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फ़ोटो पत्रकारों के पद कम करने से पत्रकारिता की गुणवत्ता घटी : सुश्री पुरी

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संवाद कार्यक्रम में हुई फ़ोटो पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति पर हुई सार्थक चर्चा

*दिल्ली से लगाकर स्थानीय स्तर तक फ़ोटो पत्रकारिता का दायरा घटाने की कोशिशों से चिंता में हैं पत्रकार*

इंदौर। मोबाइल के आने के बाद अनेक मीडिया संस्थानों में फ़ोटो जर्नलिस्ट के पद घटाए गए हैं। सरकारी स्तर पर भी अब फ़ोटो पत्रकारों की उपेक्षा की जा रही है और रेडीमेड फ़ोटो  भेजकर छपवाने को प्राथमिकता दी जा रही है। इन सबसे पत्रकारिता की गुणवत्ता के साथ समझौता हुआ है।

ये बातें दिल्ली से पधारीं वरिष्ठ फ़ोटो जर्नलिस्ट एवं इंडियन एक्सप्रेस की फ़ोटो संपादक श्रीमती रेणुका पुरी के इंदौर के वरिष्ठ फ़ोटो पत्रकारों के ‘संवाद’ कार्यक्रम में प्रमुखता से सामने आईं। स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के आयोजन में राष्ट्रीय, प्रादेशिक एवं स्थानीय स्तर फ़ोटो पत्रकारिता की बदलती स्थिति एवं चुनौतियों पर गंभीर विमर्श हुआ। प्रमुख रूप से यह बात सामने आई कि संस्थान अब फ़ोटो पत्रकारों के पद कम करते जा रहे हैं और रिपोर्टरों से यह अपेक्षा रखने लगे हैं कि वे ही मोबाइल से फ़ोटो क्लिक कर भेज दें। इससे पत्रकारिता की गुणवत्ता में तो फ़र्क पड़ा है, लेकिन संस्थानों को अपनी उसकी बजाए अपने पैसे बचाने की चिंता है। सुश्री पुरी एवं शहर के प्रमुख फ़ोटो पत्रकारों ने इस बात पर भी अफसोस ज़ाहिर किया कि कई स्थानों और घटनाओं के कवरेज में अब रिपोर्टरों को तो प्रवेश दिया जाता है लेकिन फोटोग्राफरों को रोक दिया जाता है। इवेंट में रेडीमेड फ़ोटो भेजने की प्रवृत्ति विशेषकर सरकारी आयोजनों में बढ़ी है। इसके पीछे कारण यह है कि सरकारी संस्थाएं डरती है कि फोटोग्राफर कहीं  किसी कमी का फ़ोटो न क्लिक कर लें। यह एक तरह से फ़ोटो पत्रकारिता का दायरा घटाने की कोशिश है। संवाद कार्यक्रम में यह बात स्पष्ट हुई कि दिल्ली से लेकर प्रदेश, ज़िला और तहसील स्तर पर फ़ोटो पत्रकार यह महसूस करते हैं कि उनकी विधा का दायरा समेटने की कोशिश की जा रही है और इसे लेकर उनमें चिंता है। यद्यपि सुश्री पुरी ने  उम्मीद ज़ाहिर की कि फ़ोटो पत्रकारिता के अच्छे दिन फिर लौटेंगे। 

सुश्री रेणुका पुरी द्वारा क्लिक किए गए  तिहाड़ जेल में महिलाओं की स्थिति पर एवं अन्य विषयों के चित्रों की कॉफी टेबल बुक बड़े प्रकाशकों द्वारा पब्लिश हुई हैं। लेकिन वे इसे फोटो पत्रकारों के लिए अतिरिक्त कमाई का साधन नहीं मानतीं। वे पाठकों में पुस्तक खरीदने के प्रति अरुचि एवं प्रकाशकों द्वारा रॉयल्टी ठीक से ना दिए जाने से निराश भी नज़र आईं। मोबाइल जर्नलिज्म सीखना वे सभी पत्रकारों के लिए अनिवार्य मानती हैं। पहले के मुकाबले आज के नेताओं में मित्रता या सौजन्यता का भाव घटा है और सभी लोग आजकल एक डिस्टेंस बनाकर चलते हैं। वे फोटो पत्रकारों को भेडचाल से बचने की सलाह देती हैं। उनके अनुसार हमें अपने आप को भी बदलना होगा और जब तक हमारा फ़ोटो अलग नहीं नज़र आएगा, तब तक हमारा सम्मान नहीं होगा। फ़ोटो पत्रकारों को आपस में समन्वय, सहयोग और धैर्य भी बढ़ाना होगा। किसी इवेंट में धक्कामुक्की या पहले फोटो लेने की होड़ की बजाए धैर्य से समन्वय करें तो सबको अच्छे एंगल से फ़ोटो अंततः मिल ही जाता है। सुश्री पुरी और इंदौर के प्रमुख फ़ोटो पत्रकारों के बीच संवाद में खूब मित्रवत माहौल में अपने सुख -दुख साझा किए गए और अपने रोचक अनुभव सुने – सुनाए गए। किसी वरिष्ठ राष्ट्रीय फ़ोटो पत्रकार की उपस्थिति के बहाने फ़ोटो पत्रकारिता की बढ़ती चुनौतियों पर सार्थक विमर्श के कारण यह संवाद कार्यक्रम यादगार एवं बड़ा खास बन गया। 

कार्यक्रम के प्रथम चरण में श्री कैलाश मित्तल, श्री अखिल हार्डिया ,श्री ओ. पी. सोनी, श्री राजू रायकवार, श्री गुरुदास दुआ, श्री आशू पटेल, श्री शरीफ़ कप्तान, श्री आनंद शिवरे, श्री गोपाल वर्मा, श्री दीपक जैन, श्री राजू पंवार, श्री दीपक भाटिया, श्री सत्यजीत शिवनेकर एवं श्री पुष्कर सोनी ने पुष्प गुच्छ, गांधी साहित्य, स्मारिका  एवं अंग वस्त्र से सुश्री पुरी का जोरदार स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन स्टेट प्रेस क्लब के महासचिव श्री आलोक बाजपेयी ने किया जबकि श्री अभय तिवारी ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट श्री कुमार लाहोटी ने सुश्री पुरी को उनका कैरिकेचर भेंट किया। सुश्री शीतल रॉय एवं मीना राणा शाह ने राम के डाक चित्रों का संग्रह भेंट किया।अंत में संगठन के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार खारीवाल ने आभार प्रदर्शन किया।

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