केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवीने बुधवार अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कल ही उनकी राज्यसभा की सदस्यता खत्म हो रही है। अब वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहेंगे, ऐसे में वह बिना किसी सदन के सदस्य होते हुए भी अगले 6 महीने तक मंत्री बने रह सकते थे लेकिन उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उनकी नई भूमिका को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। हाल ही में हुए राज्यसभा और लोकसभा उपचुनाव में उम्मीदवार न बनाए जाने के बाद ही नई जिम्मेदारी को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। मुख्तार अब्बास नकवी ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। नकवी केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री थे। गुरुवार यानी कल नकवी का कार्यकाल समाप्त होते ही 395 सांसदों वाली भारतीय जनता पार्टी में अब कोई मुस्लिम सांसद नहीं होगा।
नकवी के जाते ही यहां भी अब कोई नहीं
बीजेपी की ओर से राज्यसभा में पार्टी की ओर से जो मुस्लिम चेहरे थे उनका कार्यकाल समाप्त हो गया है। बीजेपी के राज्यसभा में तीन मुस्लिम सांसद थे मुख्तार अब्बास नकवी ,सैय्यद जफर इस्लाम और एम जे अकबर। सैय्यद जफर इस्लाम और एम जे अकबर का कार्यकाल कुछ दिन पहले ही समाप्त हो गया। वो पार्टी के प्रवक्ता भी हैं उनका कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो गया। वहीं एम जे अकबर का कार्यकाल 29 जून को ही समाप्त हो गया था। सपा नेता अमर सिंह के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट पर साल 2020 में बीजेपी ने सैय्यद जफर इस्लाम को उम्मीदवार बनाया था। 2020 सितम्बर महीने में वो चुनकर राज्यसभा पहुंचे थे।
नकवी तीन बार राज्यसभा सदस्य रहे, नजमा हेपतुल्ला दो बार और शाहनवाज हुसैन जो वर्तमान में बिहार सरकार में मंत्री है दो बार लोकसभा के लिए चुने गए। मुख्तार अब्बास नकवी एक बार लोकसभा सांसद भी रहे। पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे सिकंदर बख्त भी दो बार राज्यसभा सांसद रहे। ऐसे में काफी लंबे समय बाद ऐसा होगा जब बीजेपी के पास कोई मुस्लिम सांसद नहीं होगा।
लोकसभा में भी नहीं है बीजेपी की ओर से कोई मुस्लिम सांसद, विपक्ष का सवाल
लोकसभा में पहले से ही बीजेपी का कोई मुस्लिम सांसद नहीं है। पिछले लोकसभा यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की ओर से कुछ मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारा गया लेकिन किसी को जीत हासिल नहीं हुई। वहीं एनडीए की बात जाए तो बिहार से एक मात्र मुस्लिम चेहरा महबूब अली कैसर हैं जो लोजपा के टिकट पर चुनाव जीते हैं।
ऐसे वक्त में जब न केवल लोकसभा बल्कि राज्यसभा में भी बीजेपी का कोई मुस्लिम सांसद नहीं होगा। विपक्ष पहले से ही बीजेपी पर यह आरोप लगाता रहा है कि बीजेपी मुस्लिमों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं देती है। लोकसभा और राज्यसभा में कोई सांसद नहीं हैं वहीं कुछ ही राज्यों में ही बीजेपी के मुस्लिम विधायक हैं। हालांकि विपक्ष के आरोपों पर पार्टी के नेताओं का कहना है कि इसको धर्म के साथ जोड़कर देखना उचित नहीं है।
पसमांदा मुसलमानों पर नजर… कैसे बढ़ेगी भागीदारी
यूपी के रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी की जीत से पार्टी के नेता उत्साहित हैं। दरअसल इन दोनों ही सीटों पर मुस्लिम वोट बैंक निर्णायक की भूमिका निभाता रहा है। रामपुर में तो पहले भाजपा जीती थी लेकिन आजमगढ़ की जीत उसके लिए सबसे बड़ी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने हैदराबाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रेजेंटशन दिया। उन्होंने बताया कि भाजपा की इस जीत में मुस्लिम मतदाताओं का भी योगदान रहा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से बड़ा सुझाव आया। पीएम ने कहा कि अल्पसंख्यकों में जो वंचित और कमजोर तबका है, उन तक भी पहुंच बनानी चाहिए। दरअसल पीएम का इशारा मुस्लिम समाज में पिछड़े माने जाने वाले पसमांदा मुसलमानों की तरफ था।
पसमांदा मुसलमानों के नेता लगातार दावा करते हैं कि अल्पसंख्यक आबादी में 80-85 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान ही हैं लेकिन उनको उनकी संख्या के हिसाब से हक नहीं मिलता। दरअसल मुस्लिम समाज में पिछड़े और दलित वर्ग से आने वाले मुसलमानों को पसमांदा मुसलमान कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय में इनकी संख्या करीब 80 प्रतिशत बताई जाती है। बाकी के 20 प्रतिशत में सैयद, शेख, पठान जैसे उच्च जाति के मुसलमान हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद की बैठक में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से सभी समुदायों और वंचित वर्गों तक पहुंच सुनिश्चि करने को कहा है। बीजेपी को इस दिशा में आगे बढ़ना है और जीत को रामपुर और आजमगढ़ तक ही नहीं सीमित रखना है तो आने वाले वक्त में भागीदारी बढ़ानी होगी।