अग्नि आलोक
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आपात काल भी था … मगर वो समय भी ऐसा नही था, …

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हेमंत मालवीय 

अंततः मेरा प्रारब्ध मुझे वहां तक ले ही आया जहां आने के लिए इस देश की मिट्टी औऱ सियासी हालात ने मुझे कार्टूनिस्ट के रूप में जन्म दिया .. सोशल मीडिया की खबरों के अनुसार एक कार्टून बनाने के कारण योग व्यवसायी बाबा रामदेव की व्यवसायी संस्था पतंजलि ने मेरे औऱ एक अन्य कार्टूनिस्ट के खिलाफ धारा 153a जो एक गैर जमानती धारा है उत्तराखंड के हरिद्वार के कनखल थाने में मुकदमा दर्ज कराया है ! और मेरी तलाश जारी हो चुकी है …

मैं भागूंगा नही …भाग कर जाऊंगा भी तो कहा ? औऱ  बाबा की तरह तो कतई नही भाग सकता !  शुगर हाइपरटेंशन ब्लड प्रेशर का शिकार हार्ट अटैक झेल चुका दिल का मरीज हु ….मेरा एक परिवार है… ! ना मैं बाबा रामदेव जैसा ताकतवर अमीर व्यवसायी आदमी ठहरा जिसने इतने वकील रख रखे हो कि अलग से पतञ्जलि लीगल सेल ही खोल रखी है लोगो पे मुकदमे लगाने के लिए , 

मैं तो अदना सा गरीब कार्टूनिस्ट हु , जो पैसे रसूख औऱ सत्ता की ताकत के आगे 130 अरब जनता में  तो मामूली सी चींटी जितनी हैसियत भी नही रखता , एक आम आदमी के नाते कार्पोरेट राजनीति मिडिया की नाटक बाजी झेल नही पाता तो अपनी फ्रस्ट्रेशन को अपनी वाल पे अपने दायरे में कभी कार्टुन कभी व्यग्य कटाक्ष कर अपने मानसिक तनाव को निकाल लिया करता है …! मुझे कतई अंदाज नही था ऐसा करना अपराध है ..! 

मुझे देश की महान कानून व्यवस्था पे पूरा भरोसा है, …

पर मेरे पास इतना पैसा नही है कि पतंजलि के वकीलों की फौज से एक अदद वकील खड़ा कर लड़ भी पाऊ …सो जब चाहो तब समर्पण कर दूंगा.. 

बचपन से मे मैं गांधी जी औऱ भगत सिंह के बारे में पढा करता था.  … सोचता था आज अगर भगत सिंह जिंदा होते तो वे आजकल के हालात पे किस तरह रिएक्ट करते…? और यदि वे कर पाते तो क्या आज हमारे आज के समाज हालत में उन्हें भगत सिंह ही समझा जाता ? …..

70 के दशक में मेरे पिता भी ऐसे ही कार्टूनिस्ट थे … कार्टूनों में उनके सवाल भी ऐसे ही तीखे होते थे ! ऐसे ही करारे कटाक्ष करते थे , छोटे से अखबार में छपते थे आपात काल भी था … मगर वो समय भी ऐसा नही था, ….कि उन पर किसी ने कभी मुकदमा ही कर दिया हो, … खैर मैं कोशिश करूंगा जमानत के वक्त गांधीजी का अनुसरण कर सकू ! हे ईश्वर मुझे इतनी ताकत दे… हे भारत देश की जनता मुझे सम्बल हौसला दे ..अदालत मुझे न्याय दे !

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