संसद के दोनों सदनों में अब भाजपा के पास एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं होगा। पार्टी ने अब तक जारी राज्यसभा के उम्मीदवारों की तीन सूची में मुसलमान बिरादरी के तीनों चेहरों से परहेज किया है। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, जफर इस्लाम और एमजे अकबर को उम्मीदवार नहीं बनाया है। अब महज दो सीटें (राजस्थान व हरियाणा की एक-एक) ही बची हैं, मगर यहां जीत हासिल करने के लिए पार्टी के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है।
पार्टी ने रविवार देर रात दो नामों का और एलान किया था। उनमें महाराष्ट्र से धनंजय महाडिक और झारखंड से प्रदेश महासचिव आदित्य साहू को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं, संघ के बेहद करीबी माने जाने वाले विनय सहस्त्रबुद्धे, पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु, ओपी माथुर, संजय सेठ, दुष्यंत गौतम, जयप्रकाश निषाद टिकट पाने में नाकाम रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को संभवत: रामपुर से लोकसभा का उपचुनाव लड़ाया जाएगा। इसमें अगर नकवी जीत जाते हैं तो ठीक नहीं तो उनके भविष्य का फैसला बाद में होगा।
भाजपा ने चार और प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की
भाजपा ने चार और नामों की घोषणा की। इनमें यूपी से मिथलेश कुमार और डॉ के लक्षमण के अलावा मध्य प्रदेश से सुमित्रा वाल्मीकि और कर्नाटक से लहर सिरोया के नाम शामिल हैं। मिथिलेश कुमार शाहजहांपुर के दलित नेता है। वह सपा के सांसद भी रह चुके हैं। लक्ष्मण तेलंगाना के हैं और गृहमंत्री शाह के करीबी माने जाते हैं।
रालोद प्रमुख जयंत ने भी भरा नामांकन
राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी ने सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। जयंत समाजवादी और रालोद के संयुक्त उम्मीदवार हैं।
महाराष्ट्र में भाजपा ने तीसरा उम्मीदवार उतारकर बढ़ाई शिवसेना की टेंशन
महाराष्ट्र में राज्यसभा की छह सीटों के चुनाव में भाजपा-शिवसेना आमने-सामने आ गई है। सात उम्मीदवार के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। शिवसेना ने दो उम्मीदवार उतारकर पहले ही चुनाव को पेचीदा बना दिया था। वहीं, अब भाजपा ने तीसरा प्रत्याशी उतारकर शिवसेना की टेंशन बढ़ा दी है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ ही वरिष्ठ नेताओं अनिल बोंडे और धनंजय महाडिक को मैदान में उतारा है।
मोदी के निर्देश पर आगे का कदम उठाएंगे आरसीपी
जदयू से राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने सोमवार को कहा कि मंत्री पद पर बने रहने या इस्तीफा देने के बारे में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर काम करेंगे। जिस पार्टी के सिंह कभी अध्यक्ष थे, उसी में किनारे लगा दिए जाने के बाद पहली बार पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वफादार हैं और उन्हीं की पूर्ण सहमति से केंद्र में मंत्री बने थे। वहीं, नीतीश कुमार ने कहा है कि सिंह को समय से पहले मंत्री पद छोड़ने की जरूरत नहीं है। नीतीश ने कहा, आरसीपी को पार्टी ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी हैं जिनमें लगातार दो बार सांसद बनाना भी शामिल है। आईएएस अधिकारी रहने के समय से ही उन्हें मान्यता दी जा रही है।