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तिब्बत की आजादी और भारत की सुरक्षा परस्पर पूरक

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 चीनी कब्जे वाले भारतीय भूभाग को मुक्त कराया जाए : अजय खरे

रीवा । भारत तिब्बत मैत्री संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय खरे ने कहा है कि भारतीय सीमाओं पर चीन की बढ़ती जा रही घुसपैठ काफी चिंताजनक बात है। इधर अरुणाचल प्रदेश में चीन ने दखलअंदाजी करते हुए 11 स्थानों के नाम भी बदल दिए हैं। चीन लंबे समय से भारत के भूगोल और इतिहास के साथ छेड़खानी कर रहा है। चीन को सबक सिखाया जाना बेहद जरूरी है। इस संबंध में तुरंत जबाबी कार्यवाही करते हुए हथियाए गए भारतीय भूभाग को चीनी चंगुल से मुक्त कराया जाना चाहिए। श्री खरे ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्य यह है कि भारत चीन का पड़ोसी देश नहीं है। आज भी भारत की उत्तरी सीमाएं चीन अधिकृत तिब्बत से मिलती हैं , न कि चीन से। यह ऐतिहासिक सच्चाई है कि इतिहास में तिब्बत कभी चीन का अंग नहीं था। जब भारत ब्रिटिश गुलामी का शिकार था उस दौर में तिब्बत आजाद था। दुनिया के स्वतंत्रता के पक्षधरों के लिए यह बात बहुत बड़ी चुनौती है कि आजादी की शताब्दी के उत्तरार्ध में तिब्बत को चीन के द्वारा गुलाम बना लिया गया और 21वीं सदी में भी वह गुलामी भुगत रहा है। सन 1959 में तिब्बत को चीन के द्वारा पूरी तरह हड़प लिए जाने के बाद वहां के प्रमुख परम पावन दलाई लामा को अपने हजारों अनुयायियों के साथ भारत आना पड़ा था। भारत ने अपना पड़ौसी धर्म निभाते हुए दलाई लामा जी और उनके साथ आए हुए हजारों तिब्बतियों को सम्मान पूर्वक स्थान दे रखा है। श्री खरे ने कहा कि तिब्बतियों को भारत में सुरक्षित रहने के लिए जगह देने के कारण सन 1962 में विस्तार वादी चीन ने भारत पर आक्रमण किया था , अचानक हुए विश्वासघाती आक्रमण के चलते भारत को हार का सामना करना पड़ा लेकिन हमारे वीर जवानों ने चीन का डटकर मुकाबला किया था। उस दौर में संसाधन कम होने के बावजूद चीनी आक्रमण का जवाब दिया गया था। लेकिन आज स्थिति यह है कि चीन जिन भारतीय इलाकों पर कब्जा कर रहा है या जिन्हें चिन्हित कर स्थानों का नाम भी बदल रहा है लेकिन सही ढंग से प्रतिकार नहीं हो रहा है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री खरे ने कहा कि कुछ समय पहले ही विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि चीन हमसे बड़ी अर्थव्यवस्था का देश है , उससे टकराव नहीं कर सकते। उनका यह बयान भारतीय संप्रभुता को लेकर अत्यंत गैर जिम्मेदाराना आपत्तिजनक बयान है। इस तरह की बयानबाजी के चलते विस्तारवादी चीन के गलत हौसले बढ़ते जा रहे हैं। जब चीन हमारी सीमा के अंदर घुस रहा है तो क्या हम राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की जगह सफेद झंडा लहराएंगे ? श्री खरे ने कहा कि चीन के विस्तार वादी रवैया पर हर हालत में लगाम लगना चाहिए और उसे मुंहतोड़ जवाब देते हुए अनाधिकृत तौर पर कब्जा किए गए भारतीय भूभाग को पूरी तरह मुक्त कराया जाना चाहिए। श्री खरे ने कहा कि अब समय आ गया है कि तिब्बत की आजादी की बात मुखरता से पूरी दुनिया में उठाई जानी चाहिए। तिब्बत की आजादी और भारत की सुरक्षा की बात परस्पर पूरक है।

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