फरवरी महीने में षटतिला एकादशी और जया एकादशी व्रत के साथ-साथ गुप्त नवरात्र प्रारंभ, वसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा के साथ कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। इसके साथ ही इस महीने सूर्य, शुक्र समेत चार बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन होने वाला है। आइए जानते हैं फरवरी माह के प्रमुख व्रत त्योहार और उनके महत्व के बारे में…
फरवरी माह की शुरुआत माघ मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि से हो रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2024 का दूसरा महीना धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जा रहा है। इस महीने मौनी अमावस्या का बड़ा स्नान होगा और गुप्त नवरात्र भी इसी महीने शुरू होने वाले हैं। मौनी अमावस्या और गुप्त नवरात्रि के साथ वसंत पंचमी, रथ सप्तमी, माघ पूर्णिमा आदि समेत कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। साथ ही फरवरी का महीना दो चीजों के लिए बहुत खास माना जा रहा है। पहला इस महीने 2 एकादशी षट्तिला और जया एकादशी पड़ रही हैं और दूसरा इस महीने 4 ग्रहों में से कुछ राशि परिवर्तन करने वाले हैं। ऐसे में फरवरी माह ग्रह-नक्षत्र और श्रद्धा व आस्था की दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि फरवरी माह में पड़ने वाले प्रमुख व्रत और त्योहारों के बारे में और उनका क्या है धार्मिक महत्व…
षट्तिला एकादशी (6 फरवरी, मंगलवार)
माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के पसीने से उत्पन्न हुए तिल का 6 प्रकार से प्रयोग किया जाता है। पद्म पुराण में बताया गया है कि जो भक्त षटतिला एकादशी के दिन उपवास करते हैं, उनको जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या (9 फरवरी, शुक्रवार)
माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवतागण पृथ्वी पर पवित्र नदियों और कुंभ में स्नान करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में डुबकी लेना सौभाग्य की बात मानी जाती है। मौनी अमावस्या के दिन सुबह स्नान व ध्यान करने के बाद पूजा अर्चना करते हैं और मौन व्रत भी धारण करते हैं, इसलिए इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
गुप्त नवरात्र प्रारंभ (10 फरवरी, शनिवार)
साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्र का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इन दोनों के अलावा दो और नवरात्र होते हैं, जिनको गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है। ये गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ में मनाए जाते हैं। इस दिन मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा अर्चना की जाती है। इन महाविद्याओं की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति सभी बंधन से मुक्त हो जाता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। मनोकामना पूर्ति और तांत्रिक साधना करने वाले इन नवरात्र का पूरे साल इंतजार करते हैं क्योंकि इन नवरात्रों में मां की साधना गुप्त रूप से की जाती है।
वसंत पंचमी (14 फरवरी, बुधवार)
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस तिथि को श्रीपंचमी या वसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी यानी वसंत ऋतु के आगमन का उत्सव मनाना। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन सृष्टि को ध्वनि प्रदान करने वाली माता सरस्वती को प्राकट्य हुआ था। इस कारण बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है, इस पूजा लक्ष्मी सरस्वती पूजन कहा जाता है।
रथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी (16 फरवरी, शुक्रवार)
माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को माघी सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इस तिथि को भानु सप्तमी, रथ सप्तमी, पुत्र सप्तमी, अचला संपत्ति और आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार, रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में आरोग्य सप्तमी के दिन नमक का प्रयोग करना वर्जित बताया गया है। साथ ही स्नान और अर्घ्य देने के बाद दान करने से आयु, आरोग्य, मान सम्मान व संपत्ति की प्राप्ति होती है।
जया एकादशी (20 फरवरी, मंगलवार)
माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को मुक्ति का द्वार भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अपने नाम के अनुसार जया एकादशी बहुत ही कल्याणकारी और हर क्षेत्र में विजय दिलाने वाली एकादशी है। मान्यता यह है कि जो जया एकादशी का व्रत और विधिवत पूजा करता है उसे भूत, प्रेत, पिशाच जैसी योनियों में नहीं भटकना पड़ता है, उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माघ पूर्णिमा, माघ स्नान समाप्त, रविदास जयंती (24 फरवरी, शनिवार)
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा का व्रत किया जाता है। इस तिथि को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के माघ महीने की पूर्णिमा तिथि बेहद खास होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु गंगाजल में वास करते हैं इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। जो भक्त इस दिन श्रद्धा और विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करता है, उस पर श्रीहरि की विशेष कृपा बनी रहती है। साथ ही इस दिन रविदास जयंती भी मनाई जाएगा।