इंदौर में वैसे तो रातभर होलिका दहन होते है, लेकिन सबसे पहले राजवाड़ा की सरकारी होली जली। शाम सात बजे ही पूरे विधिविधान केसाथ युवराज रिचर्ड होलकर दहन किया। होलकर राजवंश के राजपुरोहितों ने होलकरकालीन परंपरा निभाते हुए मंत्रोचर किए और होलकरी पगड़ी व अंगरखा पोशाख पहले आए होलकर राजपरिवार के सदस्यों ने ठीक सात बजे होली जलाई।सरकारी होली देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ राजवाड़ा पर जुटी थी। जलती होली के लोगों ने फेरे लिए और फिर उसके अंगारे लेकर कई लोग अपने अपने इलाकों की होली जलाने पहुंचे। इंदौर में सरकारी होली दहन की पंरपरा 296 सालों से निभाई जा रही है।
सरकारी होली जलने के बाद शहर की दूसरे स्थानों पर होली दहन होता है। ज्यादातर स्थानों पर काफी सजावट की गई थी। महिलाएं घर से पूजा की थाली लेकर निकली और होलिका की पूजा की। दहन के बाद गेहूं की बालियां भी अंगारों पर सेंकी।
होली के एक माह पहले गढ़ जाता था होली का डंडा
होलकरशासनकाल में होली का त्योहार उत्साह से मनाया जाता था। त्योहार के एक माह पहले होली के डंडा शहर में गढ़ जाया करते थे। इतिहासकारों के अनुसार होलकर रियासत में ढाले परिवार के यहां से अग्नि आती थी। जिससे राजपरिवार के लोग होलिका दहन करते थे।
इसके बाद राजपरिवार के लोग चांदी और सोने की पिचकारियों से सैनिकों और शहर की जनता पर रंग बरसाते थे। रंग पंचमी पर राजवाड़ा से इंदौरवासियों पर खुशबूदार प्राकृतिक रंग बरसाए जाते थे। बाद में इंदौर में पंचमी पर गैर निकालने की पंरपरा भी शुरू हुई, जो अब इंदौर की पहचान बन चुकी है।