अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

शक्ति कपूर की कहानी उन्हीं की जुबानी…. बोले- जिस फिल्म में हीरो बना वो 12 बजे लगी, 12.30 पर उतर गई

Share

विलेन, कॉमेडियन, कैरेक्टर आर्टिस्ट रोल कोई भी हो, शक्ति कपूर ने हर किरदार को जिया है। फिल्मी दुनिया में 4 दशक से ज्यादा गुजार चुके शक्ति आज 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। इसे किस्मत ही कहेंगे कि शक्ति कभी एक्टर बनना ही नहीं चाहते थे, लेकिन दोस्तों के कारण फिल्मों में आए और छा गए।

करीब 700 फिल्में कर चुके शक्ति कपूर ने हर तरह के रोल किए। ज्यादातर विलेन और कॉमेडियन बनने वाले शक्ति एक फिल्म में हीरो भी बने जो बुरी तरह फ्लॉप हुई, फिर कभी हीरो बनने की हिम्मत नहीं दिखा पाए। जन्मदिन के मौके पर दैनिक भास्कर ने शक्ति कपूर से बातचीत की। उन्होंने हमारे साथ जिंदगी के हर पड़ाव पर बात की।

शक्ति कपूर की कहानी उन्हीं की जुबानी….

पिताजी चाहते थे कपड़ों का व्यापार संभालूं
शक्ति कपूर कहते हैं, मेरा जन्म आज से ठीक 70 साल पहले दिल्ली में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। कनॉट प्लेस में पिताजी की कपड़े की बहुत बड़ी दुकान थी। वे डिजाइनर थे। कपड़े की मेकिंग के लिए लोगों की अलग-अलग यूनिट थी। हम कुल चार भाई-बहन हैं, दो भाई और दो बहन। मुझसे छोटे भाई की कैंसर से मौत चुकी है।

मैंने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। यह वही कॉलेज है, जहां से सतीश कौशिक, अमिताभ बच्चन जैसे कई बड़े एक्टर्स ने भी पढ़ाई की है। पिता जी चाहते थे कि मैं ग्रेजुएशन कर उन्हीं की तरह फैमिली बिजनेस को आगे ले जाऊं, लेकिन मुझे ये काम नहीं करना था।

शक्ति कपूर (दाएं) के बचपन की तस्वीर

शक्ति कपूर (दाएं) के बचपन की तस्वीर

दोस्तों की बदौलत फिल्मों में आया
स्पोर्ट्स की तरफ मेरा झुकाव ज्यादा रहा। मैं तो एक्सीडेंटल फिल्मों में आ गया। दरअसल, कॉलेज के कुछ दोस्त थे, जो थिएटर करते थे। वो FTII का फॉर्म भर रहे थे।

एक दिन मैं बहुत दुखी बैठा था। पूछने पर दोस्तों को बताया कि मुझे फैमिली बिजनेस में कोई इंटरेस्ट नहीं है। फिर भी कॉलेज के बाद दुकान पर बैठना ही पड़ता है। क्रिकेट खेलने का टाइम भी नहीं मिलता। इतना कहकर मैं उन लोगों के पास से चला गया। दोस्तों को मेरी परेशानी समझ में आ गई। उन्होंने मुझे बिना बताए अपने साथ FTII के लिए मेरा भी फॉर्म भर दिया। इस वक्त भी एक्टिंग में मुझे कोई शौक नहीं था।

एक दिन घर पर चिट्ठी आई, जिसमें रिटेन टेस्ट के लिए दिल्ली जाना था। पहले तो मैं हैरान हुआ कि फॉर्म किसने भरा है। पूछने पर दोस्तों ने सारी बातें बताईं और टेस्ट के लिए साथ चलने को कहा। दोस्तों के साथ मैं भी टेस्ट देने चला गया। फिर ऑडिशन के लिए बुलावा आया, उसे भी देने चला गया।

जब ऑडिशन देने की बारी आई, तब देखा कि सामने दादा मुनि अशोक कुमार, एक्ट्रेस कामिनी कौशल और डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी बैठे थे। उनके सामने परफॉर्म करना था। इतने दिग्गज लोगों को देखते ही सबसे पहले तो उनके पांव छुए। खुश हो गया कि इतने बड़े-बड़े लोग वहां बैठे हैं। मुझे पक्का विश्वास था कि मेरा कुछ होना नहीं है, इसलिए बिल्कुल डरा नहीं। मैंने डायलॉग बोलना शुरू किया। डायलॉग के बीच-बीच में उनके पांव को हाथ लगाने का इशारा करता रहा।

अब हुआ कि 48 हजार में से 10 लड़कों को सिलेक्ट करना था। दिल्ली से सिर्फ तीन लड़के सिलेक्ट हुए। एक अनिल धवन, दूसरे नसीरूद्दीन शाह और तीसरा मैं सिलेक्ट हो गया। इस बात से सारे दोस्त नाराज हो गए। उन्हें लगा कि पैसे देने से मेरा सिलेक्शन हुआ है।

फिर मैंने अपनी मम्मी से कहा कि FTII में मेरा सिलेक्शन हो गया है। अब स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया है। ऐसा करके मैं पूना पहुंच गया और स्क्रीन टेस्ट में भी पास हो गया। वहां सेकेंड ईयर में पढ़ ही रहा था, तब पहली फिल्म ‘खेल खिलाड़ी का’ साइन कर ली। इस तरह मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई।

मुंबई में स्ट्रगल कम फेस करना पड़ा
मैं झूठ नहीं बोलूंगा, मैंने बहुत ज्यादा संघर्ष नहीं देखा है। कभी ऐसा नहीं हुआ है कि भूखे सोना पड़ा। शुरुआती दौर में सांताक्रूज (मुंबई) में पेइंग गेस्ट रहता था। 250 रुपए उसका चार्ज था, उतना तो कमा ही लेता था।

कुछ समय बाद विनोद खन्ना ने मुझसे पूछा- तुम कहां रहते हो?

मैंने बताया कि पेइंग गेस्ट में रहता हूं।

तब उन्होंने कहा- मेरा एक फ्लैट है। वह खाली है, वहां रहने चले जाओ। वहां अनिल वर्मा भी रहते हैं।

इस तरह रहने की भी समस्या खत्म हो गई।

जिस फिल्म में हीरो बना वो आंधे घंटे में ही थिएटर से उतर गई
मैंने भी होरी बनने की कोशिश की थी। एक फिल्म में हीरो का रोल निभाया था। फिल्म का नाम जख्मी इंसान था। ये फिल्म 12 बजे सिनेमाघरों में लगी और 12:30 बजे उतर गई। फिल्म की तरह ही प्रोड्यूसर, डिस्ट्रीब्यूटर सभी लोग जख्मी हो गए, मतलब सभी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद मैंने कभी दोबारा हीरो बनने की हिम्मत नहीं की।

जो चल रहा है, वह अच्छा चल रहा है, यह सोचकर आगे बढ़ता गया। हां, एक वक्त ऐसा आया था, जब विलेन का रोल कर-करके बोर हो गया था।

तीन थप्पड़ पड़ने के बाद फिल्म छोड़ना चाहते थे
फिल्म मवाली में मैंने अरुणी ईरानी, कादर खान और जीतेंद्र के साथ काम किया था। शूटिंग के दिन जब मैं पहला शाॅट दे रहा था, तब अरुणा ईरानी ने चांटा मार दिया। दूसरा शॉट था, तब जीतू जी (जीतेंद्र) ने चांटा जड़ दिया और तीसरे शॉट में कादर खान ने।

तीन चांटे खाकर मैं परेशान हो गया। फाइट मास्टर वीरू देवगन ( अजय देवगन के पिता) के पास गया। मैंने कहा- मुझे फिल्म करनी ही नहीं है। टाॅप का विलेन हूं, लेकिन मुझे थप्पड़ पर थप्पड़ पड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा- ये फिल्म तेलुगु फिल्म की रीमेक है। मैंने ओरिजिनल फिल्म देखी है। यह किरदार बहुत अच्छा है। तुम्हें मालूम नहीं है। चांटे खा रहे हो, अच्छे से खाओ और उस पर परफेक्ट रिएक्शन भी दो।

उनके समझाने पर मैं वापस शूटिंग के लिए गया और परफेक्ट शाॅट दिया। फिल्म सुपरहिट रही। लोगों को मेरा रोल बहुत पसंद आया। इसी फिल्म के बाद मेरी और कादर खान साहब की जोड़ी बन गई। आज वे दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी बहुत याद आती है।

श्रद्धा का सरप्राइज देख आंसू आ गए
मैं मद्रास में डायरेक्टर के. राघवेंद्र राव की फिल्म कर रहा था। मुझे बर्थडे पर भी छुट्टी नहीं मिल रही थी, तब बीवी शिवांगी बहुत नाराज हो गईं। वे कहने लगीं कि बर्थडे पर भी घर नहीं आ रहे हो। उनकी नाराजगी भरी बातें सुनकर मैंने डायरेक्टर से रिक्वेस्ट किया कि बर्थडे पर मुझे घर जाने दें। शाम तक वापस लौटने का वादा करके मैं चला गया। बीवी को सरप्राइज देने के लिए मद्रास से मुंबई आया।

घर पहुंचा तो देखा कि बीवी घर पर नहीं थी। घर पर सिर्फ बेटी श्रद्धा थी। मुझे दो घंटे बाद वापस जाना था। मैं हॉल में बैठ गया। सोच में पड़ गया कि अब क्या करूं। उस समय श्रद्धा सिर्फ 6 साल की रही होगी, पर वह बड़ी समझदार थी। उसने मुझसे पूछा कि पापा इतने उदास क्यों हो! मैंने कहा- आज मेरा जन्मदिन है। मैं शूटिंग छोड़कर आया हूं तो तुम्हारी मम्मी ही घर पर नहीं है।

बेटी ने कहा- ‘कोई बात नहीं, आप बैठो।’ वह कमरे से पियानो लेकर आई। उसे बचपन से ही पियानो बजाने का बड़ा शौक था। उसने पियानो पर हैप्पी बर्थडे टू यू… धुन बजाई। उसके सेलिब्रेशन का अंदाज देखकर बहुत अच्छा लगा। मेरी आंखों में आंसू आ गए। मैंने बेटी को बहुत प्यार किया। उससे कहा कि चलो मेरा आना सफल हो गया। फिर वापस शूट पर चला गया।

एक-दो बार सेट पर मेरा बर्थडे गोविंदा ने मनाया है। मेरा 3 सितंबर को और ऋषि कपूर का 4 सितंबर को बर्थडे आता है। वे मेरे अजीज दोस्त थे। उन्होंने एक-दो बार अपने घर पर बुलाकर मेरा बर्थडे सेलिब्रेट किया है।

नई फिल्म साइन करने से पहले मां का आशीर्वाद जरूर लेता
पहले मैं जब भी कोई नई पिक्चर साइन करता था, तब सबसे पहले अपनी मम्मी को फोन करता था और उनसे आशीर्वाद लेता था। उनसे आशीर्वाद मिल गया, तब समझता था कि भगवान का आशीर्वाद मिल गया।

मंदिर तो रेगुलर जाता ही था। पहली फिल्म मंडे को साइन की थी, शिवजी का दिन था। मेरे घर के पास हरे रामा हरे कृष्णा का एक छोटा-सा मंदिर है। शूटिंग पर जाते समय गाड़ी रोक कर हाथ जोड़ लेता हूं।

गोविंदा के कहने पर फिल्म राजा बाबू में काम किया
फिल्म राजा बाबू में मैं पूरे समय चड्ढी-नाड़े में दिखा हूं। शूटिंग होने से पहले मैंने गोविंदा को बताया कि इस पूरी फिल्म में मैं चड्ढी-नाड़े में दिखूंगा। इस पर उन्होंने मुझे फिल्म ना छोड़ने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि अगर मैं ये फिल्म इसी रोल में करूंगा तो अवाॅर्ड जरूर मिलेगा।

उनके कहने पर मैंने ये फिल्म कर दी इसमें एक डायलॉग है- ‘समझता नहीं है यार।’ यह डायलॉग गोविंदा ने दिया था। यह पिक्चर हिट हो गई और मुझे फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिल गया। बता दूं कि मेरा और गोविंदा का सीन शुरू हो जाए और डेविड धवन डायरेक्टर हों, तब शूटिंग के दौरान डायरेक्टर सीन कट ही नहीं बोलते थे।

वह चलता ही रहता था, क्योंकि हम सीन करते-करते ही इंप्रोवाइज कर लेते थे। डायरेक्टर साहब बोलते थे कि इस तरह तो मेरी पिक्चर 15 घंटे की बन जाएगी। तुम लोग रुको। तुम लोग इतना हंसाते हो कि मेरा कट कहने का दिल ही नहीं करता है।

डायलॉग को डायरी में नोट करता ताकि भूल ना जाऊं
मैं छोटी-सी डायरी रखता था। उसमें हर पिक्चर के कैरेक्टर के बारे में लिख लेता था। मैंने काफी पिक्चरों में तकिया कलाम यूज किया है। समझता नहीं है यार, पहले तोलो फिर बोलो, राजा बाबू राजा बाबू तो गए आदि डायलॉग लिख लेता था।

उस समय एक टाइम पर 30-40 पिक्चर की शूटिंग चलती थी। हां, कई बार इंस्पेक्टर के रोल में बालों की प्रॉब्लम होती थी, तब विग बना लेते थे। दाढ़ी की जरूरत पड़ती थी, तब नकली दाढ़ी लग जाती थी। आजकल लोग दाढ़ी बढ़ा लेते हैं, क्योंकि उतनी पिक्चरें नहीं करते हैं, अब तो बहुत चेंज हो गया है।

शक्ति कपूर के अपकमिंग प्रोजेक्ट्स
ओटीटी पर मेरी हालिया रिलीज फिल्म ‘ट्रायल पीरियड’ रही। एक फिल्म ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ आने वाली है। इसकी शूटिंग लंदन में करके आए हैं। इस फिल्म में अर्जुन कपूर के फादर का रोल प्ले कर रहा हूं। यह रेडी है। एक ‘एनिमल’ है, जिसमें अनिल कपूर और बॉबी देओल हैं। अभी एक फिल्म साइन की है, जिसकी शूटिंग यूरोप में होगी। यह न्यू स्टार कास्ट के साथ कॉमेडी फिल्म है।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें