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 दुनिया का सबसे बड़ा युद्ध अपराधी देश कौन रूस या अमेरिका ?

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-निर्मल कुमार शर्मा,

वर्तमान समय की दुनिया की कथित न्याय व्यवस्था भी बड़ी बिस्मित कर देनेवाली दु:खद, विचित्र और बर्बर तरीके की हास्यास्पद है ! वास्तव में इस दुनिया के लगभग सभी देशों की न्याय व्यवस्था में ही ऐसी कुव्यवस्था है कि दोषी कोई और होता है,और कठोतम् दंड यथा फांसी से लेकर,गोली मारने और बिष के इंजेक्शन तक लगाकर किसी अन्य निरपराध,निरीह,गरीब असहाय को जबरन मौत के मुंह में धकेल दिया जाता है ! यह बिल्कुल तथ्यपरक बात सटीक ऐतिहासिक साक्ष्य और तथ्य आधारित अकाट्य सत्य है कि इस दुनिया के सभी देशों की कथित न्यायिक व्यवस्था में न्याय का झुकाव हमेशा ही ताकतवर व संप्रभु वर्ग की तरफ ही होता रहा आया है और दूसरी तरफ इसके ठीक विपरीत दुनिया के गरीबों,निर्बलों,मजलूमों,मजदूरों, किसानों,मेहनतकश वर्गों आदि को बर्बरतापूर्ण कुचलने और उन्हें रौंदने का ही कुकृत्य हमेशा किया जाता रहा है ! ठीक यही स्थिति हर देश के शासन,प्रसाशन,सेना,पुलिस आदि विभागों की भी है,उक्त वर्णित कथित शासन के सहयोगी सभी निकाय हमेशा ताकतवर लोगों और वर्गों के अवैध अधिकारों की हिफाजत के लिए अपने हाथ बांधे सदैव खड़े रहते हैं ! ऐसा नहीं कि यह असंवैधानिक,अलोकतांत्रिक और आमजनविरोधी बातें किसी एक देश तक सीमित हों,ऐसा बिल्कुल नहीं है,ये बातें दुनिया भर के सभी देशों में नीचे से ऊपर तक मतलब वहां के गांवों,कस्बों,जिलों,राज्यों,देशों और उससे भी ऊपर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी गरीब और सैन्यतौर पर कमजोर राष्ट्रों के साथ इस दुनिया के कुछ ताकतवर राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मनमानी,बर्बरता और गुंडागर्दी करते चले आ रहे हैं !
इस लेख में आगे इसे उदाहरण देकर इस विचार को परिपुष्ट करेंगे कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस दुनिया के छोटे-छोटे,सैनिक दृष्टिकोण से कमजोर और निर्बल राष्ट्रों को दुनिया के कथित दारोगा बने कुछ अशिष्ट और बर्बर देश कैसे उनकी आर्थिक और सैन्य तौर पर बेइज्जती और प्रताड़ित करने का कुकृत्य करते रहते हैं ! अभी हम अपना ध्यान रूस-यूक्रेन युद्ध पर केन्द्रित करते हैं । इस बात को इस दुनिया का हर व्यक्ति खूब ठीक से जानता और समझता है कि वर्ष 1991में तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के साथ-साथ सोवियत संघ गुट के नाटो के मुकाबले मजबूरी में बनाए गए वारसा सैन्य संगठन का भी तत्काल ही विखराव हो गया,इस स्थिति में जब दुनिया में अमरीका के रूप में एक इकलौती आर्थिक व सैन्य महाशक्ति बची रह गई,इस स्थिति में नाटो नामक नापाक सैन्य संगठन को यथावत रहने का कोई औचित्य ही नहीं रह गया था, विश्वशांति और युद्ध की विभीषिका से बचने की खातिर नाटो नामक नापाक सैन्य संगठन को भी अनिवार्यतः उसी समय खत्म कर देना चाहिए था,लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत ! अमेरिका के युद्धपिपासु तथा मानवरक्तपिपासु कर्णधारों की इस दुनिया में शांति स्थापना करने के प्रयत्न करने के ठीक विपरीत समस्त दुनिया को सदा युद्ध में झोंकने और युद्ध में उलझाए रखने की निकृष्टतम् अदम्य जीजिविषा अभी भी बनी रही,उन्होंने अपने नापाक नाटो सैन्य संगठन को खत्म करने की जगह उलटे उसकी सदस्य संख्या को उत्तरोत्तर बढ़ाते रहे,यहां तक कि उसकी सदस्य संख्या शीतकाल के समय की संख्या से भी दोगुना कर लिए ! इसकी इंतिहा तब हुई,जब अमेरिका जैसा देश अब सैन्य तथा आर्थिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बिल्कुल निस्तेज से हो रहे रूस जैसे देश की पश्चिमी सीमा तक पर अपने पक्ष में किए गए पोलैंड,लिथुआनिया,एस्टोनिया आदि जैसे नाटो देशों में रूस की राजधानी मास्को को लक्षित करते हुए इंटरकांटिनेंन्टल मिसाइलों की तैनाती करने के लिए तैयारी करने लगे ! उससे भी आगे बढ़-चढ़कर तत्कालीन सोवियत संघ के समय में उसके एक हृदय प्रदेश रहे यूक्रेन,जो रूस की राजधानी मास्को से मात्र कुछ सौ मील दूर है, को भी अपने नापाक नाटो सैन्य संगठन में सम्मिलित करने की हिमाकत करने के कुकृत्य में संलिप्त हो गया !..और यही अमेरिकी साम्राज्यवादियों का कुकृत्य वर्तमान समय में पूरी विश्वमानवता को तृतीय विश्व युद्ध की विभीषिका के दावानल में जाने को अभिशापित होने को बाध्य करनेवाले रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए सबसे बड़ा कारक तत्व भी है ! जिसका सबसे बड़ा खलनायक इकलौता युद्ध पिपासु देश अमेरिका ही है !
उसी अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन साहब ने अभी पिछले दिनों रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले में वहां के कुछ अस्पतालों और उनके प्रसूति वार्डों पर हमलों में मारे गए लोगों से बेहद आहत होकर एक बयान जारी कर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादीमीरोविच पुतिन को ‘युद्ध अपराधी ‘घोषित कर उन पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाकर उन्हें कठोरतम् दंड देने की पुरजोर वकालत किए हैं,जिसका उनके पिछलग्गू यूरोपियन देशों के अलावा आस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों ने भी अपने कथित महाबली नेता अमेरिका का आंख मूंदकर पुरजोर समर्थन किए हैं ।
लेकिन किसी के द्वारा किसी को तुरंत युद्ध अपराधी कह देना और उसे सार्वजनिक तौर पर घोषित कर देना इतना आसान नहीं होता ! केवल किसी अगंभीर,सतही सोच के मन-मस्तिष्क के व्यक्ति के अनर्गल प्रलाप से कोई युद्ध अपराधी नहीं बन जाता ! अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कौन युद्ध अपराधी है और कौन नहीं है ? इसका निर्णय करने का परम् अधिकार अमेरिका जैसे देश के राष्ट्रपति को तो आज बिल्कुल ही नहीं है ! युद्ध अपराधी तय करने के लिए परिभाषाएं, प्राथमिकताएं और प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित हैं ।
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अपने समकक्ष रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादीमीरोविच पुतिन के लिए इस ‘शब्द ‘के प्रयोग के बाद व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर बताया कि ‘इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति अपने दिल से बोल रहे थे ! ‘अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के इस मुंहफट और अभद्र बयान पर संयुक्त राष्ट्र के सिएरा लियोन स्थित विशेष अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य अभियोजक श्री डेविड क्रेन,जो दशकों तक युद्ध अपराध पर काम किए हैं,ने कहा कि ‘स्पष्ट रूप से पुतिन एक युद्ध अपराधी हैं, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति इस पर बगैर सोचे-समझे कुटिल राजनीति कर रहे हैं !’
संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार परिषद द्वारा जांच आयोग स्थापित करने के प्रस्ताव के बाद अमेरिका और उसके अन्य 44 पिछलग्गू देशों की संयुक्त टीम यूक्रेन में रूस द्वारा संभावित युद्ध नियमों के उल्लंघनों और दुर्व्यवहारों की जांच कर रहे हैं,इसके अतिरिक्त नीदरलैंड में स्थित एक स्वतंत्र निकाय तथा अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय द्वारा अलग से जांच की जा रही है ।

  युद्ध अपराध है क्या ?

         अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय के अनुसार 'किसी भी नागरिक आबादी के खिलाफ हमला, नागरिकों की हत्या, विनाश,जबरन स्थानांतरण,यातना,औरतों से बलात्कार और यौन दासता युद्ध अपराध है '
        युद्ध अपराधी को दंडित करने के निम्नलिखित 4 रास्ते हैं-पहला-अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय के माध्यम से,दूसरा-संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा नियुक्त जांच आयोग के माध्यम से,तीसरा-अमेरिका और उसके पिछलग्गू देशों के नापाक सैन्य संगठन नाटो द्वारा गठित न्यायालय द्वारा मुकदमा चलाकर और चौथा- युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए कुछ देशों ने अपने देश में स्वयं कानून बना रखे हैं उदाहरणार्थ जर्मनी अपने स्तर पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादीमीरोविच पुतिन के किए कथित अपराधों की जांच कर रहा है,उधर नाटो के सरगना,जो अभी अफगानिस्तान के एक छोटे से आतंकवादियों के संगठन से डरकर भाग खड़ा हुआ,वही अमेरिका के न्याय विभाग के एक विशेष खंड है,जो अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार यातना,बाल सैनिकों की भर्ती और महिला जननांग विकृति आदि कृत्यों पर केंद्रित है,वह भी जांच कर रहा है ।
       अमेरिका और उसके पिछलग्गू देशों द्वारा बनाए गए नापाक सैन्य संगठन नाटो द्वारा पिछले कुछ वर्षों पूर्व इस दुनिया के आर्थिक और सैन्य दृष्टिकोण से कुछ बहुत कमजोर और छोटे राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ कितनी बर्बरता और अन्यायपूर्ण व्यवहार किए हैं,इसपर दृष्टिपात करते हैं उदाहरणार्थ बोस्निया, कंबोडिया, रवांडा, यूगोस्लाविया,लाइवेरिया,इराक आदि छोटे-छोटे देश के शासकों यथा स्लोबोडन मिलोसेविक, राडोवन कराइजिक,जनरल रत्को क्लाडिक और टेलर और सद्दाम हुसैन आदि के खिलाफ खुद ही या अपने चमचों के द्वारा कथित न्यायालय गठित कर अपने चमचों को जज बनाकर किसी को 50वर्ष तो किसी को आजीवन कारावास की सजा,तो इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को सरेआम फांसी पर लटका देने का षड्यंत्र कर दिया !
         इसीलिए सैन्य और कूटनीतिक तौर पर महाबली रूस इन नापाक नाटो संगठन जिसका नेता अमेरिका है और उसके पिछलग्गुओं द्वारा निर्मित नीदरलैंड के एक शहर हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय के ढोंग को कोई तवज्जो ही नहीं देता ! न वह इस फर्जी अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय में अपने किसी रूसी प्रतिनिधि को भेजता ! 
        यक्षप्रश्न है कि यही अमेरिका जब निम्नलिखित युद्धों को जबरन थोपकर उदाहरणार्थ- कोरिया युद्ध वर्ष 1950से वर्ष 1953 तक,जिसमें केवल दक्षिण कोरिया के 4लाख लोगों को मौत की सजा मिली,वियतनाम युद्ध वर्ष 1955 से वर्ष 1975 तक,जिसमें 30 लाख लोग मौत के घाट उतारे गए ,अफगानिस्तान युद्ध वर्ष 2001से वर्ष 2021तक,जिसमें 2लाख 40हजार लोग मरे,इराक युद्ध वर्ष 2003से वर्ष 2011 तक,जिसमें 10लाख लोगों को कत्ल किया गया ! वहां के राष्ट्रपति को फांसी पर लटकाने वाले हत्यारों को कोई रासायनिक हथियार बनाने का कारखाना भी नहीं मिला, लेकिन महान बेबीलोन सभ्यता को संजोए इराकी राष्ट्र राज्य को मटियामेट कर दिया गया ! अब प्रश्न उठता है कि उक्त देशों की करोड़ों जनता का अमेरिकी साम्राज्यवादियों की सेना द्वारा पिछले 71सालों से क्रूर हत्याएं,औरतों से बलात्कार किया जा रहा था,तब ये नपुंसक संयुक्त राष्ट्र संघ,संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार परिषद,अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक न्यायालय कहां थे ? क्या कोरिया, जापान, वियतनाम,इराक,अफगानिस्तान आदि देशों पर कथित मानवाधिकार का सबसे बड़ा प्रवक्ता बमों की जगह गुलाब के सुगंधित पुष्प गिराकर लोगों की क्रूर हत्याएं कर रहा था ? 
        विश्वमानवता और विश्वशांति की कितनी त्रासद दु:स्थिति आज के दिन भी बनी हुई है कि आज के दिन भी नापाक नाटो सैन्य संगठन के सदस्य देशों यथा जर्मनी,इटली, जापान, ब्रिटेन,स्पेन, तुर्की, लाटविया, लिथुआनिया, पोलैंड, बेल्जियम,ग्रीस,नार्वे, रोमानिया आदि देशों में अमेरिकी फौज तैनात हैं ! सबसे बड़ी त्रासद दु :स्थिति यह है कि जिस जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर क्रमशः 6 अगस्त और 9 अगस्त 1945 को प्रातः काल में ही अपने दो अत्यंत संहारक लिटिलबाय और फैटमैन नामक परमाणु बमों को गिराकर मिनटों में 2 लाख 46 हजार बच्चों,औरतों,वृद्धों और आमजन को राख में मिला देनेवाले क्रूर,वीभत्स,अमानवीय और नरपिशाच अमेरिकी साम्राज्यवाद के कर्णधारों को सबसे पहले अपने गिरेबान में एकबार जरूर झांककर देख लेना चाहिए ! प्रश्न यह भी है कि क्या आज अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अपने समकक्ष रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादीमीरोविच पुतिन के लिए इस 'शब्द 'के प्रयोग के बाद व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर बताया कि 'इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति अपने दिल से बोल रहे थे ! ' तो क्या हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराकर लाखों लोगों को मिनटों में राख में बदलकर रख देनेवाला नरपिशाच अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन उस समय भी अपने दिल का बेहतरीन प्रयोग किया था ? इसलिए सबसे बड़े युद्ध अपराधी अमेरिकी स्वयं हैं,न कि अपनी रक्षात्मक लड़ाई लड़ने को बाध्य किया जाने वाला रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादीमीरोविच पुतिन और रूस है ! 

        -निर्मल कुमार शर्मा, 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में पाखंड, अंधविश्वास,राजनैतिक, सामाजिक,आर्थिक,वैज्ञानिक, पर्यावरण आदि सभी विषयों पर बेखौफ,निष्पृह और स्वतंत्र रूप से लेखन ', गाजियाबाद, उप्र
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