अग्नि आलोक
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करोना काल में प्राणायाम का संबल अहम 

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 डॉ. प्रिया

    _वैसे तो प्राणायाम की सभी विधियां स्वास्थ्य वर्धक हैं तथा प्रचुर मात्रा में शरीर में ऑक्सीजन (प्राणवायु) का संचार करती हैं, यहां पर हम कुछ सरल विधियों का उल्लेख करते हैं जिन्हें वृद्ध एवं सामान्य जन आसानी से कर सकते हैं और लाभान्वित हो सकते हैं। करोना व अन्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति अपने डाक्टर के परामर्श से ही ये प्राणायाम करें।_

      कोरोना नासिका से, कंठ तथा छाती में प्रहार करता है. इसलिए यहां केवल संबंधित प्राणायाम पद्धतियों का उल्लेख किया जा रहा है :

1) त्रिविध प्राणायाम (पूरक, रेचक, कुम्भक )

2) लोम-विलोम (नाडी शोधक प्राणायाम )

3) उज्जयी प्राणायाम (कंठ शोधक प्राणायाम)

4) जलनेति क्रिया (नासिका शोधक क्रिया)

   ये प्रयोग कैसे किये जाते हैं : यह यहां लिखना अनावश्यक विषय-विस्तार होगा. सिर्फ़ नाम टाइप करके सारा डिटेल गूगल पर सर्च करके देखा जा सकता है.

     ये प्राणायाम प्रात: सायं 15-20 मिनिट करने से निश्चित रूप में स्वास्थ्य लाभ होगा।

प्राणायाम सदा नासिका से करना चाहिये, मुँह से नहीं। जहाँ मुँह से करने का विधान है, उसे स्पष्ट रूप से बतला दिया गया है। सामान्य श्वास भी सदा नासिका से लेना चाहिये। नासिका में छोटे-छोटे बाल छलनी (फिल्टर) का काम करते हैं।

        अगर कुछ मिट्टी गर्दा आदि चला जाए तो छींक से बाहर निकल जाता है। मुँह में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अतः मिट्टी गर्दा सीधा फेफड़ों में चला जाता है। शीतकाल में ठण्डी वायु नासिका से गर्म हो कर फेफड़े में पहुँचती है, जिससे फेफड़ों को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचती।

      मुँह से श्वास लेने से क्षयरोग, नुमोनिया आदि का भय रहता है।

प्राणायाम सदा आँखें मूँद कर करना चाहिये। प्रत्येक श्वास-प्रश्वास के साथ मानसिक तौर पर ओ३म् का जप करना चाहिये एवं मन में भाव लाना चाहिये कि परमात्मा की कृपा वृष्टि आप पर हो रही है और समस्त दुर्गुण, दुर्व्यसन, दुःस्वभाव, त्रुटियाँ, कमजोरियाँ, व्याधि आदि आपसे दूर हो रहे हैं तथा सद्गुण, सद्विचार, अरोग्यता, बल, दिव्य शक्ति, शान्ति एवं आनन्द आप को प्राप्त हो रहे हैं।

अप्राकृतिक जीवन शैली के कारण, दीर्घ श्वास-प्रश्वास ( Deep Breathing) लेने की बजाए, हमें द्रुत/ शीघ्र श्वास-प्रश्वास (Shallow Breathing) की आदत पड़ चुकी है।

        दीर्घ श्वास लेने से श्वास फेफड़ों में प्रचुर मात्रा में पहुँच कर शरीर के प्रत्येक अङ्ग में आक्सीजन पहुँचाता है, जबकि द्रुत श्वास-प्रश्वास प्रक्रिया कंठ तक ही गति करती है, जिससे श्वास/आक्सीजन प्रचुर मात्रा में फेफड़ों में नहीं पहुंच पाती और अनेक रोगों का कारण बनती है।

       यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि दीर्घ श्वास-प्रश्वास (Deep Breathing) प्राणायाम नहीं है, यह स्वाभाविक क्रिया है जिसे सारा दिन करना चाहिए। कुछ दिनों के प्रयत्न के बाद , यह स्वयं होने लगती है। प्राणायाम 30 मिनट से अधिक करने का विधान नहीं है। तत्पश्चात् आप केवल सामान्य दीर्घ श्वास लें।

सामान्यतः मनुष्य एक मिनट में 15 श्वास लेता है। यदि श्वास की गति को धीमा कर दिया जाए, इससे शरीर में बल वृद्धि के साथ -साथ आयु में भी वृद्धि होती है। वैज्ञानिक अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि जो प्राणी द्रुतगति से श्वास लेते हैं, उनकी आयु कम होती है और जो धीमी गति से श्वास लेते हैं उनकी आयु लम्बी होती है।

      यहाँ तालिका में प्राणी विशेष की प्रति मिनट श्वास संख्या एवं आयु वर्षों को देखें :

प्राणी           श्वास           आयु

कछुआ            4              300

बोहैड वेल         6              200

हाथी              12              100

मनुष्य             I5                80

घोड़ा               18               50

कुत्ता               24               13

     यदि हम दीर्घ श्वास लेना शुरु कर दें और एक मिनट में 15 की बजाए 12 श्वास लें, तो हमारी आयु 100 वर्ष हो जाएगी। प्राणायाम करने से दीर्घ श्वास लेने की क्षमता बढ़ जाती है।

प्राणायाम आरम्भ करने से पूर्व निम्न श्लोक/मंत्र से अथवा उनके अर्थ से ईश्वर से प्रार्थना करें :

      सूर्यचन्द्रतारकाभूमिरेशा 

शीतलो वायुर्निर्मलं वारिनद्य:।

एतत् सर्वं येन मह्यं प्रदत्तं

प्रात: सायं तं महेश्वरं स्मरेम।।

             ~ डॉ. विकास मानव

    अर्थात जिस ईश्वर ने मुझे सूर्य ,चांद, तारे ,पृथ्वी आदि दिये हैं ;  शीतल प्राणदायक वायु और नदियों का बहता शुद्ध जल दिया है; तथा ये सब अन्न, फल, औषधि आदि दिये हैं; उस प्रभु का प्रात: सायं मैं स्मरण करता हूं, धन्यवाद करता हूं।

      ओ३म् अग्ने यन्मे तन्वा sऊनम् तन्म आपृण।

        — यजुर्वेद 3.17

 हे प्रभो ! मेरे शरीर में जो त्रुटियां/ कमज़ोरियां है, उन्हें दूर कर, परिपुष्ट करो।

………….

  दो वर्ष पूर्व सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई थी कि एक हस्पताल में एक 93 वर्षीय वृद्ध को वेंटिलेटर पर डालना पड़ा। दो- तीन दिन के बाद वे ठीक हो गये। हस्पताल ने वेंटिलेटर की फीस के तौर पर ₹ 13000 का बिल थमा दिया।

     बुज़ुर्ग दहाड़ कर रोने लगे। हस्पताल के सुपरिटेंडेंट ने कहा, बाबा ! अगर पैसे नहीं हैं तो कोई बात नहीं, रहने दो; आप रोइये नहीं।

      वृद्ध ने कहा मैं समर्थ हूं, पैसे दूंगा। मैं रो इसलिए रहा हूं कि दो दिन की आक्सीजन का बिल ₹ 13000 है, जिस की आक्सीजन मैं 93 साल से इस्तेमाल कर रहा हूं, उसका धन्यवाद तो मैंने एक दिन भी नहीं किया !

    यह घटना एक गहन शिक्षा अवश्य देती है कि हमें उस ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए जिसने हमें इतना कुछ दिया है।

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