अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

जांच पर है पक्षपात की आंच

Share

शशिकांत गुप्ते

जांच होगी,होगी जांच, होनी भी चाहिए। यदि जांच नहीं होगी तो *दूध का दूध पानी का पानी* वाली कहावत किताबों में सिमट कर रहा जाएगी।

वैसे भी दूध वाली कहावत बोलने, लिखने और पढ़ने तक ही सीमित है। कारण इन दिनों दूध भी खालिस कहां मिलता है?

यह बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण प्रश्न है? इस प्रश्न को हल करने के लिए,पहले दूध की जांच करनी पड़ेगी? दूध में दूध भी है या सिर्फ पानी ही पानी है?

जब सैयाँ ही कोतवाल हो तो,दूध में पानी मिलाने वाला आश्वस्त है कि, उसका बाल भी बांका नहीं होगा।

अव्वल तो दूध में पानी की मिलावट को जांचने के लिए,विद्या की देवी मां सरस्वती का वाहन पक्षी जिसे नीर-क्षीर विवेक पक्षी, इसे ही हंस पक्षी कहते हैं। इसे खोजना पड़ेगा?

संभवतः यह पक्षी चिड़ियाघर में मिल जाएगा। संभावना नहीं चिड़ियाघर में निश्चित ही मिल जाएगा। कारण चिड़ियाघर में विभिन्न प्रजाति के वन्य प्राणी, गेंडे, विभिन्न प्रजाति के पक्षी, मगर,सर्प और अजगर तक आमजन के दर्शनार्थ रखे जाते हैं

हंस तो उपलब्ध हो ही जाएगा लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि, वर्तमान में कलयुग चल रहा है।

त्रेतायुग के भगवान रामजी ने अपनी अर्धागिनी सीता मां से कहा है,*कल युग में हंस चुगेगा दाना तून का* सिर्फ चुगेगा, खाएगा नहीं लेकिन कौवा जरूर मोती खाएगा।

जो पक्षी स्वयं अपने मनमर्जी का आहार नहीं कर पाएगा वो क्या खाक क्षीर से नीर को अलग कर पाएगा?

यदि हंस प्रकृति के द्वार प्राप्त अपने गुण का उपयोग कर दूध और पानी अलग भी कर देगा,तब व्यावहारिक तौर पर यह सवाल उपस्थित होगा कि, हंस, सन सैतालिस से सन चौदह के बीच की समयावधि में चिड़ियाघर में लाया गया है,या सन चौदह के बाद का रखा गया है?

हंस तो बेचारा संत कबीर साहब के इस दोहे पर अमल करता है।

*कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर*

*ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर*

यदि हंस ने उक्त दोहा हाई वॉल्यूम में पढ़ लिए तो बेचारे को नाम बदलने की सिर्फ धमकी ही नहीं मिलेगी, हंस का नाम बदल ही दिया जाएगा।

किसी को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि, हंस विद्या की देवी मां सरस्वती का वाहन है,मां शारदा को अपने शरीर पर विराजित करता है। इसलिए हंस को विवेकी पक्षी कहा गया है। जिसका विवेक जागृत होता है,वह हमेशा निर्भीक,निष्पक्ष,

निर्लोभ और निर्व्यसनी होता है।

यह जानने के बाद हंस से कोई जांच करवाएगा?

जांच होना चाहिए यह भले ही शाश्वत सवाल हो लेकिन कलयुग में पाप करें पापी, भरे पुन्यवान वाली उक्ति को भी नही भूलना चाहिए।

फिर भी जांच होगी,दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा,ये रटे रटे संवाद जो घिसे पीटे होने पर भी आमजन को सुनना,और पढ़ना पड़ेंगे ही?

अपराध कैसा भी हो? चाहे बलात्कार हो या कार से बलात कुचलने का हो? बैड टच मतबल युवतियों के अंग प्रत्यंग को दुर्भावना से स्पर्श करने की गुस्ताखी की जाए?

शासन के अधीन जो प्रशासनिक व्यवस्था है उस पर पचास में दस कम प्रतिशत की ऊपरी कमाई का आरोप हो? जांच होगी यह अनुत्तरित प्रश्न है?

राम जी ने सीता मां से यहां तक कह दिया है कि, कलयुग में 

*धर्म भी होगा कर्म भी होगा परंतु शर्म नहीं होगी।*

आगे कहा है,

*सुनो कलयुग में*

*काला धन और काले मन होंगे*

*चोर उच्चक्के नगर सेठ*

*और प्रभु भक्त निर्धन होंगे*

अंत में सिर्फ मराठी भाषा में की एक कहावत का स्मरण होता है।

*गाढवापुढे वाचली गीता*, *गाढ़व म्हणे कालचा गोंधळ बरा होता* इस कहावत का हिंदी अनुवाद है,गधे के समक्ष भगवत गीता पढ़ी गई,गधा कहता है,इससे तो,जो हम आपस में दुलत्ती करते हुए हंगामा कर रहे थे वही अच्छा था।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें