मुंबई
बीते हफ्ते शेयर बाजार में सपाट कारोबार हुआ। बाजार के प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी में 0.75% तक की मामूली गिरावट रही, लेकिन इन 5 कारोबारी दिनों में अडाणी ग्रुप के शेयरों ने हलचल मचा दी। इनमें पूरे हफ्ते गिरावट दर्ज की गई, जिनमें कुछ शेयर तो 25% तक गिरे। वहीं, अडाणी ग्रुप की कंपनियों की शेयर वैल्यू 1.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा गिर गई।
नतीजतन, गौतम अडाणी अब एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन की लिस्ट में तीसरे पायदान पर आ गए। पिछले महीने 21 मई को वो एशिया के दूसरे सबसे अमीर बने थे। उस समय अडाणी और अंबानी के नेटवर्थ का अंतर 75 हजार करोड़ रुपए था। लेकिन 14 से 18 जून के बीच अडाणी ग्रुप के शेयरों में तेज गिरावट की नतीजा ये कि ये फासला बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपए हो गया। अब मार्केट एक्सपर्ट्स अडाणी ग्रुप के शेयरों में निवेश से बचने की सलाह दे रहे हैं।
क्यों अडाणी ग्रुप के शेयर औंधे मुंह गिरे?
दरअसल, 14 जून को मार्केट खुलने से पहले खबर आई कि अडाणी ग्रुप की कंपनियों में तीन ऐसे विदेशी निवेशकों का निवेश है, जिनकी डीटेल डिपॉजिटरीज के पास भी नहीं है। इससे मार्केट में लिस्टेड अडाणी ग्रुप के सभी 6 शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। शेयर कारोबारी दिन में 25% तक गिरे।
ऐसे लगा 3 शेयरों में लोअर सर्किट
हफ्तेभर में अडाणी पावर, अडाणी ट्रांसमिशन, अडाणी टोटल के शेयर सोमवार से शुक्रवार के बीच हर दिन 5% तक टूटे यानी लोअर सर्किट लगा। इसी तरह अडाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में भी 14,17 और 18 जून को लोअर सर्किट लगा और शेयरों में इन 3 दिन 5% की गिरावट रही। यहां लोअर सर्किट से अर्थ है कि एक दिन में गिरावट की अधिकतम सीमा तक शेयर गिर गए।
हफ्तेभर में अडाणी टोटल गैस, अडाणी ट्रांसमिशन और अडाणी पावर के शेयरों से निवेशकों को 22% से ज्यादा का घाटा हुआ। एक्सपर्ट्स की मानें तो इन शेयरों में आगे भी गिरावट जारी रहने की आशंका है। बावजूद इसके कि अडाणी ग्रुप ने मामले पर सफाई दे दी है।
5 साल पुराना है मामला
ग्रुप के CFO ने इसको ‘पूरी तरह गलत रिपोर्ट को आगे बढ़ाने की दुर्भावनापूर्ण कोशिश’ बताया है। उन्होंने यह भी बताया कि रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट ने पुष्टि की है कि FPI के अकाउंट्स पर रोक नहीं लगाई गई है। उसके बाद 15 जून को अडाणी ग्रुप ने एक बयान जारी कर कहा कि कुछ डीमैट एकाउंट ‘सस्पेंडेड फॉर डेबिट’ कैटेगरी में हैं। यह कदम 16 जून 2016 को जारी SEBI के एक निर्देश पर उठाया गया था।
अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों का अकाउंट फ्रीज
जिन विदेशी कंपनियों को फर्जी माना जा रहा है, वे अलबुला इन्वेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड और APMS इन्वेस्टमेंट फंड हैं। नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के मुताबिक अडाणी की कंपनियों में इन कंपनियों का कुल निवेश 43,500 करोड़ है, लेकिन इनके बारे में सेबी के पास जानकारी नहीं है। साथ ही इन पैसों के मालिक का भी पता नहीं है। इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इन पर कार्रवाई की गई है। NSDL की वेबसाइट के मुताबिक इन अकाउंट्स को 31 मई को या उससे पहले फ्रीज किया गया था।
शेयरों में गिरावट से कंपनियों की मार्केट वैल्यू घटी
शेयरों में लगातार गिरावट से कंपनियों की मार्केट वैल्यू भी तेजी से घटी है। ग्रुप में शामिल 6 कंपनियों का कुल मार्केट कैप 11 जून को मार्केट बंद होने पर 9 लाख 42 हजार 895 करोड़ रुपए रहा, जो 19 जून को क्लोजिंग के बाद 1 लाख 52 हजार घटकर 7 लाख 90 हजार 278 करोड़ रुपए हो गया। यानी 5 कारोबारी दिनों में अडाणी ग्रुप की मार्केट वैल्यू 1.52 लाख करोड़ रुपए घट गई।
शेयरों में लगातार गिरावट जारी रहने की आशंका, निवेश न करने की राय
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के वाइस प्रेसिडेंट चंदन तापड़िया कहते हैं कि निवेशकों को फिलहाल अडाणी ग्रुप के शेयरों में निवेश से बचना चाहिए। जिनका निवेश है, उन्हें होल्ड रखने यानी पोजिशन बनाए रखने की सलाह होगी। उन्होंने कहा कि निवेशकों को मामला खत्म होने तक इन शेयरों में निवेश दूसरे क्वालिटी में करने की सलाह होगी।
2021 में एक हफ्ते में गौतम अडाणी की नेटवर्थ दुनिया में सबसे ज्यादा घटी
अडाणी ग्रुप के शेयरों में गिरावट से ग्रुप चेयरमैन गौतम अडाणी की नेटवर्थ भी तेजी से घटी है। नतीजतन, अब वे एशिया के तीसरे सबसे अमीर कारोबारी हैं। ब्लूमबर्ग बिलियनर्स इंडेक्स के मुताबिक उनकी कुल संपत्ति 67.6 अरब डॉलर (5.01 लाख करोड़ रुपए) हो गई है। जबकि लिस्ट में मुकेश अंबानी सबसे ऊपर हैं, उनकी कुल संपत्ति 84.5 अरब डॉलर (6.26 लाख करोड़ रुपए) है।
पिछले हफ्ते अडाणी दूसरे पायदान पर थे और माना जा रहा था कि आने वाले दिनों में वे अंबानी को पीछे छोड़ देंगे। लेकिन शेयरों में जारी गिरावट से अंबानी और अडाणी के बीच का फासला 1.25 लाख करोड़ रुपए का हो गया है। बता दें कि अडाणी 2021 में अब तक सबसे ज्यादा रकम गंवाने वाले बिजनेसमैन बन गए हैं।
अडाणी के लिए आगे की राह फिलहाल आसान नजर नहीं आ रही
अब अडाणी के लिए एशिया का सबसे अमीर बिजनेसमैन बनने में काफी मुश्किल लग रही है। क्योंकि उनकी कंपनियों के लिए आने वाले दिन आसान नहीं होंगे…
- देश में 6 एयरपोर्ट को 50 साल तक चलाने के लिए अडाणी ने टेंडर जीता था। पर पिछले 14 महीनों से कोरोना की वजह से आवाजाही कम होने से एयरपोर्ट बिजनेस पर भी असर पड़ रहा है। जबकि मेंटेनेंस और खर्चे उसी तरह से हैं। आने वाले कुछ महीनों तक एयरपोर्ट पर आवाजाही कम रहेगी और इंटरनेशनल ट्रैवल भी प्रतिबंधित रहेगा।
- अडाणी का ऑस्ट्रेलिया में कोल माइंस का प्रोजेक्ट फंसा हुआ है। यहां पर लगातार विरोध जारी है। साथ ही भारतीय स्टेट बैंक इसे कर्ज भी नहीं दे रहा है।