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खुशी और गम के बीच बीता वर्ष 2024

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– खेल के मैदान में मयंक व अंशु ने लहराया तिरंगा तो सदा के लिए गुम हो गयी शारदा की आवाज – 27 सितंबर को आयी बाढ़ ने लाखों लोगों को किया बेघर, हजारों एकड़ में लगी फसल हुआ बर्बाद सुपौल वर्ष 2024 ने भावनाओं के कई रंग दिखाए. यह साल किसी के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया तो किसी के लिए आंसुओं की एक गहरी लकीर छोड़ गया. समय के इस चक्र में कुछ पल ऐसे रहे जो दिल को सुकून दे गए, तो कुछ ऐसे जो हमेशा के लिए एक खालीपन दे गए.

एक ओर जहां खेल के मैदानों में युवा खिलाड़ियों ने इतिहास रचकर तिरंगे को ऊंचा किया. शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में हुई प्रगति ने नई संभावनाओं के द्वार खोले. वहीं यह साल गमगीन भी रहा. प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटनाओं और बिछड़ों की यादों ने हर दिल को झकझोर दिया. कहीं बाढ़ ने लोगों के आशियाने छीन लिए, तो कहीं सूखे ने खेतों को वीरान कर दिया. कई परिवार अपनों को खोने का दर्द सहते हुए नया साल मनाने की तैयारी कर रहे हैं. यह साल मानवता के लिए एक बड़ा सबक भी बनकर आया

. लोगों ने अपनी हार-जीत, खुशियां-गम मिलकर बांटे. बिछड़ने के गम ने रिश्तों की अहमियत सिखाई, तो खुशियों के लम्हों ने हर दिल में उम्मीद की एक नई लौ जगाई. 2024 ने हमें सिखाया कि जीवन में हर परिस्थिति एक कहानी बनकर आती है. खुशी और गम के इस संगम हमें इंसानियत का मतलब सिखाया है. सदा के लिए गुम हो गई शारदा की मधुर आवाज राघोपुर प्रखंड के हुलास गांव की बेटी संगीत जगत को अपने सुरों से सजीव करने वाली शारदा की आवाज अब केवल यादों में गूंजेगी.अपनी अनूठी गायकी और दिल छू लेने वाले गीतों से लोगों के दिलों पर राज करने वाली शारदा सिन्हा ने 05 नवंबर को सदा के लिए अपनी आवाज बंद कर ली.

उनकी असमय मृत्यु ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया. शारदा ने कई दशकों तक अपने गीतों से संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया. उनका हर गीत जैसे दिल की गहराइयों से निकला एक एहसास था. चाहे वह प्रेम के मधुर गीत हों या जीवन की गहराईयों को छूती हुईं लोकगीत शारदा की आवाज़ ने हर बार श्रोताओं के दिलों में जगह बनाई.आज उनकी आवाज़ को सुनने के लिए लोग कैसेट प्लेयर पर उनके पुराने गीत सुन रहे हैं. संगीत प्रेमियों के लिए यह एक ऐसा खालीपन है जिसे कोई भर नहीं सकता. शारदा की आवाज़ तो खामोश हो गई, लेकिन उनकी मधुरता हमेशा उनके गीतों के जरिए जीवित रहेगी.

मयंक और अंशु ने खेल के मैदान में बढ़ाया जिले का मान जिला गौरव का प्रतीक बने मयंक और अंशु ने अपनी मेहनत और लगन से खेल के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है. मरौना प्रखंड के मयंक ने जहां क्रिकेट के मैदान में अपनी गेंदबाजी से हर खेलप्रेमियों का दिल जीता है. वहीं पिपरा प्रखंड की अंशु ने अंतराष्ट्रीय खेल मैदान में रग्बी खेल में शानदार प्रदर्शन करते हुए जिले का नाम रोशन किया. दोनों खिलाड़ियों की इस उपलब्धि ने न केवल जिले का मान बढ़ाया है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने हैं.

27 सितंबर कोसी में आयी बाढ़ ने लाखों लोगों को किया बेघर 27 सितंबर की रात कोसी नदी में आयी बाढ़ में जिले के पांच प्रखंड के 10 पंचायत पूर्ण व 21 पंचायत आंशिक रूप से बाढ़ से प्रभावित हुआ. इन पंचायतों के लगभग 01 लाख 30 हजार 235 लोग प्रभावित हुए. 14 हजार 222 हेक्टेयर भूमि में लगे फसल को बर्बाद हो गया. लेकिन पीड़ितों ने पुन: अपनी मेहनत के बल पर खड़ा होकर उजड़े आशियाना व बंजर खेत को जोतकर हरा-भरा किया.

इस विडियो में हम विक्रांत मैसी, स्वाति मालीवाल, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल, मुक्केबाज विजेंदर सिंह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पलट जाने की कहानी बता रहे हैं.

अनिश्चितताओं से भरी इस दुनिया में सिर्फ एक चीज निश्चित है, वह है समय का बदलना. बदलाव की इस कड़ी में यह साल भी बीत गया, नया साल आ गया. बीत रहा साल बहुत सारे बदलावों का गवाह बना. 

इन्हीं में से कुछ बदलाव ऐसे रहे जो स्मृतियों में दर्ज हो गए. ये वो लोग और घटनाएं हैं जो सिर्फ समय की गति में बदले नहीं हैं, बल्कि उन्होंने पूरा का पूरा यू-टर्न मार लिया है.

इस विडियो में हम विक्रांत मैसीस्वाति मालीवाल, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल, मुक्केबाज विजेंदर सिंह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पलट जाने की कहानी बता रहे हैं, जिनके चारित्रिक बदलाव देख लोग चकित रह  गए.

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