शशिकांत गुप्ते
शिलान्यास इसे आंग्ल भाषा मे Foundation stone कहतें हैं। योजना का शिलान्यास होता है। मार्बल पत्थर का शिलालेख बनता है,उसपर योजना का विवरण के साथ जनप्रतिनिधियों,मंत्रियों और रसूखदारों के नाम भी पत्थर पर अंकित होतें हैं।
राजनीति और शिलान्यास का समन्वय है।
चुनाव का समय जैसे ही नजदीक आता है। शिलाओं पर योजनाओं के विवरण अंकित होने लगता है। शिलान्यास के समारोह आयोजित होने लगतें हैं। राजनैतिक समारोह में देश अमीर हो जाता है।भव्य आयोजनों में जो धन खर्च होता है वह जनता का ही होता है सिर्फ नाम जनसेवकों का अर्थात मंत्रियों का होता है। यह लोकतंत्र के मालिक (जनता) की उदारता है।
देश में ऐसे असंख्य जगह शिलान्यास हुएं हैं,जहाँ के शिलालेख के पत्थर व्यवस्था रूपी गौतम ऋषि के अभिषाप के कारण अहिल्या की तरह जड़ अवस्था में स्थित हैं। त्रेतायुग में अभिषाप से ग्रस्त अहिल्या पाषण तो बन गई थी लेकिन उस पाषण पर त्रेतायुग में सम्भवतः धूल नहीं जमी होगी।कलयुग में तादाद में शिलान्यास समारोह के बाद शिलालेख, गर्दिश की गर्द का दर्द भोग रहें है।
कलयुग में प्रभु रामजी शिला का उद्धार करने प्रकट होंगे यह असम्भव है,लेकिन रामजी का दिव्यभव्य मंदिर का निर्माण होने पर सम्भवतः रामजी प्रसन्न होकर कृपा कर सकतें हैं। कहा जाता है कि,आस्था में बहुत शक्ति है। इनदिनों आस्थावान लोगों के हाथों ही सत्ता की कमान है।
आस्थावान लोगों के कारण आम देशवासी मुफ्त में चारधाम तीर्थस्थानों के दर्शन कर पाप मुक्त होकर पुण्य कमा रहें हैं।आमजन मुफ्त का राशन का प्राप्त कर रहें हैं।
दिल्ली की झाड़ू तो वहाँ की जनता को मुफ्त में पानी पिला रही है। यही झाड़ू जनता को अब दिल्ली से अयोध्या तक मुफ्त में यात्रा करवा कर पाप मुक्त करेगी।
सारा कुछ मुफ्त में मिलेगा।
सदी के नायक का खिताब प्राप्त अभिनेता मात्र सामान्यज्ञान के चंद सवालों के जवाब देने पर लोगों को करोड़ पति बना ही रहें हैं।
वोट दिए जा फल की इच्छा मत कर रे जनता,चुनाव जीतने के लिए जितने अधिक वोट देओगे उतना ही मुफ्त सुविधा पाओगे।
जब धर्म और राजनीति का तालमेल होता है तब रोजागार,शिक्षा,चिकित्सा,आदि मूलभूत अनिवार्य आवश्यकताएं दोयम दर्जे की हो जाती है।
दया धर्म का मूल हो जाता है। धार्मिक आयोजनों में मुक्तहस्त से गुप्तधन मुहैय्या हो जाता है। एक कहावत है दान में मिली बछिया के दांत नहीं देखें जातें मुफ्त में मिले दान के गुण दोष नहीं देखें जातें हैं? यह हमारी धार्मिक मान्यता है।
आस्था हमें सभी सुख प्रदान करेगी।भारत विश्वगुरु बनेगा। भारत का हरएक नागरिक पुण्यवान हो जाएगा। इसीलिए आस्थावान बनो।
आस्था की ज्योत जलाओ सर्वत्र फैलाओ।
अब सुविचार इस तरह लिखा जाएगा कि,सकल पदार्थ वही लोग पाएंगे जो कर्महीन हो जाएंगे। कर्म की जगह वोट को महत्व दो?
भारत ने ही शून्य की खोज की।भारत ने ही शून्य के महत्व को विचारों के साथ तालमेल स्थापित कर समझा है।
अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम
दास मलूका कह गए सब के दाता राम
यह कथन संत मलूका जी ने आलसी लोगों के लिए व्यंग्यात्मक रूप में कहा है।
इस कथन में व्यंग्य का भाव शून्य कर दो। यही कथन आस्था के महत्व को बढ़ा देगा।
शून्य का महत्व बढ़ जाएगा। बढ़ना भी चाहिए।
शशिकांत गुप्ते इंदौर