
सनत जैन
अमेरिका ने 119 अवैध भारतीय प्रवासियों की दूसरी खेप भारत भेजी है। पहली खेप में जो अवैध प्रवासी भारतीय आए थे, उनमें महिलाएं, बच्चे और पुरुष सभी को बेडियों और जंजीरों से जकड़ कर अमेरिका से भेजा गया था। दूसरी खेप में जो अवैध प्रवासी भारत के अमृतसर हवाई अड्डे में सेना के विमान से भेजे गए हैं, उनमें जो सिख युवक आए हैं, अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने उनकी पगड़ी उतरवाली थी। उन्हें खुले केश में अमेरिका से भारत वापस भेजा गया है। जिसे सिख धर्म का अपमान बताया जा रहा है।
दूसरी खेप में जो प्रवासी आए हैं। जो पुरुष अवैध प्रवासी थे। उनको जंजीरों और बेडियों से जकड़ कर भेजा गया है। पहली बार जब अवैध प्रवासियों को भारत भेजा गया था, तब बेडी और जंजीरों में जकडकर प्रवासियों को भारत वापस भेजा गया था। उस समय इसकी बड़ी तीव्र आलोचना हुई थी। संसद में भी यह मामला उठा था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि अमेरिका सरकार के सामने इस संबंध में भारत सरकार अपनी आपत्ति दर्ज कराएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलकर वापस लौटे हैं। भारत सरकार ने अमेरिका के साथ बहुत सारे सौदे भी किए हैं।
उसके बाद भी जिन अवैध प्रवासी भारतीयों को भारत वापस भेजा गया है, उसमें सिखों के सिर से पगड़ी उतार ली गई है। सफर के दौरान खाने में प्रवासियों को बीफ दिया गया है। दूसरी खेप में अमेरिका से जो भारतीय डिपोर्ट किए गए हैं। उसको लेकर भारत सरकार की बड़ी आलोचना देश के अंदर हो रही है। सिखों के बीच में इसकी बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। 140 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश भारत, जब वह तीसरी बड़ी अर्थ व्यवस्था होने का दावा कर रहा है। भारत के प्रधानमंत्री जब अपने आप को विश्व गुरु बताते हैं। डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी दोस्ती के दावे किए जाते हैं। तब भारतीयों की इस स्थिति को देखकर लोगों में गुस्सा पनपना स्वाभाविक है। वर्तमान स्थिति में लोगों को गोलमेज सम्मेलन की याद आने लगी है।
7 सितंबर 1931 से 1 दिसंबर 1931 के बीच में लंदन में गोलमेज सम्मेलन आयोजित हुआ था। इस सम्मेलन में तीन बैठकें हुई थीं। इस सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से भाग लेने के लिए महात्मा गांधी लंदन गये थे। जॉर्ज पंचम से मिलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने गांधी जी को सूट-बूट के साथ मिलने का ड्रेस कोड बताया। बिना ड्रेस कोड के जॉर्ज पंचम किसी के साथ नहीं मिलते हैं। यह गांधी जी को बताया गया था। गांधी जी ने मिलने से इनकार कर दिया। गांधी जी ने कहा जैसे हम हैं, वैसे ही मिलेंगे। जब यह बात जॉर्ज पंचम को पता लगी। उन्होंने उसी वेशभूषा में महात्मा गांधी से मिलने पर सहमति दी। यह भारत और महात्मा गांधी का गौरव था। उस समय भारत ब्रिटिश साम्राज्य का गुलाम था। गुलामी में रहते हुए भी गांधी जी ने भारत के स्वाभिमान और अपने मान सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया। वर्तमान में भारत स्वतंत्र गणराज्य है।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सारी दुनिया में धाक है। भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है। तब अमेरिका के नियमों के आधार पर भारतीयों को इस तरह से जंजीरों में जकड़कर भेजा जाना, किसी को रास नहीं आ रहा है। वर्तमान स्थिति में लोगों को अब गोलमेज सम्मेलन के साथ-साथ 1971 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध की यादें ताजा होने लगी है। 1971 में भारत की आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर नहीं थी। उसके बाद भी तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने जिस तरह से अंग्रेजों के सातवें वेडे और अमेरिकी प्रतिबंधों से बिना घबराहट के मुकाबला किया। सारी दुनिया को 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत की ताकत का एहसास कराया। 2025 मे जिस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं।
उससे भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि सारी दुनिया के देशों के बीच में खराब हो रही है। पिछले 11 वर्षों में शक्तिशाली प्रधानमंत्री के रूप में जो छवि नरेंद्र मोदी की बनाई गई थी, वह छवि तेजी के साथ दरकती हुई दिख रही है। अवैध प्रवासियों को लेकर कोलंबिया और मेक्सिको ने जिस तरीके का रुख अपनाया। अमेरिका के सैनिक विमान को उन्होंने अपने देश में उतरने की अनुमति नहीं दी। अमेरिका को अपने विमान वापस लौटाकर ले जाना पड़ा। छोटे-छोटे देशों के सामने अमेरिका की किरकिरी हुई। भारत सरकार की चुप्पी पर सारी दुनिया के देशों में चर्चा हो रही है। भारत इतना शक्तिशाली देश है। उसके बाद भी वह अमेरिका से क्यों दब रहा है। इसको लेकर अटकलों का नया दौर भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखने को मिल रहा है। कहा जाता है, बंधी मुट्ठी लाख की खुल गई तो खाक की। वर्तमान स्थिति में भारत अपनी छवि को कैसे बेहतर बनाए रख सकता है। इसको लेकर भारत सरकार को गंभीरता से सोचना होगा।