श्रीधर बर्वे
नाथुलालजी अपनी राजनीतिक पार्टी के कोई 25 वर्षों से तन मन से सेवा करते रहे हैं।पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता से उठ कर अब वह क्षेत्र के अच्छे नेता बन गए। पिछले तीन चुनावो से वह विधायक बनने के लिए हाथ पैर मार रहे , हर बार पार्टी अध्यक्ष उन्हे अगली बार का आश्वासन दे कर समझा दिया करते थे।
इस बार भी उन्हें टिकट नहीं मिला, तो वो पार्टी अध्यक्ष से मिलने पहुंच गए ।
पार्टी अध्यक्ष को उन्होंने बताया कि मैं पिछले 25 वर्षो से पार्टी की सेवा करता आ रहा हूं। पार्टी की बैठकों में दरी बिछाने से लेकर भीड़ एकत्र करने और पार्टी सदस्यों की संख्या बढ़ाने तक सब तरह के काम किए हैं और इलाके में समर्थकों की संख्या भी बहुत
बड़ी है।
उन्होंने टिकट प्राप्ति के सारी योग्यताएं बतला दी।
अंत में उन्होंने पूछा कि मुझसे कम काबिल व्यक्ति को टिकट दे दिया, और मुझे क्यों नहीं मिला।
इस प्रश्न का उत्तर पार्टी अध्यक्ष ने देते हुए समझाया,हम आपके द्वारा कीगई पार्टी की सेवा का सम्मान करते हैं
, आपकी वरिष्ठता का भी सम्मान करते हैं, बस कुछ कमियों के कारण मजबूरी में पार्टी आपको उम्मीदवार नहीं बना सकी।
नाथुलालजी ने कमियां बतलाने का कहा।
अध्यक्ष ने , उत्तर दिया आप में विनेबिलिटी नहीं है।
नाथूलाल ने पूछा, यह विनेबिलिटी क्या होती है।
अध्यक्ष बोले, चुनाव जीतने की समर्थता।
पार्टी ने जिसे टिकट दिया है, उसमे चुनाव जीतने की क्षमता है।
नाथूलाल ने पूछा, कैसी क्षमता?
अध्यक्ष ने व्यवहारिक गणित समझाया, अरे भाई, तुम्हारे क्षेत्र में उम्मीदवार की जाती के 15 प्रतिशत मतदाता हैं
वो लगभग 2 प्रतिशत मतदाताओं को घर से नहीं निकलने देने की ताकत रखते हैं, 500 से एक हज़ार के लगभग फर्जी वोट डलवा सकते हैं। और इतने ही लोगों को हर प्रकार से प्रभावित कर वोट डलवा सकते हैं। ये सारी योग्यताएं , मुझे दुख है कि आप में नहीं हैं।
मैं फिर भी आप को आश्वस्त करता हूं कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो आपको किसी अच्छे लाभ के पद पर आसीन कर देंगे।