राकेश अचल
चुनाव का मौसम है। इस मौसम में लिस्टों की भी बहार आती है । ठीक उसी तरह जैसे आमों में बौर। राजनीतिक दल आम चुनावों के समय तरह-तरह की लिस्टें बनाते है । एक लिस्ट हिट लिस्ट होती है। एक लिस्ट फिट लिस्ट होती है और एक लिस्ट को कट लिस्ट कहते हैं। इन लिस्टों में किसे शामिल करना है ,किसे नहीं, ये हर पार्टी का आला – कमान करता है। आला- कमान यानि सुप्रीमो। सुप्रीमो यानि सर्वशक्तिमान। यानि भाग्य विधाता।
आजकल हर पार्टी की लिस्टें सुर्ख़ियों में हैं लेकिन भाजपा की लिस्टें सबसे जायदा सुर्ख़ियों में है। क्योंकि भाजपा ने खुद के लिए 370 और अपने गठबंधन के लिए 400 पार का नारा जो दिया है । भाजपा की फिट लिस्ट में जिन लोगों का नाम शामिल किया गया है ,वे खुशनसीब हैं। खुशनसीब इसलिए हैं कि उन्हें एक बार फिर भगवत कृपा से चुनाव लड़ने का मौक़ा मिल रहा है ,वो भी बिना किसी बाधा के। फिट लिस्ट में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों का शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना जरूरी नहीं है ।
जरूरी है कि वे आला – कमान की कमांड को आँखें बंद कर स्वीकार करते हैं या नहीं ? शिरोधार्य करते हैं या नहीं ? दंडवत रहते हैं या नहीं ? कांग्रेस,सपा,बसपा,जेडीयू सभी ने अपनी-अपनी फिट लिस्टें जारी कर दी हैं ।फिट लिस्टें सबसे पहले जारी की जाती हैं। फिट लिस्ट के बाद एक दूसरी लिस्ट को हिट लिस्ट कहते है। हिट लिस्ट में उन नेताओं के नाम शामिल किये जाते हैं जो जीत की सौ फीसदी गारंटी देते हैं। इस लिस्ट में शामिल लोगों को आप छत्रप भी कह सकते हैं। मिसाल के तौर पर जैसे भाजपा में हेमा मालिनी जी,कंगना जी, मनोज तिवारी जी ,कांग्रेस में भी ऐसे अनेक जी है। खुद राहुल जी का नाम कांग्रेस की हिट लिस्ट में सबसे ऊपर है । सपा में अखिलेश जी ,जेडीयू में नीतीश जी,राजद में तेजस्ववी जी,तृमूकां में ममता जी। यानि हिट लिस्ट में वे ही धुर्नधर शामिल किये जाते हैं जो साहित्य की भाषा में अजेय अविजित,पराक्रमी,कहे जाते है।
माननीय नरेंद्र मोदी की तरह। इन लोगों के पराक्रम की कोई सीमा नहीं होती। हो भी नहीं सकती,क्योंककि ये सब अलग अयस्क के बनाये जाते हैं। फिट और हिट लिस्ट जके बाद एक तीसरी लिस्ट और होती है ,इस तीसरी लिस्ट को कट -लिस्ट कहा जाता है। इस लिस्ट में वे नाम शामिल किये जाते हैं जिन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा दिया जाता है। ये योग्यता कोई केंचुआ निर्धारित नहीं करत। इसका अधिकार भी सुप्रिमोज को होता है। वो जिसका चाहे टिकट काट दे। किसी की नाक पसंद न हो ,किसी का हेयर स्टाइल पसंद न हो ,किसी की जुबान खराब हो तो उसका नाम इस कट लिस्ट में डाला जा सकता है।
इस समय भाजपा की ही कट लिस्ट सबसे सुपर-डुपर मानी जा रही है । इस लिस्ट में राहुल गांधी के भाई वरुण गांधी का नाम शामिल है ।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा शामिल हैं भाजपा ने वरुण का टिकिट काट कर उनकी पीलीभीत गिरा दी है। हर पार्टी की अपनी कट लिस्ट होती है। मैंने तो केवल उदाहरण दिए हैं। पूरी की पूरी सूची देना मुमकिन नहीं है । स्पेस का सवाल जो है। किसी पार्टी की कट लिस्ट में शामिल होने के जितने नुक्सान हैं उतने फायदे भी है। यदि किसी की किस्मत वरुण गांधी जैसी हो यानि जिसका टिकिट काट गया हो ,उसके लिए दीगर पार्टियां अपनी पार्टी का टिकट मुफ्त में देने के लिए हमेशा तैयार होतीं हैं। इधर आपका टिकट कटा और उधर दूसरी पार्टी ने आपको टिकट दिया। कांग्रेस से भाजपा में या भाजपा से कांग्रेस में गए नेताओं को इसमें प्राथमिकता को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलती है।
दरअसल जिन नेताओं का टिकट कटता है वे हिट लिस्ट में शामिल होने की पात्रता रखते हैं लेकिन ऐसे नेता अक्सर अपनी अख्खड़ता कीवजह से अपनी पार्टी के सुप्रीमोज की नजर से उत्तर जाते हैं या नजरों में चुभने लगते हैं। मिसाल के तौर पर फिर वरुण गांधी और अनूप मिश्रा । मेरे हिसाब से वरुण गांधी स्पष्टवादिता ,अख्खड़ता के आईकॉन हैं। हर पार्टी में वरुण गांधी होते हैं। उन्हें सच बोलने की ,हर मुद्दे पर बोलने की सजा मिलती ही है। वरुण की किस्मत टैनी पंडित जी की किस्मत से भी ज्यादा खराब मानी गयी। टैनी पंडित जी के बेटे पर किसानों को कुचलने का आरोप था और वरुण गांधी पर किसानों की हिमायत करने का।सत्तारूढ़ दल किसी भी किसान समर्थक को टिकट नहीं देता ,दे भी क्यों ? किसान जब देखो तब सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने बैठ जाते हैं।
सोनम वांगचुक को भी इसी वजह से किसी पार्टी ने अपनी किसी भी लिस्ट में शामिल नहीं किया। अगर आपको किसी लिस्ट में शामिल होना है या उससे निकलना है तो आपको अरविंद केजरीवाल जैसा नसीब हासिल करना पड़ेगा । हेमंत सोरेन की किस्मत तलाश करना होगी। सरकार के पास एक और लिस्ट होती है जिसमें जेल भेजे जाने वाले नेताओं का नाम शामिल होता ।
हमारे सूत्र बताते हैअन की इस लिस्ट में ममता,माया ,तेजस्वी ,कमलनाथ ,नवीन पटनायक जैसों के नाम शामिल हैं। इन्हें जेल कब भेजा जाएगा इसका मुहुर्त 4 जून 2024 के बाद निकाला जाएगा। जून का महीना हिंदी के जून का होता ह। जून यानि पुराना,जर्जर। जैसे शिवजी का धनुष जून था इसीलिए राम जी उसे आसानी से तोड़ दिया था ,लेकिन जनता मौजूदा सत्ता के धनुष को तोड़ पाएगी या तिल भर हिला भी पायेगी,ये कहना अभी कठिन है। वैसे धरती अभी वीरों से खाली नहीं हुई है।