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मैं मध्यप्रदेश का सैलानी टापू…डूबता समझकर सबने साथ छोड़ा; आज ‘ओंकार’ कृपा से लाखों टूरिस्ट मेरा दीदार करते हैं….

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खंडवा

मैं मध्यप्रदेश का सैलानी टापू…। कभी मेरे आंगन में दाे हजार लोग आबाद थे। बच्चों की किलकारियां गूंजती थीं। तीज-त्योहारों पर उत्साह और उमंग का माहौल रहता था। आसपास खेत लहलहाते थे, लेकिन अचानक एक दिन सब कुछ बदल गया। ओंकारेश्वर डैम का बैक वाटर मुझे डुबोने लगा। मुझे वीरान करने की घोषणा कर दी गई। सब मुझे मेरे हाल पर छोड़कर चले गए। मगर मेरी कहानी खत्म नहीं हुई। ओंकार कृपा ऐसी बरसी कि मैं फिर आबाद हो गया। अब मुझे देखने हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।

जानिए मेरे उजड़ने और फिर उभरने की कहानी…

साल 2007 तक मैं भी दूसरे गांवों की तरह ही था। लेकिन जब मां नर्मदा पर ओंकारेश्वर बांध बनने लगा, तो उसका बैकवॉटर धीरे-धीरे मेरी तरफ बढ़ने लगा। मैं डूब क्षेत्र में आ गया। सरकार ने मेरे आंगन में रहने वाले करीब 2 हजार लोगों को दूसरी जगह भेजने का फैसला लिया। फिर क्या था। अफरातफरी मच गई। लोग मुझे छोड़कर जाने लगे। मैं वीरान हो गया, एकदम तन्हा, बिल्कुल अकेला।… लेकिन सब कुछ खत्म नहीं हुआ था। वक्त बीता। मैं फिर उभरकर सामने आया। नए रूप में, नए रंग में। कुदरत की खूबसूरती समेटे।

50 करोड़ की लागत से संवारा सैलानी टापू

24 मई 2017 की तारीख, मैं फिर से उठ खड़ा हुआ। जिस पानी में डूबने से लोग मुझे छोड़कर गए थे। उसी पानी की घेराबंदी मेरी ताकत बनी। सरकार ने मेरी सुध ली। 50 करोड़ रुपए खर्च कर मुझे संवारा, सजाया। आईलैंड का रूप दिया। अब मेरे आंगन में 22 खूबसूरत कॉटेज और एक सर्व-सुविधायुक्त सुइट बना है। हर कॉटेज के पास आकर्षक मिनी गार्डन भी बना है। अब मेरे आंगन में आने वाले सैलानियों के लिए मनोरंजन के भरपूर साधन उपलब्ध हैं। मुझे स्पीड बोट, जलपरी, बेहतरीन व्यंजनों के लिए रेस्टोरेंट, सेमिनार हॉल और लहरों के आनंद के लिए पोर्च से सजाया गया है। मैं मध्यप्रदेश का आईलैंड बन गया हूं। जहां समुद्र जैसे जलाशय में स्पोर्ट्स एक्टिविटिज के अलावा स्कूबा डाइविंग होती है। पर्यटक मेरे नए रूप और रंग को बेहद पसंद कर रहे हैं।

बड़े डैम बने टापुओं की बस्ती

देश के बड़े बांधों में शुमार इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध के बैक वाटर में करीब 25 से ज्यादा टापू हैं। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने यहां टापुओं की बस्ती बना दी है। हनुवंतिया, सैलानी, बोरियामाल के बाद धारी कोटला और नागरबेड़ा समेत अन्य टापुओं को भी तेजी से विकसित किया जा रहा है। इसका प्रमुख कारण पर्याप्त मात्रा में पानी और घने जंगल का आकर्षण है। लोग यहां जंगली जानवरों को भी विचरण करते देख सकते हैं। सैलानियों की पसंद के मामले में सैलानी टापू ने हनुवंतिया टापू को पीछे छोड़ दिया है।

मुख्यमंत्री के पसंदीदा टापू को पीछे छोड़ा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सबसे पसंदीदा टापू इंदिरा सागर बैकवाटर में स्थित बाेरियामाल टापू है। वो अक्सर परिवार के साथ यहां आते हैं। टापू पर खुद चाय बनाकर पीते हैं, और भोजन भी बनाते हैं, हालांकि बोरियामाल टापू विकसित नहीं हो सका है। वहीं हनुवंतिया का बैक वाटर भी सूख जाता है। ऐसे में सैलानी टापू ने इन टापुओं को पीछे छोड़ दिया है।

इंदौर से करीब 85 KM दूर ओंकारेश्वर में स्थित

सैलानी आईलैंड ओंकारेश्वर से सटा हुआ है। यह खंडवा जिले में आता है। इंदौर से 85 किलोमीटर की दूरी है। यहां पहुंचने के लिए इंदौर से खंडवा रोड पर ओंकारेश्वर मार्ग से पहले बड़वाह से क्रॉस होना पड़ता है। बड़वाह से पूर्व की ओर जंगलों के रास्ते 20 किलोमीटर की दूरी है। रास्ते में प्रसिद्व जैन तीर्थस्थली सिद्धवरकूट है, जो सैलानी आईलैंड से महज 3 किमी दूर पर है। भोपाल या मुंबई, हैदरबाद की ओर से यहां पहुंचना है तो खंडवा स्टेशन पर उतरना होगा। यहां से ओंकारेश्वर या बड़वाह होते हुए सैलानी आईलैंड पहुंच सकते हैं।

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