मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ तेलंगाना की तस्वीर अब स्पष्ट हो गई है। यहां विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस को पछाड़कर कांग्रेस आगे चली गई है। 119 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस 60 सीटों के जादुई आंकड़े को पार कर गई है और सरकार बनाने जा रही है।
ऐसे में लोगों के मन में सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर वो कौन से मुद्दे थे, जो बीआरएस के लिए भारी पड़ गए? कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन की वजह क्या है? आइये जानते हैं पांच अहम बातें…
विधानसभा चुनाव में पांच बड़े मुद्दे
कांग्रेस ने सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाया
2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद तेलंगाना में पहली सरकार बनाई थी। वहीं, 2018 में पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला। दोनों बार पार्टी ‘स्वर्णिम तेलंगाना’ बनाने के वादे पर राज्य में सत्ता में आई थी। हालांकि, किसानों, युवाओं, दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए वादों को न पूरा करने पर बीआरएस की पकड़ कमजोर हुई और यह केसीआर के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर बनकर उभरी। वहीं, विपक्ष में कांग्रेस ने जनता के बीच इस असंतोष का फायदा उठाया। इसके साथ ही कांग्रेस ने राज्य में बेरोजगारी, कृषि संकट, भ्रष्टाचार, परिवारवाद और विकास की कमी के मुद्दों को जनता के सामने रखा।
बेरोजगारी के मुद्दे से युवाओं का मोह टूटा
बेरोजगारी की समस्या भी राज्य में केसीआर सरकार की पकड़ को कमजोर करने की एक बड़ी वजह रही। वहीं, कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार बेरोजगारी और पेपर लीक जैसे मुद्दे उठाए। 2014 में पहली बार सत्ता में आने वाली बीआरएस ने युवाओं को रोजगार देने का वादा किया, लेकिन पिछले 10 सालों में आपेक्षित नौकरियां उपलब्ध नहीं करा पाईं। भर्तियों के मुद्दे पर राज्य में आए दिन बेरोजगार धरना-प्रदर्शन होते रहे। भर्तियों में देरी और इंटर, पीएससी परीक्षाओं का लीक होना और ग्रुप परीक्षाओं का स्थगन बीआरएस को युवाओं से दूर करता गया।
पिछले विधानसभा चुनाव में बीआरएस सरकार ने बेरोजगारों को भत्ता देने का एलान भी किया गया था, जिसको लागू नहीं करने से युवाओं में गुस्सा देखा गया। यही कारण है कि युवाओं को रिझाने के लिए बीआरएस ने चुनाव से कुछ महीने पहले ‘विद्यार्थी और युवजन’ जैसे कार्यक्रम शुरू किए। हालांकि, मंत्री केटीआर का दावा है कि राज्य सरकार ने दो लाख युवाओं को नौकरियां देने का अपना काम किया।
योजनाओं में अनियमितता से टूटा लोगों का भरोसा
राज्य में केसीआर सरकार ने कई योजनाएं शुरू कीं, लेकिन इनमें लोगों की अनियमितता की शिकायत रही। सरकार की ओर से एक पोर्टल ‘धरणी’ बनाया गया था, जिसको लेकर आरोप लगाया गया कि पोर्टल के कारण बटाईदार किसानों और काश्तकारों को काफी नुकसान हुआ। लोगों ने शिकायत की कि इससे केवल जमींदारों को लाभ हुआ है। कई स्थानों पर लोगों को वितरित की गई जमीनें असल में जमींदारों के नाम पर भी हैं।
केसीआर सरकार ने दलित समाज के लिए दलितबंधु योजना शुरू की थी। आरोप लगाए गए कि योजना का दुरुपयोग किया गया। केवल सत्ताधारी दल से जुड़े लोगों और खासकर विधायकों से जुड़े लोगों को ही दलित बंधु योजना का फायदा मिला है, जिसमें कट-कमीशन के भी आरोप लगे।
बीआरएस सरकार के गठन के बाद डबल बेडरूम घर नाम से एक योजना शुरू की गई थी जो सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना है। आरोप लगे कि सरकार गरीबों और वंचित तबकों को डबल बेडरूम का घर देने में सफल नहीं हो पाई। इसके अलावा महत्वाकांक्षी कालेश्वरम परियोजना में मेदिगड्डा बैराज में भ्रष्टाचार के आरोप लगे है। इसमें गुणवत्ता संबंधी खामियां भी बताई गईं।
कर्नाटक के बाद तेलंगाना में काम आईं कांग्रेस की गारंटियां
इस चुनाव में राज्य में महिलाओं, आदिवासियों और किसानों से जुड़े मुद्दे भी हाबी रहे। इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस ने जहां सरकार को घेरा तो वहीं सरकार में आने पर सभी वर्गों के लिए काम करने का वादा किया। खासकर महिला वोटर को साधने के लिए कर्नाटक की तरह तेलंगाना में कांग्रेस ने गारंटियों की बात की। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कई मौकों पर कर्नाटक विधानसभा में पार्टी द्वारा किए गए चुनावी वादों का जिक्र किया।
इसके साथ ही कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में मतदाताओं को लुभाने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं और लोकलुभावन वादे पेश किए। इनमें से महिलाओं के लिए महालक्ष्मी, इंदिरम्मा और गृहज्योति जैसे योजनाएं शुरू करने का वादा किया। इंदिरम्मा गरीबों के लिए 25 लाख सस्ते आवास उपलब्ध कराने की योजना है। गृहज्योति में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिलों पर सब्सिडी देने की गारंटी दी गई है।
वहीं रायथु भरोसा में किसानों को धान के लिए 2,500 रुपये प्रति क्विंटल और कपास के लिए 7,000 रुपये प्रति क्विंटल के साथ-साथ मुफ्त बिजली, पानी, बीज और उर्वरक का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने का वादा किया गया है।
तेलंगाना में राहुल गांधी। – फोटो : ट्विटर/आईएनसी
योजनाबद्ध तरीके से चुनाव लड़ी कांग्रेस
पिछली बार बुरी तरह हारी कांग्रेस ने इस बार बीआरएस के सामने एक प्रभावी और आक्रामक चुनाव अभियान चलाया। यहां प्रचार अभियान का नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी, सांसद उत्तम कुमार रेड्डी और के. जना रेड्डी, सीएलपी नेता मल्लू भट्टी विक्रमार्क और सांसद कोमाटी रेड्डी वेंकट रेड्डी जैसे अन्य वरिष्ठ नेताओं ने किया। इसके अलावा पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सांसद राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी जैसे बड़े नेताओं ने भी राज्य में लगातार चुनावी दौरे किए।
कांग्रेस ने चुनाव के लिए एक पेशेवर अभियान रणनीतिकार सुनील कनुगोलू को शामिल किया। सुनील पहले भाजपा और आम आदमी पार्टी के साथ काम कर चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस के लिए एक व्यापक चुनाव अभियान योजना तैयार की, जिसमें रैलियां, रोड शो, घर-घर दौरे, सोशल मीडिया शामिल था।