मेरा यह प्रेम-पत्र
तुम्हारी खूबसूरत नम आंखों तक पहुंचने से पहले
न जाने कितने बिन पानी आंखों से गुजरेगा
जहां मेरे लिखे हरेक हर्फ़ की खुदाई की जाएगी
और उसके कूट अर्थ तलाशे जाएंगे
जब मैं लिखूंगा कि
तुम्हारी आंखे किसी झील सी गहरी हैं
तो वे इसका अर्थ निकालेंगे
कि मैं राजा के खिलाफ युद्ध की तैयारी में
गहरी खाई खोद रहा हूं
और मेरा प्रेम-पत्र तुम तक नहीं पहुंच पायेगा
जब मैं लिखूंगा कि
तुम्हारे खूबसूरत होंठों से मैं
एक फूल उठाना चाहता हूं
तो वे समझेंगे कि मैं
शस्त्र उठाने की बात कर रहा हूं
जब मैं लिखूंगा कि तुम्हारे
खूबसूरत काले घने बालों में मैं खो जाना चाहता हूं
तो वे समझेंगे कि मैं
घने जंगल के बागियों से मिलना चाहता हूं
जब मैं लिखूंगा कि
तुम्हारे प्यार में डूबकर मैं
जिंदगी के पार जाना चाहता हूं
तो वे समझेंगे की मैं
जेल में गहरी सुरंग बना कर भाग जाना चाहता हूं
और इस तरह मेरे प्रेम-पत्र
तुम तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देंगे
लेकिन क्या,
इससे राजा के खिलाफ युद्ध की तैयारी में
कोई फर्क आएगा ?
क्या राजा के खिलाफ शस्त्र उठाने वालों में
कोई कमी आएगी ?
क्या जंगल के बागियों से
नौजवानों के मिलने में कोई कमी आएगी ?
क्या जेलों में सुरंग का बनना बंद हो जाएगा ?
और सबसे बढ़कर
क्या इससे हमारे प्रेम में कोई कमी आएगी ?
- मनीष आजाद
- ‘भीमाकोरेगांव केस’ में बंदी कैदियों के सामान्य पत्रों को भी सेंसर किया जा रहा है और बहुत मुश्किल से ही उनके नजदीकियों को बंदियों के पत्र मिल पा रहे हैं’