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तीन दिवसीय गांधी दर्शन कार्यशाला का समापन

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अहिंसक समाज की स्थापना कर गांधीजी के सपनो को पूरा करे – सुंगध बरंत

गांधीवादी कार्यकर्ताओं के बीच संवाद का क्रम नही टूटे- कुलकर्णी

इंदौर ।गांधी दर्शन को युवाओं के बीच ले जाना जरूरी है,क्योंकि यही पीढ़ी समाज में बड़ा बदलाव ला सकती है।अत: अपने आसपास के परिवेश को गांधी दर्शन से जोड़े।गांधी एक व्यक्ति नही, एक विचार धारा का नाम है, जिसने हर चीज को सपर्श किया।गांधी दर्शन को केवल ओढ़े नही वरन उसे आत्मसात भी करे।ये विचार गांधीवाद विचारक डा. सुगंध बरंट के है, जो उन्होंने श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति सभागृह में आयोजित तीन दिवसीय गांधी दर्शन कार्यशाला के समापन अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन के रूप में कहे। यह आयोजन यूनिवर्सल पीस एंड सोशल डेवलपमेंट सोसायटी की ओर से किया गया था। डा. बरंट ने आगे कहा कि हमे अहिंसक समाज की स्थापना कर गांधीजी के सपनो को पूरा करना है।हमे गांधी के 11सूत्र अपनाना होंगे। गांवो में जाना होगा और लोगो को जोड़ना होगा। गांव मजबूत होगे तो देश मजबूत होगा।सच्ची बातों को निर्भीकता के साथ कहना आना चाहिए।जहां गलत है उसका खुलकर विरोध करें।यह शिक्षा हमे गांधी से ही मिली। यह जानकारी मीडिया प्रभारी प्रवीण जोशी ने दी ।


कार्यशाला के पहले सत्र में युवा विचारक कुमार सिद्धार्थ ने कहा कि दुनिया अभी तक छोटे-बड़े करीब 20 हजार युद्ध देख चुकी है।अत: हमे शांति की जरूरत है। यह बात हमे बच्चो को बताने की आवश्यकता है।आज के बच्चे कल के भावी नागरिक है और उनसे हमारी बड़ी अपेक्षाएं है।हम एक-दूसरे की समस्यायों और जरूरतों को समझे।संकटकाल में सच्चे सहयोगी की भूमिका में एक -दूसरे के साथ खड़े हो।
प्रो. रेखा आचार्य ने कहा ki हम अपने जीवन me गांधी को धारण करे।मुकुंद कुलकर्णी ने कहा की गांधी एक विराट व्यक्तित्व का नाम है ,जिसमे समाज के हर वर्ग को ऊपर से नीचे तक प्रभावित किया।युवा पीढ़ी गांधी दर्शन को अपने जीवन में उतारे।हर्षल कुमार (गांधी नगर) ने बच्चो को देश भक्ति गीत नौजवान आओ रे नौजवान गाओ रे… गवाकर सबमें जोश भरा। डा. कीर्ति यादव ने कहा कि गलत का विरोध करे और सत्य का साथ दे ये जरूरीहै।प्रीति जोशी ने कविता सुनाई।वनिता राठौड़ ( राजकोट)ने गीत दे दी हमे आजादी बिना खड़ग बिना ढाल …….सुनाया। फरहीन शेख ने कार्यशाला के अनुभव सुनते हुए कहा की इस तरह के आयोजन सतत होना चाहिए।नंदिनी जैन ने कहा कि कुछ देश दुनिया को युद्ध की ओर धकेल रहे है, ऐसे में शांति कैसे स्थापित होगी।आशीष सांखला ने कहा कि आप वो बदलाव बनिए जो आप समाज में देखना चाहते है।देश में समावेशी विकास होना चाहिए।मंच पर एनी पंवार, जमीला जालीवाला विशेषरुप से उपस्थित थी।


इस मौके पर वरिष्ठ गांधीवादी विचारक रवीन्द्र शुक्ला ने श्रीज्ञान मोदी द्वारा लिखित पुस्तक महात्मा के महात्मा अतिथियों को भेट की साथ ही उन्होंने छात्र- छात्राओं को गांधी साहित्य भी भेंट किया। डा. बरंट और मुकुंद कुलकर्णी ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए। सभी प्रतिभागीयो को हिंदी साहित्य समिति की लाइब्रेरी का अवलोकन कराया, जिसमे 70 हजार पुस्तके है।इस भवन का शिलान्यास ही गांधीजी ने किया था। शिखा चक्रवती ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी।अतिथि स्वागत वैशाली खरे, डा. रजनी भंडारी , अशोक कोनूंगो,हर्ष सिंह भदौरिया,अरविंद पोरवाल,सोनम मुजावदिया,राकेश जाट , नम्रता दास ,प्रवीण जोशी, अशोक मित्तल ने किया।अतिथि परिचय शफी शैख ने दिया ।कार्यक्रम का संचालन हरेराम वाजपाई ने किया और आभार माना रामेश्वर गुप्ता ने। कार्यक्रम में श्याम पांडे,मनीषा सावंत,राजेंद्र शर्मा,परमानंद चुग,सुहासिनी कुलकर्णी, श्यामसुंदर यादव,अतुल कर्णिक,प्रो.असद खान, फादर वर्गीस,विजय तांबे, डा. पुष्पेंद्र दुबे,रविन्द्र रुक्मिणी,सुमति कुमारी जैन सभी विशेषरूप से उपस्थित थे।

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