नई दिल्ली
जंतर-मंतर पर भड़काऊ नारेबाजी मामले में भाजपा के पूर्व प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और अन्य को गिरफ्तार किया जाएगा। दिल्ली पुलिस ने दो-टूक कहा है कि किसी भी तरह के सांप्रदायिक विद्वेष को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कानून के मुताबिक मामले में कार्रवाई होगी।
भारत में औपनिवेशिक काल के कानूनों को रद्द करने और समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग को लेकर रविवार को जंतर-मंतर पर आयोजित किए गए एक प्रोटेस्ट के दौरान समुदाय विशेष के लोगों के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक और भड़काऊ नारेबाजी किए जाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है।
वैसे, इस मामले में खुद पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि जिस प्रोटेस्ट में ये नारे लगाए गए, उसके आयोजन की दिल्ली पुलिस ने इजाजत नहीं दी थी। ऐसे में सवाल यही है कि अगर इजाजत नहीं थी, तो फिर प्रदर्शनकारियों ने जंतर-मंतर के पास संसद मार्ग पर बैंक ऑफ बड़ौदा के सामने मंच कैसे लगा लिया। इतनी बड़ी तादाद में लोग कैसे इकट्ठा हो गए और मंच से माइक पर भाषणबाजी और बयानबाजी कैसे होती रही? अगर इजाजत नहीं थी, तो पुलिस ने तुरंत इस मजमे पर रोक क्यों नहीं लगाई?
बताया जा रहा है कि जब भड़काऊ नारेबाजी हो रही थी, तब वहां मौजूद कुछ पुलिसवालों ने नारे लगा रहे लोगों को रोक कर वहां से खदेड़ने की कोशिश भी की थी, लेकिन वे लोग वहां से नहीं गए। घटना का सोमवार को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी संज्ञान लिया और नई दिल्ली के डीसीपी को नोटिस भेजकर मंगलवार को उन्हें तलब किया है। आयोग ने पुलिस से पूछा है कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
क्लिप्स हुई थीं वायरल
दिल्ली पुलिस तब हरकत में आई, जब रविवार की शाम विवादित नारेबाजी और भड़काऊ बयानों की कुछ वीडियो क्लिप्स सोशल मीडिया में वायरल होने लगीं। उसके बाद आनन-फानन में पुलिस ने इस मामले की तहकीकात की और फिर रविवार की रात को ही स्वत: संज्ञान लेते हुए ‘अज्ञात’ लोगों के खिलाफ कनॉट प्लेस थाने में आईपीसी की धारा 188 और 153-ए समेत अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया।
हालांकि, एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया गया है, लेकिन नारेबाजी कर रहे कई लोगों की पहचान सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों की पहचान सुनिश्चित करने के बाद उन सभी को गिरफ्तार करके उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कार्यक्रम के आयोजकों से भी पुलिस पूछताछ करेगी।
अश्विनी उपाध्याय का आ रहा है नाम
आयोजक के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता और बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय का भी नाम सामने आ रहा है, जो पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को भारत जोड़ो आंदोलन नामक अपने एक अभियान से जोड़ने और उनसे इस आंदोलन में शामिल होने की अपील कर रहे थे।
हालांकि, विवादित नारेबाजी को लेकर केस दर्ज होने के बाद उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आए वीडियोज की सत्यता की जांच करने और मजहबी उन्माद फैलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए मैंने खुद पुलिस आयुक्त और नई दिल्ली के डीसीपी को लिखित शिकायत दे दी है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग जान बूझकर उनके अभियान को बदनाम करने और मजहबी उन्माद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। सोमवार को कुछ नए वीडियोज भी सामने आए, जिसमें कुछ लोग दूसरे समुदाय के लोगों को धमकियां देते दिख रहे थे। इसके अलावा कवरेज के लिए एक पत्रकार को भी जबरन घेरकर धार्मिक नारा लगवाने की कोशिश करने का वीडियो सामने आया है। यही वजह है कि अब पुलिस इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रही है।