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दमोह में मिली करारी हार तिलमिलाये भाजपा नेतालगे हैं असंतोष दबाने के प्रयास में…?

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भोपाल।  भरतीय जनता पार्टी में दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में जिस प्रकार से भाजपा के प्रति लोगों में असंतोष पनप रहा है उससे हैरान-परेशान भाजपा के नेता इन दिनों चिंतन, मंथन और मनन कर लोगों में भाजपा की साख कायम करने में लगे हुए हैं लेकिन ऐसा कतई दिखाई नहीं देता, बात यदि मध्यप्रदेश की करें तो मध्यप्रदेश में जहां शिवराज सिंह की सरकार के नेतृत्व में लड़े गये दमोह उपचुनाव में तमाम कोशिशों के बावजूद भी भाजपा को जो करारी हार मिली है तो वहीं पश्चिम बंगाल में दीदी को जहां सत्ता से बेदखल कर भाजपा की सरकार कायम करने का सपना देख रहे नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा व अमित शाह सहित तमाम भाजपा के कद्दावर नेता काफी परेशान हैं और उन्हें अब लगने लगा कि देश के मतदाताओं में मोदी का जादू धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है और इन्हीं सब बातों को लेकर चिंतित भाजपा के नेता अब पुन: दिल्ली में भाजपा की सत्ता काबिज करने की जोड़तोड़ में लगे हुए हैं लेकिन इन सबसे ज्यादा जो स्थिति इन दिनों चौथी बार ज्योतिरादित्य सिंधिया व उनके समर्थकों के कांग्रेस से पाला बदलने के बाद उनके द्वारा दिये गये उधार के सिंदूर से सुहागन बनकर चौथी बार प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज के मतदाताओं में उनके चेहरे को लेकर स्थिति उनके प्रति काफी असंतोष की बनी हुई है,

इसका परिणाम दमोह उपचुनाव में भाजपा की करारी हार दर्शाती है, इसी से तिलमिलाये भाजपा के नेता इन दिनों शिवराज के प्रति पनप रहे असंतोष को बार-बार दबाने का प्रयास करने में लगे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी भाजपा के नेता और जनता में शिवराज के प्रति असंतोष कम होने का नाम नहीं ले रहा है, हाल ही में दो साल बाद सम्पन्न हुई प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के शुभारंभ में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जिस प्रकार से शिवराज की शान में कसीदे पड़े उसके साथ ही उन्होंने प्रदेश के भाजपा नेताओं को यह संदेश देने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि प्रदेश में सत्ता और संगठन में किसी प्रकार के परिवर्तन की संभावना नहीं है, राजनीति के यह जानकार यह जानते हैं कि राजनीति में जो कुछ होता है वह दिखता नहीं है और जो दिखता है वह होता नहीं है, इन शब्दों के इस प्रदेश की भाजपा और सत्ता से जुड़े नेताओं के असंतोष सेे यह स्पष्ट दिखाई देता है कि मध्यप्रदेश में अब भाजपा की साख कम होती जा रही है यही वजह है कि दमोह उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद अब भाजपा के नेता भले ही आम जनता में यह बयान देते फिरें कि वह हमेशा चुनाव के लिये तैयार हैं लेकिन वही नेता दबी जुबान से दमोह उपचुनाव में मिली करारी हार की पीढ़ा उजागर करते भी नजर आते हैं तभी तो प्रदेश में होने वाले चार उपचुनाव जिनमें एक लोकसभा खंडवा, तीन विधानसभा जोबट, पृथ्वीपुर और सतना जिले के रैगांव विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव का सामना करने के लिये वह मन से कतई तैयार नहीं हैं

उसकी वजह है यह नेता यह मानकर चल रहे हैं कि शिवराज के शासन में देव दुर्लभ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते हुए सत्ता के दलालों और माफियाओं का साम्राज्य इस प्रदेश में जिस तरह से फला-फूला है उसके ही परिणाम हैं कि जो शिवराज सिंह अपने आपको नर्मदा को बुढ़ापे की काशी मानकर ढिंढोरा पीटते थे उन्हीं शिवराज के शसनकाल में नर्मदा से अवैध रेत उत्खनन के चलते जो दुर्गति हुई है उसे देखकर जहां जनता में तो आक्रोश पनप रहा है तो वहीं भाजपा के नेता भी दबी जुबान से यह कहते नजर आते हैं कि शिवराज के शासनकाल में जहां माफियाओं को दस फिट जमीन में गाडऩे की चेतावनी दी गई तो वहीं शिवराज सिंह व उनके परिजनों की शह पर नर्मदा में रेत के अवैध उत्खनन का कारोबार भी खूब फला-फूला यह स्थिति अकेले नर्मदा नदी की नहीं है बल्कि प्रदेश के उन कस्बों की है जहां रेत उपलब्ध है, वहां राजनैतिक व सरकारी संरक्षण के चलते रेत माफिया दिन दूना रात चौगुने अपने कारोबार को पनपाने में लगा हुआ है

यही नहीं शिवराज के शासनकाल में जहां इस तरह के अवैध खनन के चलते तमाम अधिकारियों को इन माफियाओं के द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया तो वहीं आज भी अवैध रेत खनन का कारोबार करने वाला माफिया इतनी दबंगाई दिखा रहा है कि वह सरकारी अमले की पिटाई करने और उनपर गोली चलाने से नहीं चूकता है इस तरह की घटनाएं आयेदिन सुर्खियों में रहती हैं लेकिन इसके बावजूद भी शिवराज सिंह माफियाओं को दस फुट अंदर जमीन में गाडऩे का ढिंढोरा पीटते हैं उनके लगभग १७ सालों के शासनकाल में एक भी उदाहरण बता दें कि जिसमें उन्होंने माफियाओं के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही की हो जिससे अवैध कारोबारियों में शासन-प्रशासन की दहशत नजर आती हो, शिवराज सिंह के शासनकाल की इसी कार्यप्रणाली के चलते प्रदेश में शराब घर पहुंच सेवा का रूप लेती जा रही है तो वहीं शराब के अवैध कारोबारियों के कारोबार को हर तरह के प्रोत्साहन देने की नीति भी उनके प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली से झलकती है, इसका जीता जागता उदाहरण है हाल ही में आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव के द्वारा आबकारी अधिकारियों पर असंतोष व्यक्त करते हुए अपनी ही बिरादरी के इंदौर कमिश्नर जो आईएएस हैं उनसे धार जिले के केडिया ग्रुप की शराब फैक्ट्री के साथ-साथ खरगोन की एक शराब फैक्ट्री पर कार्रवाई कराई लेकिन मजे की बात यह है कि इसके साथ जिस परम्परा की शुरुआत शिवराज के शासनकाल में ही किया, कमिश्नर द्वारा शराब फैक्ट्रियों पर की गई कार्यवाही के बाद अपने उन विभाग के अधिकारियों पर जिन पर उन्हें भरोसा नहीं था उनके द्वारा जांच पर जांच कराने से आईएएस अधिकारी की छवि पर प्रश्नचिन्ह लग गया? जिससे प्रदेश के आइएएस अधिकारियों में असंतोष व्याप्त है, ऐसे एक नहीं अनेकों उदाहरण शिवराज सिंह की शासन की कार्यशैली के दिये जा सकते हैं जिसके चलते प्रदेश में माफियाओं को बढ़ावा दिये जाने की भरपूर कोशिश की गई, शायद यही वजह है कि आज जो इंदौर से लेकर झाबुआ तक गुजरात में अवैध शराब पहुंचाने में माफिया व्यस्त है और इस तरह के माफिया का खुलासा इंदौर कमिश्नर के द्वारा की गई धार जिले की शराब फैक्ट्री में पाये गये शराब से लदे पांच ट्रक मिलने से यही खबरें सुर्खियों में रहीं कि इंदौर जिले के झाबुआ और अलीराजपुर तक अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। यही सब वह कारण हैं जिनकी वजह से शिवराज सरकार की कथनी और करनी के चलते जहां भाजपा के नेताओं में असंतोष तो व्याप्त है ही तो वहीं प्रदेश के मतदाताओं में भी भाजपा और शिवराज के प्रति असंतोष दिनोंदिन पनप रहा है और यदि अपने स्वार्थ की खातिर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के नेताओं की असंतोष को दबाने की नीति कायम उस तरह से कायम रही जिस तरह से जेपी नड्डा ने प्रदेश के प्रवास के दौरान दिखाई तो वह दिन दूर नहीं कि जिस कांग्रेस को जेपी नड्डा कोसने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे थे वही स्थित प्रदेश की भाजपा की हो जाएगी यदि शिवराज सिंह चौहान सत्ता पर काबिज रहे तो प्रदेश में १९९८ जैसी स्थिति निर्मित हो जाएगी जिसमें प्रदेश की जनता में भाजपा के प्रति लोगों का झुकाव दिख रहा था लेकिन प्रदेश के मतदाताओं ने जब मतदान किया तो पुन: कांग्रेस की सत्ता पर वापसी करा दी थी, यही स्थिति इन दिनों शिवराज सिंह और भाजपा की बनी हुई है क्योंकि शिवराज के सत्ता पर रहते जहां भाजपा के नेताओं में तो असंतोष व्याप्त है ही तो वहीं शिवराज सिंह की कार्यशैली के चलते जनता में भी असंतोष व्याप्त है जिसका प्रमाण प्रदेश की जनता ने दमोह उपचुनाव में भाजपा को करारी हार का स्वाद चखाकर दिया है, यदि समय रहते भाजपा शिवराज की सत्ता से विदाई नहीं करते तो वह दिन दूर नहीं जब दमोह उपचुनाव जैसे परिणाम भाजपा को दिखाई देंगे?

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