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21 दिसंबर को सबसे लंबी रात और साल का सबसे छोटा दिन, शुरू होगी सूर्य उत्तरायण की प्रक्रिया

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वैसे तो साल में 365 दिन होते हैं और हर दिन 24 घंटे का होता है। लेकिन साल में चार दिन 21 मार्च, 21 जून, 23 सितंबर और 21 दिसंबर खास होते हैं। इनमें से एक दिन रात सबसे लंबी और दिन सबसे छोटा होता है। इसके अलावा इसी दिन से सूर्य उत्तरायण की प्रक्रिया शुरू होगी। आइये जानते हैं विंटर सोलस्टाइस की अन्य विशेषता क्या है…

जयपुर के ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार आमतौर पर दिन रात बराबर यानी 12-12 घंटे के माने जाते हैं। लेकिन सर्दी के मौसम में दिन छोटे होते जाते हैं और रातें लंबी होती जाती हैं। 21 दिसंबर को साल की सबसे लंबी रात होगी, जो लगभग 16 घंटे तक चलेगी। जबकि इस दिन डे केवल 8 घंटे का होगा। इसे विंटर सोलस्टाइस और शीतकालीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

इस दिन पृथ्वी की सूर्य से दूरी अधिक होती है और चांद की रोशनी पृथ्वी पर अधिक समय तक बनी रहती है। इसकी वजह यह है कि पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के दौरान एक ऐसा दिन आता है जब दक्षिणी गोलार्ध में सूर्य की पृथ्वी से दूरी अधिकतम होती है।

इस कारण, 21 दिसंबर का दिन वर्ष का सबसे छोटा होता है और इस दिन रात का समय सबसे लंबी होता है। इस दिन सूर्य की किरणें धरती पर देर से पहुंचती हैं। इस कारण तापमान में भी थोड़ी कमी देखी जाती है यानी सर्दी का असर होता है।

डॉ. व्यास के अनुसार शीतकालीन संक्रांति का कारण यह होता है कि पृथ्वी अपने ध्रुव पर 23.4 डिग्री की झुकाव पर होती है। सामान्य दिनों तो 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात होती है। वहीं 21 दिसंबर के बाद रात छोटी होने लगती है और दिन बड़े होने लगते हैं।

क्या है विंटर सोलस्टाइस

डॉ. अनीष व्यास के अनुसार सोल्सटिस एक लैटिन शब्द है जो सोल और सेस्टेयर से मिलकर बना है। लैटिन में ‘सोल’ का अर्थ सूर्य है, जबकि ‘सेस्टेयर’ का अर्थ स्थिर रहना है। इन दोनों शब्दों के संयोजन से सोल्स्टिस का निर्माण हुआ है। जिसका अर्थ है सूर्य का स्थिर रहना।

इस प्राकृतिक परिवर्तन के कारण, 21 दिसंबर को वर्ष का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है। वैसे कुछ वर्षों में विंटर सोलस्टाइस की तिथि में परिवर्तन होता है। लेकिन इस दिन का समय 20 से 23 दिसंबर के बीच ही होता है।
विंटर सोलस्टाइस से शुरू होती है सूर्य उत्तरायण की प्रक्रिया

21 दिसंबर को विंटर सोलस्टाइस के दिन और इसके बाद से विभिन्न देशों में कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। इसमें क्रिसमस प्रमुख है। इसी प्रकार, चीन और अन्य पूर्वी एशियाई देशों में बौद्ध धर्म के यीन और यांग पंथ से संबंधित लोग विंटर सोलस्टाइस को एकता और समृद्धि को बढ़ावा देने का दिन मानते हैं।

अधिकांश देशों में इस दिन से जुड़े कुछ धार्मिक रीति-रिवाज होते हैं। भारत में यह मलमास का समय होता है। यह संघर्ष काल भी कहा जाता है। इस दिन उत्तर भारत में श्रीकृष्ण को भोग अर्पित करने और गीता का पाठ करने की परंपरा है, जबकि 22 दिसंबर से राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में पौष उत्सव की शुरुआत होती है। सूर्य के उत्तरायण की प्रक्रिया विंटर सोलस्टाइस से प्रारंभ होती है, इसलिए भारत में इसका विशेष महत्व है।

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