सुधा सिंह
हम अपने निर्धारित काम करते हैं, किन्तु काम को करते हुए भी बहुत सी फुरसत की घड़ियांँ मिलती हैं, यदि उनका उपयोग ठीक प्रकार किया जाए तो इस थोड़े-थोड़े समय से ही बहुत काम हो सकता है।
पार्लियामेंट के प्रमुख वक्ता एल हुवरिट का ओजस्वी भाषण सुनकर उसके भाई प्रभावित हुए और प्रशंसा करते हुए बोले- “हमारे कुटुम्ब में सबसे प्रतिभावान हुवरिट है। मुझे याद है कि जब हम लोग खेला करते थे, तब उस फुरसत के वक्त में वह अपना काम किया करता था।”
हेरेट बीचर स्टोव ने अपनी सर्वोत्तम कृति ‘टाम काका की कुटिया’ की रचना घर-गृहस्थी के झण्झटों के बीच फंँसे रहते हुए ही की है। भोजन की प्रतीक्षा में जितना समय लगता था, उतने ही क्षणों को नियमपूर्वक काम मे लाकर वीचर महोदय ने एक महाग्रंथ को पढ़ डाला।
महाशय लाँगफेलो ने चाय उबलने तक की फुरसत को काम में लाकर ‘इन करनो’ नामक ग्रंथ का अनुवाद कर डाला था। कवि वर्न्स खेती का काम करते थे, जब जहांँ मौका मिलता था, तो कविता करने लगते। उनकी अमर रचनाओं का बड़ा मान है।
महाकवि मिल्टन राज्य मंत्री था। उसे बड़ा काम रहता था, फिर भी उसने कुछ घड़ियांँ नित्य बचाकर ‘पैराडाइज लॉस्ट’ नामक महाकाव्य रच डाला। ईस्ट इंडिया हाउस में क्लर्की करते-करते जान स्टुअर्ट मिल ने अपना सर्वोत्तम ग्रंथ लिखा।
डॉक्टर गैलीलियो को अपने बीमारी की देखभाल में बड़ा सर पचाना पड़ता था, फिर भी वह कुछ समय बचाकर विज्ञान की शोध करता। अन्त में उसने ऐसे-ऐसे आविष्कार किया, जिसके लिए संसार सदा उनका कृतज्ञ रहेगा। माइकल फ्रेड नामक जिल्दसाज ने कुछ घण्टे बचाकर बड़ी-बड़ी वैज्ञानिक शोधें कर डाली। चार्ल्स फास्ट नामक चमार एक घण्टे प्रतिदिन अध्ययन करके अमेरिका का सर्वोपरि गणिताचार्य हो गया।
रोज थोड़ा-थोड़ा काम करने से कुछ ही दिनों में उसका आश्चर्यजनक परिणाम दिखाई देता है। प्रतिदिन एक घण्टा भी किसी काम के सीखने में लगाया जाए, तो मनुष्य उसमें बहुत उन्नति कर सकता है।
मिस्टर माजर्ट प्रतिक्षण कुछ न कुछ करते रहते थे। उन्होंने अपने मृत्यु शैया पर ‘रेक्यूयम’ नामक पुस्तक को लिखा। डॉक्टर मारसन गुड लन्दन में एक बीमार को देखने गए। रास्ते में उन्होंने ‘लुक्रेशियस’ का अनुवाद कर डाला। हेनरी क्रिक व्हाइट ने दफ्तर आने-जाने के समय में ग्रीक भाषा सीखी थी और डॉक्टर वर्ने ने इटालियन और फ्रेंच भाषाओं को घोड़े की पीठ पर पढ़ा था।
समय जैसी अमूल्य वस्तु दुनियाँ में और कोई नहीं हो सकती। जॉर्ज स्टीफनसन कहते हैं -” फुरसत के वक्त को मैं सुवर्ण समझता हूँ और उसे कभी व्यर्थ नहीं जाने देता।”
सिसरों कहता था-” जिस समय को अन्य व्यक्ति दिखावे तथा आराम में खर्च करते हैं, उसे ही मैं तत्व ज्ञान के अध्ययन में लगाता हूंँ।” इटली के एक विद्वान ने अपने दरवाजे पर लिख रखा था -“जो यहांँ आवे, वह मेरे काम में मदद करे।” जान एड्यस का समय जब कोई नष्ट करता था, तो उसे बड़ा बुरा लगता था। ह्वीटियर कहता है -“आज के दिन में हमारा भविष्य छिपा हुआ है। आज का दिन नष्ट करने का अर्थ है, अपने भाग्य को कुचलना।”
समय ही सम्पत्ति है। सच बात तो यह है कि पैसे की अपेक्षा समय कहीं अधिक मूल्यवान है। समय को बर्बाद करने के मायने हैं शक्ति को नष्ट करना, योग्यता को नष्ट करना, सौभाग्य को नष्ट करना और अपना लोक परलोक नष्ट करना।
समझदार व्यक्ति फुरसत के समय के छोटे-छोटे टुकड़ों को बचाकर महान बन जाते हैं, किन्तु उन्हें यूँ ही लापरवाही में उड़ा देने वाले अपनी असफलता पर रोते हैं और भाग्य को कोसते हैं। समय मित्र के वेश में हमारे सम्मुख उपस्थित होता है और ईश्वर की भेजी हुई बहुमूल्य नियामतें हमारे लिए लाता है, किन्तु जब हम उसका उचित आदर नहीं करते, तो उल्टे पाँव लौट जाता है।