बंद होने के कगार पर खड़े किशनगढ़ एयरपोर्ट के विकास के लिए सलाहकार समिति की बैठक हुई। सदस्यों के साथ सांसद और अजमेर कलेक्टर भी उपस्थित रहे
एस पी मित्तल, अजमेर
लोकायुक्ति है सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठा यानी कुछ नहीं होने पर भी दिखाने का प्रयास करना। यह लोकायुक्ति 12 जनवरी को अजमेर के किशनगढ़ एयरपोर्ट की हुई सलाहकार समिति की बैठक पर सही चरितार्थ होती है। यह बैठक अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी की अध्यक्षता में हुई और बैठक में जिला कलेक्टर अंशदीप, एयरपोर्ट के निदेशक बीएल मीणा, किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के उद्योगपति राधे चोयल, अजमेर के पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, सुभाष काबरा, मनमोहन लोढ़ा, प्रशांत पहाडिय़ा, कंवल प्रकाश किशनानी आदि उपस्थित रहे। स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद लेेते हुए बैठक में एयरपोर्ट के विकास पर गंभीर चर्चा की गई। निर्णय हुआ कि विकास में आने वाली बाधाओं को हटाने का कार्य सांसद भागीरथ चौधरी और कलेक्टर अंशदीप मिल कर करेंगे। एयरपोर्ट के निकट टूंकड़ा की पहाड़ी की ऊंचाई को कम करने और एयरपोर्ट के 2 किलोमीटर वाले रनवे को 3 किलोमीटर करने का काम जल्द शुरू किया जाए। साथ ही एयरपोर्ट के टर्मिनल की क्षमता 250 यात्रियों तक की जाए। यदि ये काम होते हैं तो किशनगढ़ एयरपोर्ट पर एयरबस 320 और बोइंग विमान 447 भी उतर सकेंगे। नि:संदेह किशनगढ़ एयरपोर्ट के विकास के लिए गहन विमर्श हुआ, लेकिन सवाल उठता है कि एयरपोर्ट के नाम पर बचा क्या है। किसी भी एयरपोर्ट की पहचान हवाई सेवाओं और यात्रियों के आवागमन से होती है। मौजूदा समय में किशनगढ़ एयरपोर्ट से सूरत और इंदौर की हवाई सेवा ही है। इंदौर वाली सेवा सप्ताह में एक दिन सिर्फ रविवार को जबकि सूरत की तीन दिन में एक बार है। ये दोनों सेवाएं भी कभी भी बंद हो सकती है। यानी किशनगढ़ एयरपोर्ट बंद होने के कगार पर खड़ा है। जिस एयरपोर्ट पर न विमान है और न यात्री उस एयरपोर्ट पर एयरबस और बोइंग उतारने के ख्वाब दिखाए जा रहे हैं। ऐसा नहीं की इस एयरपोर्ट पर हवाई सेवा शुरू नहीं हुई। पूर्व में किशनगढ़ से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद आदि 6 महानगरों के लिए प्रतिदिन उड़ानें थी। लखनऊ, अमृतसर, जोधपुर, जैसलमेर आदि के लिए भी तैयारी हो रही थी। तब केंद्र सरकार के वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के अंतर्गत संबंधित विमान कंपनियों को अनुदान मिल रहा था, तब यात्री भार 80 प्रतिशत तक हो गया था। शुरू में कंपनियों को घाटा न हो, इसके लिए ही केंद्र सरकार अनुदान देती है। लेकिन जब यात्री भार बढ़ जाता है, तब ऐसा अनुदान बंद कर दिया जाता है। स्पाइ जेट जैसे अनुदान खोर कंपनियों ने तभी तक विमान उड़ाए जब तक अनुदान मिल रहा था, जब अनुदान बंद हुआ तो हवाई सेवाएं भी बंद कर दी गई। एयरपोर्ट सलाहकार समिति में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो प्राइवेट कंपनियों पर दबाव डाल कर हवाई सेवाओं को शुरू करवाए। सांसद भागीरथ चौधरी ने हवाई सेवाओं का मुद्दा सांसद में भी उठाया है, लेकिन न तो नागरिक उड्डयन मंत्रालय और न स्पाइ जेट जैसी अनुदान खोर कंपनियों पर कोई असर हुआ है। सांसद चौधरी तो मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को कई पत्र भी लिख चुके हैं। किशनगढ़ एयरपोर्ट का और विकास का ख्वाब दिखाने के बजाए मौजूदा समय में उपलब्ध सुविधाओं के मद्देनजर ही फिर से हवाई सेवाएं शुरू करवाने का प्रयास होना चाहिए। कोई माने या नहीं, लेकिन अजमेर का राजनीतिक नेतृत्व कमजोर होने के कारण किशनगढ़ एयरपोर्ट बंद होने के कगार पर है। 80 प्रतिशत यात्री भार होने के बाद भी हवाई सेवाओं का न होना शर्म की बात है।