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राजस्थान में मंचो पर दिखने लगी भाजपा नेताओं के बीच चल रही आपसी कलह

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रमेश सर्राफ धमोरा

राजस्थान में भाजपा नेताओं के बीच चल रही आपसी कलह खुलकर मंचो पर दिखने लगी हैं। अनुशासन के लिये जानी जाने वाली भाजपा की राजस्थान में सरकार तो बन गयी हैं। मगर विधानसभा चुनावो से पूर्व गुटो में बंटी भाजपा के नेताओं में व्याप्त गुटबाजी अभी तक समाप्त नहीं हो पायी हैं। पार्टी नेताओं को जब भी मौका मिलता है एक दूसरे की टांग खिंचाई करने से नहीं चूकते हें।
हाल ही में अजमेर में भाजपा की लोकसभा चुनाव को लेकर हो रही बैठक में अजमेर दक्षिण विधायक व पूर्व मंत्री अनिता भदेल नाराज होकर चली गई। इस दौरान उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी सहित भाजपा नेताओं ने उन्हें रोकने की भी कोशिश भी की। लेकिन वह यह कहते हुए वहां से निकल गई कि अब संगठन से बात करूंगी।
जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बैठक में चार विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को बुलाया गया था। सभी अपना परिचय दे रहे थे तभी जिला उपाध्यक्ष घीसू गढ़वाल को देखकर अनीता भदेल गुस्सा हो गई। इस पर विधायक ने मंच पर बैठे प्रभारी भिरम सिंह से कहा कि जब उत्तर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी से बगावत और खिलाफत करने वालों पर कार्रवाई हो गई तो फिर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के बगावत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
अगर हराने वाले ही बैठक में मौजूद रहेंगे तो यहां मेरा क्या काम है। यह कहते हुए पूर्व मंत्री भदेल सभा कक्ष बाहर निकल गई। भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम ने उन्हें रोकने के लिए आवाज भी लगाई। लेकिन वे नाराज होकर वहां से रवाना हो गई। इसी दौरान मीडिया कर्मियों ने उनसे नाराजगी का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि वह अपनी बात संगठन स्तर पर रखेंगी। माना जा रहा है की उनकी नाराजगी का कारण उनको मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाना है।
ऐसे ही जोधपुर में शेरगढ़ से भाजपा विधायक बाबूसिंह राठौड़ ने मंच से ही केंद्रीय मंत्री व जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत पर जमकर हमला बोला। शेरगढ़ के एक कार्यक्रम में विधायक बाबूसिंह राठौड़ ने शेखावत की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम भोले-भाले लोगों से ये झूठे वादे कर चले जाते हैं और हमारा काम नहीं करते हैं। सैनिक स्कूल हो या शेरगढ में अस्पताल का मामला सिर्फ आश्वासन दिया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि हमें पता है आप सीकर जिले के महरोली गांव के रहने वाले हो लेकिन सांसद जोधपुर की लोकसभा सीट से बने हो। इस लोकसभा में सैनिक स्कूल नहीं खुलवाया, भूंगरा त्रासदी के पीड़ितों को संविदा पर नौकरी लगाने का आश्वासन दिया वह भी नहीं किया।
शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के सेतरावा गांव में वीर शिरोमणि राव श्री देवराज राठौड़ की 662वीं जयंती पर समारोह का आयोजन हुआ था। इस आयोजन में विधायक बाबूसिंह राठौड़, महंत प्रतापपुरी व केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी मौजूद थे। कार्यक्रम में शामिल होने के बाद जैसे ही जलशक्ति मंत्री शेखावत वहां से निकले तो विधायक बाबू सिंह राठौड़ ने मंच से शेखावत पर अपनी नाराजगी जाहिर की और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाया। राठौड़ ने जनता से यह तक कहा कि इस बार आप सब तैयार रहना, सड़कों पर संघर्ष करना पड़ेगा। नहीं तो ऐसे लोग आएंगे और चिकनी चुपड़ी बातें करके चले जाएंगे।
शेरगढ़ विधायक ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के सामने ईसीएचएस अस्पताल खोलने की मांग रखी गई थी। शेखावत ने कहा कि उनकी वित मंत्री निर्मला सीतामरण से बात हो गई। अस्पताल स्वीकृत हो गया है और सैनिक स्कूल भी खुल जाएगा। लेकिन हमें स्वीकृति का आदेश नहीं मिला। जबकि विधायक बनने के बाद मैं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के पास जाकर उनसे निवेदन किया। दूसरे दिन बालेसर में ईसीएचएस अस्पताल स्वीकृत होने का आदेश आ गया। समझ नहीं आता वो सीधे-साधे लोगों को क्यों गुमराह करते हैं।
विधायक ने कहा कि भूंगरा गैस त्रासदी में उन्होंने स्वंय 50 लाख रुपए की मदद की घोषणा, संविदा पर नौकरी लगाने व पीएम कोष से राहत बढ़ाने का वादा किया था। वह भी पूरा नहीं हुआ। शेरगढ़ में बरसों से केंद्रीय विद्यालय की मांग थी। गत वर्ष राजनाथ सिंह के सामने उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय स्वीकृत हो चुका है। लेकिन आज दिन तक यहां स्कूल नहीं खुला और ना ही आदेश मिला है। राजस्थान में 56 केंद्रीय विद्यालय स्वीकृत हुए हैं लेकिन शेरगढ में नहीं। जबकि तिंवरी और पाली में खुल गया है। अब राज्य सरकार से प्रस्ताव भिजवाने का कह रहे हैं।
राठौड़ ने कहा कि शेखावत सीकर-झुंझुनू में सैनिक स्कूल बनवाने की बात करते हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हमें पता है आप वहां के हो। लेकिन सांसद जोधपुर लोकसभा के हो। जोधपुर के चैपासनी में जो सैनिक स्कूल खुला वह राजनाथ सिंह के प्रयास से हुआ। राठौड़ ने कहा कि ईआरसीपी के लिए वहां के लोगों ने आंदोलन किए और प्रयास किए। हमारी डब्ल्यूआरसीपी की मांग है उसको ही पूरी करवा दो।
केन्द्रीय कानून राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल, केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चैधरी के खिलाफ भी उनके संसदीय क्षेत्रों के लोगों में भारी नाराजगी व्याप्त हो रही है। दोनो नेता मंत्री बनने के बाद क्षेत्र में कम व दिल्ली में ज्यादा रहने के कारण अपने मतदाताओं से दूर हो गये। जिसके कारण मतदाताओं के काम नहीं होने से वो नाराज हैं। अगले लोकसभा चुनावो में इनका जीतना भी मुश्किल लग रहा है।
कुछ दिन पूर्व भाजपा सांसद जसकौर मीणा अपने दौसा संसदीय क्षेत्र में लालसोट के डिडवाना गांव में एक कार्यक्रम में बैनर पर अपनी ही पार्टी की सरकार में कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की तस्वीर देखकर भड़क गईं। गांव के सामुदायिक भवन में ब्लॉक स्तरीय शक्ति वंदन सखी पुरस्कार कार्यक्रम में सांसद जसकौर मीणा मुख्य अतिथि बनकर पहुंचीं थी। कार्यक्रम के लिए मंच पर जो बैनर लगाया गया था। उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की फोटो लगी थी।
अपने संसदीय क्षेत्र के कार्यक्रम में बैनर पर खुद की और लालसोट विधायक रामबिलास की तस्वीर न पाकर सांसद उखड़ गईं। उन्होंने मंच से ही राजीविका मिशन अधिकारी को फोन पर भड़ास निकालते हुए कहा कि पोस्टर में ना तो विधायक रामबिलास का फोटो है न मेरा है। इसमें किरोड़ी का लगा रखा है। उसका यहां क्या लेना-देना है। इस पर अधिकारी ने सफाई देते हुये कहा बैनर का डिजाइन राज्य स्तर पर पूरे राजस्थान के लिए एक जैसा तैयार हुआ है।
बार- बार बुलाने के उपरांत भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पार्टी संगठन के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होती हैं। वसुंधरा समर्थक विधायकों को मंत्री नहीं बनाये जाने से नाराज हैं। लोकसभा चुनावो में वसुंधरा समर्थक सांसदो के टिकट कटने पर भाजपा में गुटबाजी और बढ़ सकती हैं। बहुत से मौजूदा सांसदो के खिलाफ जनता में नाराजगी है। दूसरे दलों से पार्टी में आने वाले लोगों को महत्व मिलने से पार्टी का मूल काडर नाराज हो रहा हैं।
पार्टी में आपसी गुटबाजी के चलते ही राजेन्द्र राठौड़, सतीश पूनिया, नरपत सिंह राजवी, सांसद भागीरथ चौधरी, देवजी पटेल, नरेन्द्र कुमार पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा जैसे बड़े नेता विधानसभा चुनाव हार गये थे। राजस्थान में सरकार बनने के बाद भाजपा में जिस तरह की गुटबाजी दिख रही है। उसे यदि समय रहते रोका नहीं गया तो आने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस तरह की घटनायें पार्टी के लिये शुभ संकेत नहीं हैं।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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