अग्नि आलोक
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 यह अच्छा प्रयोग है

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हमारे छोटे नगरों – कस्बों के  व्यापार में उधारी का बहुत चलन है l क्योंकि हर व्यक्ति के पास हर समय नकदी पैसा नहीं होता l कुछ लोग हर महीने उधारी चुका देते है तो कुछ लोग हर फसल पर उधारी चुकाने का वायदा करते है l लेकिन कुछ लोग हमेशा टालते रहते है l

जिस दुकानदार के पास गुंजाइश होती है वह यह सब झेलते हुए व्यापार करता रहता है लेकिन अधिकांश छोटे दुकानदारों की उधारी फंसने के कारण ब्यापार ठप्प हो जाता है उन्हें भी थोक व्यापारी लगातार तकादा करता है l हर दुकानदार उधारी के झमेले से बचना चाहता है क्योंकि उधार देना आसान है और वसूली बहुत मुश्किल l वसूली ना होने से सारा रोलिंग बिगड़ जाता है l उधारी को अवॉइड करने के लिए दुकानों पर तरह तरह के सूत्र वाक्यों की तख्ती लटकी रहती हैं  जैसे  * नकद बड़े शौक से – उधार अगले चौक से * – उधारी प्रेम की कैची है * आज नकद :कल उधार * उधार मांग कर शर्मिंदा ना करें * इत्यादि l अब इस श्रंखला में यह सूत्र वाक्य भी शामिल हो गया है l दुकानदार बड़ा सयाना होता है वह अच्छी तरह जानता है कि मोदी जी कभी सच बोल ही नहीं सकते l

 दुकानदार भाइयों को व्यापार में उधारी से मुक्ति पाने के लिए इस प्रयोग को आत्मसात करते हुए अपनी अपनी दुकानों पर इसका  प्रयोग करना चाहिए l

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