रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने आज मोदी सरकार द्वारा पेश अंतरिम बजट की दिशा को कॉर्पोरेटपरस्त करार देते हुए किसान विरोधी बताया है। किसान सभा ने कहा है कि किसानों की आय बढ़ाने, समर्थन मूल्य में वृद्धि करने और रोजगार सृजन की जुमलेबाजी के बाद भी हकीकत यही है कि सभी फसलों के लिए सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने और किसानों पर चढ़े कर्जे से उन्हें मुक्त करने के मामले में चुप्पी साध ली गई है, जबकि कॉर्पोरेट करों में कमी के साथ ही वर्ष 2014 से अब तक उनके 15 लाख करोड़ रुपयों के कर्जे माफ किए गए हैं। सी-2 आधारित समर्थन मूल्य न मिलने के कारण छत्तीसगढ़ के किसानों को एक सीजन में ही हर साल 28350 रूपये प्रति एकड़ का नुकसान हो रहा है। मनरेगा में जिन नए नियमों को लागू किया गया है, उसके कारण छत्तीसगढ़ में रोजगार गारंटी कार्ड होने के बावजूद लगभग 17 लाख परिवार रोजगार पाने के पात्र नहीं होंगे। किसान सभा ने कहा है कि मोदी सरकार की इन किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदेश में “लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं” अभियान चलाया जाएगा।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते, सह-संयोजक ऋषि गुप्ता और वकील भारती ने कहा है कि 25 करोड़ लोगों को गरीबी से निकालने का मोदी सरकार का दावा हवा-हवाई ही है, क्योंकि ऑक्सफैम की नई रिपोर्ट बता रही है कि भारत में स्वास्थ्य पर बढ़े खर्चों के कारण प्रति सेकंड दो लोग और हर साल 7 करोड़ लोग गरीबी की दलदल में फंस रहे हैं। देश में पहले से ही 80 करोड़ लोग मुफ्त के अनाज पर जिंदा हैं। इसलिए साफ है कि देश की अर्थव्यवस्था के कथित विकास के फायदे केवल कुछ लोगों की तिजोरियों में कैद हो रहे हैं और देश में मोदी राज के दस सालों में भयंकर आर्थिक असमानता बढ़ी है।
किसान सभा नेताओं ने कहा है कि अंतरिम बजट प्रस्तावों से न तो रोजगार का सृजन होने वाला है और न ही आम जनता की क्रय-शक्ति में कोई वृद्धि होने वाली है। इससे वैश्विक मंदी की पृष्ठभूमि में हमारे देश की अर्थव्यवस्था और गर्त में जाएगी। किसान सभा इस जन विरोधी, किसान विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त बजट के खिलाफ प्रदेश में “लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं” अभियान चलाएगी।