अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

कीमत चुकानी है, इसलिए भाजपा को तिरुपति मंदिर पर ईसाई अध्यक्ष भी स्वीकार है

Share

एस पी मित्तल, अजमेर 

आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री हैं। सीएम रेड़ी ने हाल ही में तिरुपति स्थित बालाजी मंदिर के मैनेजमेंट बोर्ड का अध्यक्ष ईसाई समुदाय के करुणाकर रेड्डी को नियुक्त किया है। हम नियुक्ति पर तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने तो एतराज जताया है, लेकिन हिंदुत्व की पक्षधर माने जाने वाली भाजपा चुप है। जानकारों का मानना है कि भाजपा को राजनीतिक कीमत चुकानी है, इसलिए हिन्दू मंदिर पर ईसाई अध्यक्ष का विरोध नहीं कर रही है। कीमत चुकाने का ताजा मामला दिल्ली सर्विस बिल है। 7 अगस्त को राज्यसभा में जब इस बिल पर मत विभाजन हुआ तो वाइएसआर कांग्रेस के सांसदों ने बिल के समर्थन में वोट दिया। सब जानते हैं कि यह बिल केंद्र सरकार की नाक का सवाल बना हुआ था। वाईएसआर के समर्थन से यह बिल 102 के मुकाबले 131 मतों से स्वीकृत हुआ। भाजपा के लिए दिल्ली सर्विस बिल जरूरी था, भले ही मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी तिरुपति के बालाजी मंदिर की कमान किसी ईसाई को सौंप दें। टीडीपी का कहना है कि तिरुपति के मंदिर में ऐसे व्यक्ति को नहीं बैठाना चाहिए, जिसकी आस्था हिन्दू धर्म से नहीं है। वैसे भी भाजपा तो ईसाई संस्थाओं पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाती है। अब जब हिन्दू धर्मस्थल पर ईसाई व्यक्ति की नियुक्ति हो गई तो भाजपा की चुप्पी आश्चर्यजनक है। तिरुपति के बालाजी मंदिर के प्रति देशभर के हिन्दुओं की गहरी आस्था है। यही वजह है कि प्रतिदिन पांच करोड़ रुपए का चढ़ावा आता है। इसलिए इस मंदिर को देश का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। आंध्र प्रदेश की राजनीति के जानकारों के अनुसार हिन्दू मंदिर पर ईसाई समुदाय के करुणाकर रेड्डी की नियुक्ति के पीछे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की भी राजनीतिक मजबूरी है। करुणाकर रेड्डी तिरुपति से ही विधायक हैं। करुणाकर का दबाव था कि उन्हें तिरुपति मंदिर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जाए। चूंकि जगनमोहन को अपनी सरकार चलानी है, इसलिए करुणाकर को मंदिर बोर्ड अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। सवाल उठता है कि हिन्दू धर्म में आस्था नहीं रखने वाले करुणाकर रेड्डी अब मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के साथ कितना न्याय कर पाएंगे? मंदिर में रोजाना लाखों श्रद्धालु आते हैं। 

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें