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वक्त का हर शै पर राज…:अख्तर की कहानी, संवाद, साहिर के गाने, रवि का संगीत और बाकी का कमाल यश चोपड़ा का…

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वक्त

कलाकार

सुनील दत्त , राज कुमार , शशि कपूर , साधना , शर्मिला टैगोर , बलराज साहनी , अचला सचदेव और रहमान और मदन पुरी आदि

लेखक

अख्तर मिर्जा और अख्तर उल इमान

निर्देशक

यश चोपड़ा

निर्माता

बी आर चोपड़ा

रिलीज

30 जुलाई 1965

रेटिंग

4/5पता नहीं आपको मालूम है कि नहीं लेकिन साल 1965 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी पिक्चर ‘वक़्त’ की मलयालम रीमेक साल 1981 में ‘कोलिलाक्कम’ के नाम से जब बननी शुरू हुई तो फिल्म में उन दिनों मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार जयन भी काम कर रहे थे। फिल्म के क्लाइमेक्स की शूटिंग में वह हेलीकॉप्टर की रेलिंग पकड़कर खड़े हुए और तभी हेलीकॉप्टर का बैलेंस बिगड़ गया। हेलीकॉप्टर जमीन में टकराकर टुकड़े टुकड़े हो गया और जयन की भी इस सीन की शूटिंग के दौरान दर्दनाक मौत हो गई। वक्त के दिन और रात, वक्त का हर शै पर राज…

Bioscope with Pankaj Shukla for movie waqt released on July 30 in 1965 Sunil Dutt Raaj Kumar Sadhana Sharmila

यहां मां विजय के पास है..

मलयालम में ‘कोलिलाक्कम’ कहते हैं भूकंप को। और, फिल्म ‘वक्त’ की कहानी का ट्रिगर प्वाइंट ही भूकंप है। भूकंप में हुई तबाही से बिछड़े परिवार के क्लाइमेक्स में मिलने की कहानी है फिल्म ‘वक्त’। बिछड़ने और मिलने का फॉर्मूला किसी भारतीय फिल्म में इससे पहले अशोक कुमार की फिल्म ‘किस्मत’ में ही दिखा था लेकिन यहां निर्देशक यश चोपड़ा ने ‘लॉस्ट एंड फाउंड’ को ऐसा फार्मूला बना दिया जो आगे चलकर ताहिर हुसैन की फिल्म ‘यादों की बारात’ औऱ मनमोहन देसाई की फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ का स्टार्टिंग प्वाइंट बना। ‘मदर इंडिया’ के बाद हिंदी सिनेमा की ये पहली फिल्म थी जिसमें इतने सितारे एक साथ दिखे। भारतीय सिनेमा में फिल्म ‘वक्त’ को मल्टीस्टारर मसाला फिल्मों की मां माना जाता है। वैसे यश चोपड़ा की फिल्म ‘दीवार’ की तरह यहां भी मां शशि कपूर के पास ही होती है, बस फर्क इतना है कि यहां विजय नाम खुद शशि कपूर का है।

Bioscope with Pankaj Shukla for movie waqt released on July 30 in 1965 Sunil Dutt Raaj Kumar Sadhana Sharmila

जब धर्मेंद्र ने ठुकराई यश चोपड़ा की फिल्म

किसी मल्टीस्टारर फिल्म का मतलब इन दिनों एक से ज्यादा हीरो या एक से ज्यादा हीरोइन भर से होता है, लेकिन फिल्म ‘वक्त’ में तो सितारों की पूरी बारात है। तो चलिए आगे बढ़ने से पहले गिनती करते चलते हैं। बलराज साहनी, सुनील दत्त, साधना, राजकुमार, शशि कपूर, शर्मिला टैगोर, अचला सचदेव, रहमान, मदन पुरी, मनमोहन कृष्ण, लीला चिटनिस, जीवन, सुरेंद्र नाथ, सुमति गुप्ते, शशिकला, हरि शिवदासानी, मोतीलाल, मुबारक, जगदीश राज, सुरेंद्र राही और बद्री प्रसाद। देखा आपने, सिर्फ नाम लिखते लिखते हम चौथी लाइन में आ गए। इनके किरदारों का विस्तार देखने के लिए तो आपको फिल्म ही देखनी पड़ेगी, लेकिन इस लिस्ट में धर्मेंद्र का नाम नहीं है तो बस उनकी मर्जी से। निर्देशक यश चोपड़ा ने फिल्म में राजा का किरदार पहले धर्मेंद्र को ही ऑफर किया था लेकिन वह बड़ा भाई नहीं बनना चाहते थे। यही किरदार फिल्म में राजकुमार ने किया है। हालांकि, ‘वक्त’ के तुरंत बाद बनी यश चोपड़ा की फिल्म ‘आदमी और इंसान’ में काम करने को धर्मेंद्र ने जरूर हामी भर दी।

Bioscope with Pankaj Shukla for movie waqt released on July 30 in 1965 Sunil Dutt Raaj Kumar Sadhana Sharmila

एक साथ पांच फिल्मफेयर अवार्ड

फिल्म ‘वक्त’ एक तरह से किस्मत के हाथों खेला गया असली सा लगने वाला स्क्रीनप्ले है। फिल्म को लिखने के लिए इसके निर्माता बी आर चोपड़ा ने उस वक्त के सबसे काबिल कारिंदों को लगाया। इनमें शामिल थे बिजनौर में जन्मे मशहूर शायर व राइटर अख्तर उल इमान और सईद मिर्जा व अजीज मिर्जा जैसे मशहूर फिल्म डायरेक्टर्स के पिता अख्तर मिर्जा। अख्तर एंड अख्तर कंपनी ने मिलकर जो कमाल की लाइनें और कमाल के सीन फिल्म के लिए गढ़े, उन्होंने दोनों को फिल्म फेयर अवार्ड भी दिलवाए। फिल्म को कुल पांच फिल्मफेयर अवार्ड मिले, बाकी तीन में, एक तो बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड मिला यश चोपड़ा को, दूसरा बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड मिला राज कुमार को और तीसरा बेस्ट सिनेमैटोग्राफर का अवार्ड मिला बी आर चोपड़ा व यश चोपड़ा के भाई धर्म चोपड़ा को।

Bioscope with Pankaj Shukla for movie waqt released on July 30 in 1965 Sunil Dutt Raaj Kumar Sadhana Sharmila

फैशन सिखाने की बनी पाठशाला

फिल्म में साधना के अलावा शर्मिला टैगोर भी थीं और दोनों ने पिछली सदी के सातवें दशक का फैशन स्टेटमेंट इस फिल्म से तैयार कर दिया। फिल्म गांधी के लिए बेस्ट कॉस्ट्यूम का ऑस्कर अवार्ड जीतने वाली भानु अथैया ने इस फिल्म में जी तोड़ मेहनत की थी। बी आर फिल्म्स की ये पहली कलर फिल्म थी तो उन्हें खास सावधानी भी बरतनी थी और साधना उस समय अपने करियर के बेहतरीन दौर से गुजर रही थीं। भानु ने फिल्म के लिए चुस्त कुर्ती और सलवार के साथ साथ साड़ी के भी खास पैटर्न तैयार किए। बड़े घरों की बहू बेटियों ने न जाने कितने टिकट इस फिल्म के अपने दर्जियों के लिए, सिर्फ इसका फैशन दिखाने के लिए खरीदे। हिंदी सिनेमा देखने वालों के लिए ये सब बिल्कुल नया था और फिल्म का वह स्विमसूट वाला सीन, उसके बारे में तो तब कोई सोच भी नहीं सकता था।

Bioscope with Pankaj Shukla for movie waqt released on July 30 in 1965 Sunil Dutt Raaj Kumar Sadhana Sharmila

यश चोपड़ा की खास निगाह का राज

यश चोपड़ा का परदे पर कहानी कहने का तरीका शुरू से लार्जर दैन लाइफ रहा। उनकी खासियत यह रही कि वह दर्शक की अपेक्षाओं और उनकी संवेदनाओं को अपने साथ जोड़कर चलते थे। वह फिल्म दर्शक की निगाह से बनाते थे और उसे देखते निर्देशक की नजर से थे। इस एक सूत्र से यश चोपड़ा जब भी चूके उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी, फिर चाहे वह फिल्म श्रीदेवी की ‘लम्हे’ रही हो या अमिताभ बच्चन की ‘सिलसिला’। इस पर विस्तार से चर्चा मैं अगले महीने ‘सिलसिला’ के बाइस्कोप में करूंगा। अपने इस खास तरीके में यश चोपड़ा अक्सर ऐसी बातों को भी फिल्मों का हिस्सा बना देते थे जो अलग से सोचने में भले वाहियात लगें लेकिन जब वह फिल्म की कहानी का हिस्सा होती थीं तो सही भी लगती थीं।

Bioscope with Pankaj Shukla for movie waqt released on July 30 in 1965 Sunil Dutt Raaj Kumar Sadhana Sharmila

चाकू बच्चों के खेलने की चीज नहीं..

‘वक़्त’ में ही अगर देखें तो पूरी फिल्म में मदन पुरी को देख ये समझ नहीं आता कि वह वाकई घर से किसी का खून करने निकले हैं या फिर पार्टी करने। बात बात पर चाकू निकाल लेने वाले इस किरदार से पूरी फिल्म कुछ नहीं हो पाता। हां, ये किरदार राजकुमार के उस मशहूर डॉयलॉग का सबब जरूर बन जाता है कि, ‘चाकू बच्चों के खेलने की चीज नहीं। हाथ कट जाए तो खून निकल आता है।’ और ये लाइन इतनी सधी आवाज में राजकुमार के अलावा दूसरा कोई बोल भी नहीं सकता। फिल्म ‘वक्त’ में सब कुछ है, स्टाइल है, मोहब्बत है, किस्मत है, कड़वाहट है, परिवार है, विछोह है, पर्वतों पर पलने वाला प्यार भी है और अलमारी में छुपी लाश भी।

Bioscope with Pankaj Shukla for movie waqt released on July 30 in 1965 Sunil Dutt Raaj Kumar Sadhana Sharmila

रफी, मन्ना डे, महेंद्र के सुरों की आशा

‘वक़्त’ का संगीत अपने जमाने का बेहतरीन संगीत रहा और आज भी जब ये कानों में पड़ता है तो मिश्री सी घोल देता है। बड़ी उम्र के रोमांस का मन्ना डे का गाया गाना ‘ए मेरी जोहरा जबीं तुझे मालूम नहीं’ पर बलराज साहनी का बलखाना और अचला सचदेव का शर्माना भला किसी याद न होगा। मोहम्मद रफी का गाया ‘वक़्त के दिन और रात’, आशा भोसले का गाया ‘कौन आया जो निगाहों में चमक जाग उठी’ और महेंद्र कपूर के साथ का उनका दोगाना ‘हम जब सिमट के आपकी बाहों में आ गए’ कालजयी गाने भी हैं और बाद की पीढ़ियों के गीतकारों के लिए सबक भी। इन गानों में साहिर ये भी बताते हैं कि गाने लिखने के लिए जिंदगी जीना जरूरी है। फिल्म के निर्माता बी आर चोपड़ा चाहते थे कि उस वक्त के नंबर वन संगीतकार शंकर जयकिशन इस फिल्म का संगीत विभाग संभाले लेकिन उनकी शर्त थी कि वह अपनी पसंद के गीतकार के साथ ही काम करेंगे। लिहाजा साहिर तो फिल्म में रहे पर संगीतकार रवि आ गए।

Bioscope with Pankaj Shukla for movie waqt released on July 30 in 1965 Sunil Dutt Raaj Kumar Sadhana Sharmila

बी आर फिल्म्स की अनमोल धरोहर

देश के तमाम सिनेमाघरों में लगातार 50 हफ्ते तक चलने वाली फिल्म ‘वक़्त’ अपने कमाल के निर्देशन के साथ साथ अपने सितारों खासकर राज कुमार, सुनील दत्त, रहमान और बलराज साहनी के अभिनय के लिए याद की जाती है। साधना ने फिल्म की कहानी को हर बार परदे पर आकर एक नया ट्विस्ट देने में कामयाबी पाई। मिस्टर और मिसेज मित्तल यानी मनमोहन कृष्ण और लीला चिटनिस का तो कहना ही क्या, उनके तो आसपास का माहौल ही सीन को अलग आभा देने में सफल रहता है। और चिनॉय सेठ के किरदार में रहमान के अलावा किसी दूसरे की कल्पना करना भी मुश्किल है। फिल्म ‘वक्त’ की कहानी जब पहली बार बी आर चोपड़ा ने सुनी तो उनके दिमाग में तुरंत पृथ्वीराज कपूर और उनके तीनों बेटों राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर के चेहरे घूम गए थे। उन्होंने इस बारे में अपने करीबियों से चर्चा भी की लेकिन सबका कहना यही रहा कि कपूर खानदान के लोग उस तरह के किरदारों में जमेंगे नहीं जैसी बुनावट इस कहानी के किरदारों की है। बी आर फिल्म्स की फिल्म ‘वक्त’ एक ऐसी कालजयी अनमोल कृति है जिसने सिनेमा के जरिए सामाजिक मुद्दों पर चोट करना और मनोरंजन के जरिए समाज के लिए जरूरी बात कहने के चलन को खूब अच्छे से पाला पोसा। ये पूरी फिल्म आप यूट्यूब पर एनएच स्टूडियोज के चैनल पर देख सकते हैं।

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