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भारतीय समाज और इस देश में जातीय व धार्मिक घृणा फैलाने वालों को सत्ता से बाहर करो !

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-निर्मल कुमार शर्मा,

जो नेता धर्म,जाति या भाषा के आधार पर वोट हासिल करने का प्रयास करें, उन्हें चुनाव लड़ने के लिए तुरंत अयोग्य घोषित किया जाए। मनुष्य और ईश्वर के बीच संबंध किंचित ही एक व्यक्तिगत राय है और इस तरह की गतिविधियों के प्रति राज्य की कोई निष्ठा नहीं होनी चाहिए। चुनावी प्रक्रिया एक धर्मनिरपेक्ष गतिविधि है,अतः धर्म की इसमें कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। ‘
भारतीय सुप्रीमकोर्ट

Being Cynical™ (Hindi): धार्मिक उन्माद और हिंसा का समाज में कोई स्थान नहीं
           चुनावों में जातिवादी और धार्मिक वैमनस्यता व उन्माद फैलाने वाले नेताओं के खिलाफ भारतीय सुप्रीमकोर्ट की उपर्युक्त गंभीर    चेतावनी स्पष्ट व सपाट है। इस देश में दुःखद विस्मय व हतप्रभ कर देनेवाली स्थिति यह है कि वर्तमानसमय में केन्द्र में सत्तासीन मोदीसरकार ही उपर्युक्त मामले में सबसे ज्यादे दोषी और गुनहगार है,क्योंकि इस देश की 90 प्रतिशत धार्मिक रूप से अंधविश्वासी लोगों की धर्म और जाति के नाम पर दोहन भारतीय जनता पार्टी ही कर रही है। यह पार्टी धर्म और जाति के अलावे हिन्दू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद,अयोध्या,काशी और मथुरा में मस्जिदों को तोड़कर कथित तौर पर केवल जयश्रीराम के नाम पर केवल हिन्द़ुओं के लिए भव्य मंदिर बनाने के लिए बुरी तरह उद्यत है,अभी पिछले दिनों उत्तर प्रदेश का एक उपमुख्यमंत्री के पद पर आसीन व्यक्ति केशव प्रसाद मौर्य ने सार्वजनिक रूप से यह धार्मिक वैमनस्यता फैलाने वाला उत्तेजक बयान दिया कि 'अयोध्या-काशी में भव्य मंदिर का निर्माण जारी है,मथुरा की तैयारी है !
 

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        सबसे दुःख,अफसोस और खेद की बात यह है कि बीजेपी जैसी नफरत की बीज बोनेवाली पार्टी जो इस देश के 85 प्रतिशत तक जनसंख्या वाले दलितों,आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों की मूलभूत सुविधाओं और उनके अधिकारों को सरेआम पर कुतर रही हैं,उन 85 प्रतिशत बहुमत वाले दलितों,आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों के 65 प्रतिशत तक धार्मिक कूपमंडूक और बुद्धिहीन मूर्ख अभी भी कथित सबसे काबिल प्रधानमंत्री मोदी और मोदी ऐंड कंपनी सरकार के प्रबल समर्थक बने हुए हैं !सबसे दुःख,अफसोस और खेद की बात यह है कि 'अयोध्या-काशी में भव्य मंदिर का निर्माण जारी है,मथुरा की तैयारी है !'का बयान देनेवाला उत्तर प्रदेश का उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या खुद ही एक पिछड़ी जाति का व्यक्ति है,जिसकी भारतीय जनता पार्टी में बार -बार तिरस्कार और अपमान किया जाता है ! इस देश का प्रधानमंत्री बना नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी भी गुजरात के एक अत्यंत पिछड़ी जाति से  ही आता है,जिसका वह सार्वजनिक मंचों से भी कई बार घोषणा कर चुका है ! लेकिन केशव प्रसाद मौर्या और नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी जैसे सत्ता के टुकड़ों पर अपनी जमीर बेच देनेवाले ये विभीषण और जयचंदों की वजह से इस देश की 85 प्रतिशत की जनसंख्या वाली दलितों,आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों की जनता इस देश में तिल-तिलकर,घुट-घुटकर मर रही है और पशुवत तथा नारकीय जीवन जीने को अभिशापित है !
      इस देश की सबसे बड़ी बिडम्बना यह भी है कि यहाँ का सुप्रीमकोर्ट सब कुछ जानते-समझते हुए भी नख-सिख विहीन और किंकर्तव्यविमूढ़ क्यों बना बैठा रहता है ! जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान तक का सुप्रीमकोर्ट अपने संवैधानिक अधिकारों का सही समय पर भरपूर प्रयोग करने में जरा भी नहीं हिचकता ! उदाहरणार्थ पाकिस्तान के सुप्रीमकोर्ट ने पिछले वर्षों में अपने सत्तासीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा पेपर्स में अभियुक्त होने पर सीधा सत्ताच्युत करके जेल में डाल देनेवाला कठोरतम् कदम उठाने में जरा भी संकोच नहीं किया,जो अब वर्तमान समय में सऊदी अरब के जेद्दा शहर में शरणार्थी बनकर अपना शेष जीवन को असहाय होकर बिताने को अभिशप्त है ! अभी पिछले दिनों वर्तमान समय में पाकिस्तान में सत्तासीन प्रधानमंत्री पद पर बैठे  इमरान खान को उसकी की गई एक गलती पर वहाँ के सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीमकोर्ट बुलाकर सार्वजनिक रूप से उसकी गलती के लिए उसे जबर्दस्त डाँट पिलाई !
      उपर्युक्त उदाहरण से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पाकिस्तान जैसे देश की सुप्रीमकोर्ट अपनी संवैधानिक व मूलभूत अधिकारों का खुलकर उपयोग वहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था से विचलित हुए अपने देश के सत्ता के कर्णधारों को सही रास्ते पर लाने के लिए कर रही है ! जबकि भारत जैसे देश में यहाँ के वर्तमानसमय के सत्ता के यहाँ की आवाम,यहाँ की गरीब जनता,यहाँ के मजदूरों, किसानों आदि के प्रति बिल्कुल निरंकुश,बर्बर, अलोकतांत्रिक,क्रूर,अमानवीय,असहिष्णु हो रहे शाषकों पर यहाँ की सुप्रीमकोर्ट अपने स्वतः संज्ञान से और यहाँ तक कि आमजनहितैषी मानवाधिकारों की रक्षक संस्थाओं द्वारा अपील करने पर भी मूकदर्शक बनी बैठी रहती है ! या आमजनहितैषी मानवाधिकारों की रक्षक संस्थाओं या लोगों द्वारा अपील करने पर बेशर्मी

की हद पार करते हुए उन पर लाखों रूपयों का जुर्माना तक ठोक दे रही है ! इसका क्या मतलब निकाला जाय ?भारतीय सुप्रीमकोर्ट के जज इतने निस्तेज व अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति इतने असंवेदनशील और आम जनता के प्रति इतने अमानवीय,असहिष्णु व न्याय के प्रति इतनी बेरूखी क्यों दिखा रहे हैं ? इसका निःसंकोच और स्पष्ट रूप से यह कारण है कि यहाँ के सुप्रीमकोर्ट सहित देशभर के हाईकोर्ट्स के जजों के चयन और उनके स्थानांतरण में घोर अपादर्शिता और सरकारी कर्णधारों का अत्यधिक हस्तक्षेप करने का अधिकार है ! यह कहने में जरा भी गुरेज नहीं है कि आज देश के तमाम हाईकोर्ट्स सहित सुप्रीमकोर्ट के जज भी मोदी जैसे सत्ता के फॉसिस्ट व निरंकुश शासक से बेहद डरे हुए हैं ! इसलिए इस देश की छिजती लोकतांत्रिक व संवैधानिक व्यवस्थाओं के अधिकारों की बहाली के लिए यह बहुत जरूरी है कि कम से कम हाईकोर्ट्स और सुप्रीमकोर्ट के जजों की नियुक्तियों और उनके स्थानांतरण में सरकारी हस्तक्षेप बिल्कुल बन्द हो ! लोकसेवा आयोग के अधीन न्यायिक सेवा चयन आयोग के अधीन निष्पक्ष परीक्षा हो और उससे चयनित उम्मीदवारों को ही तमाम हाईकोर्ट्स और सुप्रीमकोर्ट में जज बनने का रास्ता प्रशस्त हो। अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तथा सिफारिशों पर आधारित भ्रष्ट कोलेजियम सिस्टम को तुरंत खतम किया जाय ।

-निर्मल कुमार शर्मा, ‘गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा पत्र-पत्रिकाओं में बेखौफ, निष्पृह,सशक्त व स्वतंत्र लेखन ‘, उप्र,

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