अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

जनता के रंगमंच की नायक जनता स्वयं होती है….

Share

लेखक और कलाकार आओ,

 अभिनेता और नाट्य लेखक आओ,

 हाथ से और दिमाग से काम करने वाले आओ

 और स्वयं को आजादी और सामाजिक न्याय की नयी दुनिया के निर्माण के लिये समर्पित कर दो”
25 मई 1943 को भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की स्थापना के मौके पर अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. हीरेन मुखर्जी ने यह आह्वान किया था। इसके साथ ही मुंबई के मारवाड़ी हाल में इप्टा के रूप में पूरे हिन्दुस्तान में प्रदर्शनकारी कलाओं की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचानने की पहली संगठित कोशिश की शुरुआत हुई। ललित कलाएं, काव्य, नाटक, गीत, पारंपरिक नाट्यरूप, इनके कर्ता, राजनेता और बुद्धिजीवी एक जगह इकठ्ठे हुए। इन कलाकारों संस्कृतिकर्मियों का नारा था— “पीपल्स थियेटर स्टार्स द पीपल” यानी जनता के रंगमंच की नायक जनता स्वयं होती है। 
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इप्टा की नाट्य परंपरा की जड़ें बेहद गहरी रही हैं। बीच सक्रियता कम हुई और 1985 के आसपास फिर एक बार एकजुट हुए और लंबा काम किया गया। आज जब संस्कृतिकर्म और संस्कृति​कर्मियों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं और कलाओं को सरकारी चाकरी का औजार बनाया जा रहा है, ऐसे वक्त में इप्टा की विरासत को जानना, समझना और इस पर बातचीत करना जरूरी लगता है। 

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें