संजय गोस्वामी
भारतीय रेल जैसे पहली सरकार me थी वैसा ही हाल आज भी है पहले ज्यादा पारदर्शिता थी अब ऑनलाइन इ टिकट बुकिंग का खामियाजा जनता को भुगतना पर रहा औऱ उसका अब लागत मूल्य से रेवेन्यू को जोड़कर आई आर आर यानि भाड़ा लागत मूल्य यानि इलेक्ट्रिक, डीजल, मेंटेनेंस औऱ मैनपावर को लागत मूल्य में 50कम यानि नुकसान ही दिखाया जा रहा है ख़ासकर पर्व त्यौहार में तो और ही लूटा जा रहा है जैसे आप सुपर तत्काल लेते हैं तो करीब करीब हवाई यात्रा का ही व्यय होता है प्लेटफॉर्म की स्थिति जस की तस है पर्व में भीड़ में लोग रेलवे की लापरवाही से भगदड़ मच रहा है औऱ लोग दुर्घटना के शिकार हो रहें हैं एक मित्र ने बताया की स्पेशल ट्रेन में पर्व के लिए ट्रेन पकड़ा औऱ करीब 38घंटे का लेट होने से पर्व निकल गया और वहीँ से लौट गया एक वाक्या मेरे साथ भी हुई स्पेशल ट्रेन समस्तीपुर लोकमान्य तिलक जो 9नवंबर का था जो पटना से मुंबई हेतु था करीब 41घंटे का विलम्ब हुआ जिसे लिखा गया चार्ट बना लेकिन टिकट ऑनलाइन कैंसिल ना हो सका एक तो पर्व में इतनी दूर से आते हैं और इस तरह की लापरवाही से फ्लाइट का किराया अचानक 20हजार से बढ़कर 50हजार रूपये तक महंगा हो गया माना ट्रेन लेट है कुछ समस्या है लेकिन इतना भी नहीं होना चाहिए कि 1दिन बाद खुले जब आप स्पेशल ट्रेन चलाने का बाहबाही लूटने की कोशिश करते हैं और पेपर में छपा रहता है कि पर्व के लिए इतना ट्रेन चला रहें हैं तो उसे पूर्ण करना चाहिए नहीं तो मत चलाइये यह बाहबाही लूटना की हम 3करोड़ यात्री को पंहुचा दिया ऐ सब खोखले दाबे और खुद ही प्रशंसा करना छोड़ कर हकीकत को जानने की कोशिश करें जैसा मुझे लगा यात्रा ठीक होगा औऱ चना चबाया औऱ पूर्ण कंकर से दांत ही टूट गया अब पर्व में ट्रेन में सफर करना लोहे का चना चबाने जैसा हो गया खुब बादे करो और उसे पूर्ण ना करना रेल की बहुत बड़ी नाकामी है जिसका फ़ायदा रेलवे और विमान को हो रहा है और ऐसे में गुस्सा होना बिलकुल जायज है रेलवे को किसी ने चमकाया है तो बिहार के वर्तमान मुख्य मंत्री श्री नीतीश कुमार जी है जो कभी रेल मंत्री थे उसके बाद जो हाल है वो उससे भी बदतर है इसे ध्यान देना जरुरी नहीं तो चुनाव में इसका गुस्सा जनता निकाल सकती है इसलिए समस्या को बढ़ाने की जगह समस्या के कारण को खोजने की अत्यंत आवश्यकता है। अगर ट्रेन देरी से पहुंचने की वजह से किसी यात्री को नुकसान होता है, तो रेलवे को मुआवज़ा देना होता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी ट्रेन की देरी से पहुंचने के मामले में रेलवे को ज़िम्मेदार माना है। :
अगर ट्रेन लेट हो रही है, तो रेलवे यात्री को मोबाइल पर मैसेज भेजकर सूचित करता है। जो होता है लेकिन तब जब चिड़िया हाथ से निकल चुकी होती है
अगर ट्रेन तीन घंटे से ज़्यादा देरी से चलती है, तो यात्री रिफ़ंड के लिए क्लेम कर सकता है लेकिन ऑनलाइन में ऐ मैसेज आता है चार्ट बन चूका अतः कैंसिल नहीं होगा जब ट्रेन 34-35घंटे लेट हो रहा है तो चार्ट बनाने का क़ोई मतलब ही नहीं है।
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