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अपराध छोड़ने की कसम लेने वालों के पुनर्वास की भी सोचिए

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अशोक मधुप

उत्तर प्रदेश  के आपरेशन कलीन से डरे हिस्ट्रीशीटर और कुछ बड़े अपराधी पत्नी और  बच्चों को साथ लिए थाने आकर गुहार लगा रहे हैं कि वे अब अपराध नही करेंगे। प्रश्न यह है कि अपराध नही करेंगे तो  करेंगे क्या।  अपराधी को कोई  काम देगा नहीं।ऐसे में इन्हें अपराध की दुनिया में वापिस जाने से रोकने के जरूरी है कि इन्हें और इनके परिवार के पुनर्वास  और   भरण−पोषण  की व्यवस्था  हो। 

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अपराधियों के प्रति सख्ती के दिए निर्देश के परिणाम  आने शुरू हो गए  हैं। बड़े और पावरफुल अपराधी, डान और माफियाओं पर कार्रवाई  होते देख अपनी जान बचाने के लिए छोटे − मोटे  अपराधी अब  अपनी पत्नी  और बच्चों को ढाल बनाकर हाथ जोड़े थाने आ रहे हैं।  सरे आम कह रहे हैं कि वे अपराध नही करेंगे। उनकी बात सुन बहुत अच्छा लग रहा है,प्रश्न  यह है कि वह अब अपराध नही करेंगे, तो  क्या करेंगेॽ  परिवार का खर्च कैसे   चलेगाॽ उनकी रोटी − रोजी का क्या होगाॽ इन अपराधियों के  बच्चों की शिक्षा का  क्या होगाॽक्योंकि हिस्ट्री शीटर बदमाश को कोई काम पर  रखने से रहा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  द्वारा अपराधियों के प्रति सख्ती  के आदेश के बाद अपराधियों के विरूद्ध पूरे प्रदेश में कठोर कार्र्वाई  ही नही हो रही।उन्हें  सलाखें के पीछे धकेलने के साथ ही उनके द्वारा अर्जित अवैध संपत्ति भी सराकर द्वारा अधिगृहीत की जारही है।  अवैधरूप से बने अपराधियों और हिस्ट्री शीटर  के भवन और घर  ढहाए  जा  रहे हैं। काबू में  न आने वाले इनामी बदमाशों को शूट आउट किया जा रहा है। प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के लिए चलाए गए ‘ऑपरेशन क्लीन’ के तहत सरकारी सूची से चिन्हित किए गए मुख्तार अंसारी, अतीक एहमद समेत 25 नामी माफियाओं पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करते हुए 11.28 अरब की संपत्ति जब्त की गई। योगी सरकार में 5558 मामले दर्ज कर 22,259 अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

पिछले पाचं सालों में 172 अपराधियों की मौत पुलिस की गोली से हुई है। पुलिस ने बताया कि 2023 के 11 दिनों में ही चार  बदमाश मारे गए। कुल मारे गए बदमाशों में मेरठ जोन के सबसे अधिक 67 अपराधी मारे गए। मुठभेड़ के दौरान 4562 आरोपी पुलिस की गोली से घायल होकर अस्पताल पहुंचे। 1375 पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस के 13 सिपाहियों की जान गई।

बड़े अपराधियों बड़े ओर पावरफुल अपराधी, डान और माफियाओं पर कार्रवाई  होते देख अपनी जान बचाने के लिए छोटे − मोटे  अपराधी अब  अपनी पत्नी  और बच्चों को ढाल बनाकर हाथ जोड़े थाने आ रहे हैं।ऐसा ही अभी बिजनौर शहर कोतवाली में नजारा देखने को मिला।शाहिद निवासी टिक्कोंपुर  हाथ जोड़ थाने में आया।  उसके साथ  बच्चे को गोद में लिए उसकी पत्नी भी थी। वह हाथ  जोड़कर कह रहा था कि वह हिस्ट्रीशीटर अपराधी है।  वह  वायदा करता है कि वह अपराध नही करेगा।  ऐसा बिजनौर में ही नही हुआ।उत्तर प्रदेश में कई जगह हुआ। इसी तरह जानकी भीख  मांगते  अपराधी अपने पत्नी और बच्चों के साथ थाने आ रहे हैं।  वायदा कर रहे हैं कि वे अब  अपराध नहीं करेंगे। प्रश्न यह है कि ये मरने के डर अपराध नही करेंगे तो काम क्या करेंगे।  हाथ जोड़कर थाने आने वाले अपराधियों का    परिवार कैसे चलेगाॽ  परिवार की रोटी −रोजी कैसे चलेगीॽहिस्ट्री शीटर को कोई नौकरी तो देगा  नहींॽ  भूखे  कब तक रहेगाॽ परिवार की भूख के आगे बड़े –बड़े घुटने  टेक देते हैं।कहावत है कि भूख  इंसान को गद्दार बना देती है।ऐसे में फिर उसे  उसी रास्ते पर जाना  पड़ेगा,जिसे मौत के डर से ये छोड़कर आए  हैं।

ऐसे  में जरूरी है कि सरकारी स्तर से उनके लिए व्यवस्था  हो,जिले के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इन पर नजर रखें।देखे  कि परिवार का जीवन यापन कैसे   चल रहा है। इनकी आय का क्या साधन है। आज गांव में विकास के लिए  काफी धन आ रहा है,  गांव के प्रधान से कहा जा सकता है कि अपराध न करने का वायदा करने वाले की  गतिविधि  पर नजर रखे।  देखे कि इसके परिवार का खर्च  कैसे  चल रहा है।  चल रहा है  या नहीं।  नही चल रहा तो  वह मनरेगा या किसी और योजना  में काम दे। मजदूरी कराए। किसी ठेकेदार के साथ लगा  दे।  प्रशासनिक अधिकारी भी    किसी उद्योगपति से उसे उसकी क्षमता के हिसाब से काम देने को कह सकतें हैं। अपराध छोड़ने वाले परिवार की जिम्मेदारी किसी समाजसेवी संगठन को भी   दी जा सकती है।

इन थाने आकर अपराध न करने की घोषणा करने वाले अपराधियों के पुनर्वास के  लिए  समाज सरकार ,  जिला  प्रशासन और पुलिस प्रशासन को  सोचना  होगा।ऐसी व्यवस्था  करानी होगी कि उसे और उसके   परिवार के भरण− पोषण का  खर्च चलता  रहे। यदि ऐसा नही हुआ  तो  मजबूरन ये फिर पुराने रास्ते  पर लौट सकतें हैं।

अशोक  मधुप

(लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं) 

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