लेते हैं। वह निश्चित रूप से मतदाताओं की समझदारी को प्रदर्शित करता है। 1977 के लोकसभा चुनाव आपातकाल के बाद हुए थे। उसमें जनता ने कांग्रेस को नकार दिया था। पहली बार केंद्र में गैर कांग्रेस सरकार बनी थी। गैर कांग्रेसी सरकार ने जिस तरह से इंदिरा गांधी के खिलाफ व्यक्तिगत उत्पीड़न की कार्रवाई की। उससे जनता 1980 में नाराज भी हो गई। 1980 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जनता ने इंदिरा गांधी को अपना नेता मान लिया था।भारी बहुमत से उन्हें केंद्र की सत्ता में बिठा दिया था।

आम जनता भारत की बहुत समझदार है। समय-समय पर वह जो निर्णय लेती है, वह राजनेताओं को आश्चर्य चकित करते हैं। जो यह मानकर चलते हैं, कि वह जो कर रहे हैं। वही सब सही है। 1989 मैं कांग्रेस को जनता ने बोफर्स के आरोप में बहुमत नहीं दिया। 1991 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरी। केंद्र में नरसिंहाराव के नेतृत्व में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी। 1996, 1999 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और अटल बिहारी वाजपेई के प्रति जनता ने विश्वास व्यक्त किया। 2004 में लोकसभा के जो चुनाव हुए थे। उसमें मतदाताओं ने कांग्रेस को बहुमत दिया।1989 से 2014 तक अल्पमत की सरकारें केंद्र की सत्ता में रहीं। 2014 से लेकर 2024 तक की भाजपा सरकार पूर्ण बहुमत की सरकार थी। मतदाताओं ने भाजपा के प्रति जो विश्वास व्यक्त किया था। वह विश्वास मतदाता का बना रहेगा? इसके लिए भारतीय जनता पार्टी को मतदाताओं की कसौटी में 2024 में परीक्षा होगी। 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह की सरकार थी। इस दौर में वैश्विक व्यापार संधि के कारण अर्थव्यवस्था में बड़ी तेजी के साथ सुधार आया था 2014 से 2024 के बीच में भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर पर विकास हुआ है।

इसका लाभ कुछ पूंजीपतियों को मिला है। आम जनता को जो लाभ मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। आम जनता के ऊपर पिछले 8 वर्षों में टैक्स और शुल्क बढ़ाए गए हैं। जिससे सरकार की आमदनी बढ़ी है। आर्थिक व्यापार संधि के अंतर्गत रिटेल व्यापार को कॉर्पोरेट के अंतर्गत लाये जाने के कारण, देश में महंगाई और बेरोजगारी पिछले 10 वर्षों में तेजी के साथ बढ़ी है। यही भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान के 5 दिन पहले भारतीय जनता पार्टी अपना घोषणा पत्र लेकर आई है। इसका मतदाताओं में क्या असर पड़ता है। यह लोकसभा के चुनाव परिणाम से स्पष्ट होगा। यही कहा जा सकता है।

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