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राम मंदिर उड़ाने की धमकी देने वाले कोई मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अयोध्या के राम मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी देने वाला कोई मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू है। इनलोगों ने मुस्लिम नाम से फर्जी ईमेल आईडी बनाकर धमकी दी थी। लेकिन जब पकड़े गए तो दोनों आरोपी हिंदू निकले। इतना ही नहीं इनका सरगना भी हिंदू है।

इस मामले में यूपी एसटीएफ ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों पर आरोप है कि इन्होंने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर धमकी दी थी कि राम मंदिर, योगी आदित्यनाथ और एसटीएफ एडीजी अमिताभ यश को बम से उड़ा देंगे। इसके लिए आरोपियों ने सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी भी बनाई थी।

दोनों आरोपियों के नाम ताहर सिंह और ओम प्रकाश मिश्रा है, दोनों गोंडा जिले के रहने वाले हैं। दोनों ने फर्जी ईमेल आईडी बनाकर ये धमकी दी थी। एसटीएफ के मुताबिक इनका सरगना देवेंद्र तिवारी नाम का एक शख्स है। उसी के इशारे पर इनदोनों ने इस काम को अंजाम दिया है। बताया जा रहा है कि देवेंद्र तिवारी ने राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा किया है।

एसटीएफ के एक अधिकारी का कहना है कि तिवारी के खिलाफ लखनऊ में पहले से कई मामले दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि “हम उसे जल्द ही पकड़ लेंगे। इस पूरे मामले के पीछे उसी का हाथ है। इससे पहले उसने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस से सुरक्षा मांगी थी। जिसके बाद उसे एक गनर भी दिया गया।“

एक बयान में एसटीएफ ने कहा कि डीजीपी मुख्यालय ने पिछले साल 27 दिसंबर को एसटीएफ को इस बात की खबर दी थी की एक्स पर @IdevendraOffice के नास से एक पोस्ट किया था जिसमें आतंकी संगठन आईएसआईएस से संबंधित ज़ुबैर खान नाम के एक व्यक्ति ने राम मंदिर, योगी आदित्यनाथ और अमिताभ यश को उड़ाने की धमकी दी थी। खबर मिलने के बाद एसटीएफ की टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी।”

एसटीएफ ने कहा कि छानबीन के दौरान पता चला कि लखनऊ में आलमबाग और सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस स्टेशनों पर दो मामले दर्ज किये गये थे। धमकी देने के लिए दो ईमेल आईडी alamansarikhan608@gmail.com  और zubairkhanisi199@gmail.com का इस्तेमाल किया गया था। फिर छानबीन में पता चला की दोनों ईमेल आईडी ताहर सिंह और ओम प्रकाश मिश्रा ने बनाए थे जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।“

पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने बताया कि इन सबके पीछे देवेंद्र तिवारी का हाथ है जो लखनऊ के बनाथ्रा इलाके का रहने वाला है।

आरोपियों ने बताया कि “देवेंद्र तिवारी ने उन्हें धमकी भरा ईमेल पोस्ट करने के लिए कहा था। उसके खिलाफ माणक नगर, आशियाना, बर्था, गौतम पल्ली और लखनऊ में आलमबाग पुलिस स्टेशनों में कई मामले दर्ज हैं। तिवारी ने आलमबाग इलाके में भारतीय इंस्टीट्यूट पैरामेडिकल साइंसेज नाम से एक कॉलेज चलाया है वहां उसका एक ऑफिस भी है।“

एसटीएफ ने अपने बयान में कहा है कि “ताहर सिंह और ओम प्रकाश मिश्रा, तिवारी के ऑफिस में काम भी कर चुके हैं। ताहर सिंह उसका सोशल मीडिया हैंडल करता था तो मिश्रा उसका निजी सचिव था। मिश्रा उसी कॉलेज से दो साल का डिप्लोमा कोर्स भी कर रहा था।“

“देवेंद्र तिवारी के कहने पर ताहर सिंह ने फर्जी ईमेल आईडी बनाया और व्हाट्सएप पर मिश्रा को ईमेल आईडी का पासवर्ड भेजा। इस काम के लिए दोनों ने लखनऊ के नाका हिंडोला में एक दुकान से दो मोबाइल फोन भी खरीदे थे।“

 “धमकी भरे मैसेज 19 नवंबर और 27 दिसंबर को भेजे गए थे और देवेंद्र तिवारी ने अपने एक्स अकाउंट पर भी ये मैसेज शेयर किया था। मोबाइल फोन से ईमेल भेजने के बाद फोन को जला कर सबूत मिटाने की भी कोशिश की गई।”

एसटीएफ ने अपने बयान में कहा है कि तिवारी ने आरोपियों को बताया था कि इन ईमेलों के जरिये वह सोशल मीडिया पर मशहूर हो जाएगा जिसके बाद उसकी सुरक्षा बढ़ जाएगी और उसे कोई बड़ा राजनीतिक लाभ भी होगा।

पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 507 (एक अनाम संचार द्वारा आपराधिक धमकी), 153-ए के तहत (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास स्थान के आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 420 (धोखा), 468 (धोखा देने के लिए जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज़ का उपयोग करना), 201 (अपराध के सबूत मिटाना), और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

(द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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