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नागपुर से 12 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर ट्रक पहुंचा इंदौर एयरपोर्ट; यहां प्लेन और हेलिकॉप्टर से प्रदेश भर में भेजा गया

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इंदौर

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी के बीच रविवार 125 बॉक्स इंदौर पहुंचे। इसमें लगभग 12 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन मौजूद थे। इसे स्टेट प्लेन और हेलिकॉप्टर से प्रदेश भर में पहुंचाया गया। इसके पहले गुरुवार को भी 200 बॉक्स इंजेक्शन लेकर नागपुर से ट्रक इंदौर एयरपोर्ट पहुंचा था।

रेमडेसिविर इंजेक्शन के 125 बॉक्स लेकर नागपुर से ट्रक इंदौर एयरपोर्ट पहुंचा। इस प्रकार 12 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप पहुंची। इंदौर के लिए 38 बॉक्स छोड़कर यहां से इन्हें स्टेट प्लेन और हेलिकॉप्टर से प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भेजा गया। इस दौरान एयरपोर्ट पर व्यवस्था के लिए एडीएम अजयदेव शर्मा प्रशासन के अन्य अधिकारियों के साथ मौजूद थे। बताया जा रहा है कि हर बॉक्स में करीब 48 इंजेक्शन हैं। इस हिसाब से 1824 से ज्यादा इंजेक्शन इंदौर के लिए रखे गए हैं।

रेमडेसिविर इंजेक्शन संभागों में

शहरबॉक्स
भोपाल25
जबलपुर21
ग्वालियर10
रीवा4
शहडोल3
रतलाम7
उज्जैन14
चंबल1
खंडवा4

क्या फायदा है रेमडेसिविर इंजेक्शन का

एक मरीज काे 4 से 10 इंजेक्शन लग सकते हैं
कोरोना संक्रमित को केवल रेमडेसिविर इंजेक्शन देने से उसकी सेहत में कोई बदलाव नहीं होता, लेकिन संक्रमण की शुरुआत में लक्षण सामने आना की स्टेज में स्टेरॉयड दवा के साथ रेमडेसिविर इंजेक्शन देने पर मरीज को आराम मिलता है। लेकिन गंभीर और अति गंभीर श्रेणी के संक्रमित मरीज को स्टेरॉयड के साथ रेमडेसिविर देने से उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं होता।

वजह- इस श्रेणी के मरीजों में स्टेरॉयड दवा भी बेअसर होती है। कोविड संक्रमित एक मरीज को 4 से 10 इंजेक्शन तक लगाए जाते हैं।

यह मॉडरेट पेशेंट के हॉस्पिटल स्टे को कम करता है
कोविड संक्रमित मरीज को शुरुआत में गले और फेफड़ों में सूजन आती है। फिर बुखार के साथ कोरोना के लक्षण उभरने लगते हैं। यह कोविड की मॉडरेट स्टेज है। इस स्टेज में मरीज को डॉक्टर्स स्टेरॉयड दवा देते हैं। यदि स्टेरॉयड के साथ रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाता है तो मरीज की सेहत में तेजी से सुधार होता है। नतीजतन, सिर्फ स्टेरॉयड दवा लेने वाले मरीज की तुलना में ज्वाइंट डोज लेने वाला मरीज 2 से 4 दिन पहले स्वस्थ हो जाते हैं।

किसे जरूरत है इस इंजेक्शन
कुछ दिन पहले इंदौर के डॉक्टरों की बैठक हुई थी इसमें अधिकतर डॉक्टरों का कहना था- ‘ यह इंजेक्शन केवल उन्हीं मरीजों के लिए है, जिनके फेफड़ों में 30 से 40% से अधिक संक्रमण है। आम जनता में यह भ्रम फैल चुका है कि यह इंजेक्शन सभी कोरोना पेशेंट को लगाना अनिवार्य है।

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