सुसंस्कृति परिहार
भाजपा के लिए सुकूनभरी ख़बर ये है कि उत्तराखंड से इस बार उन्हें उन्हें जो मुखिया मिला है वह अब तक के विभिन्न भाजपा शासित प्रदेश के मुख्यमंत्रियों में सबसे ज्यादा प्रभावी व्यक्तित्व का धनी और पार्टी लाइन पर चलने वाला है। मानना पड़ेगा संघ की शिक्षा दीक्षाओं को।योगी जी हों या शिवराज उन्हें तीरथ जी से सीखना होगा। बहरहाल ये संघ का मामला है और उसे ही इस बारे में सोचना होगा। उत्तराखंड के नए नवेले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आने वाली नस्लें राम और कृष्ण की तरह पूजेंगी, तो वहीं हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री ने कहा है कि मोदी शिव के अवतार हैं. अब इन्हीं बयानों पर घमासान मचा है. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के बयान पर कांग्रेस ने टिप्पणी की है कि सनातन को साधने वालों का उन्होंने अपमान किया है।अब कांग्रेस का क्या हक बनता है कि वे इन बातों से नाराज़ होऔर धर्म का अपमान कहने लगे । लोगों की अपनी अपनी दृष्टि है वे राम कहें या शिव। कांग्रेस भी तो सोनिया जी को देवी के रूप में प्रर्दशित कर चुकी हैं।अपनी अपनी नज़रों का खेल है यह सब। आखिरकार मानव ने ही देवत्व प्राप्त किया है।यह हमारी संस्कृति है ।तीरथ जी भारतीय संस्कृति को बारीकी से पढ़े हैं इसीलिए इस गूढ़ सच को सार्वजनिक तौर पर उद्घाटित कर देते हैं।उमा भारती जी के ब्रह्मा विष्णु महेश अटल, अडवाणी और वैंकेया आपको याद होंगे ही।यह परम्परा सनातन है लोग भूल रहे थे ।तीरथ जी महान है जिन्होंने हमें पुरातन से जोड़ने का सद्प्रयास किया । हाल ही में अपने एक बयान को लेकर तीरथ जी फिर चर्चा में आ गए हैं. मंगलवार को देहादून में बाल अधिकारों की सुरक्षा को लेकर उत्तराखंड राज्य आयोग ने एक वर्कशॉप का आयोजन किया था. इसी दौरान उन्होंने एक बयान में महिलाओं के फटी जींस पहनने को लेकर टिप्पणी की और कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ऐसी महिलाएं घर पर अपने बच्चों को सही माहौल दे सकती हैं.
उन्होंने कहा कि वो एक एनजीओ चलाने वाली महिला को फटी हुई जींस पहने हुए देखकर हैरान थे और इस बात को लेकर चिंता में थे कि वो समाज में किस तरह की मिसाल पेश कर रही थी. उन्होंने कहा, ‘अगर इस तरह की महिला समाज में लोगों से मिलने जाएगी, उनकी समस्या सुनने जाएगी, तो हम अपने समाज, अपने बच्चों को किस तरह की शिक्षा दे रहे हैं? यह सब कुछ घर से शुरू होता है. हम जो करते हैं बच्चे वही सीखते हैं. अगर बच्चे को घर पर सही संस्कृति सिखाई जाती है तो वो चाहे कितना भी मॉडर्न बन जाए, कभी जिंदगी में फेल नहीं होगा.’
उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां पश्चिम के देश भारत के योग और अपने तन को ढंकने की परंपरा को देखते हैं, वहीं ‘हम नग्नता के पीछे भागते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘कैंची से संस्कार- घुटने दिखाना, फटी हुई डेनिम पहनना और अमीर बच्चों जैसे दिखना- ये सारे मूल्य बच्चों को सिखाए जा रहे हैं. अगर घर से नहीं आ रहा है, तो कहां से आ रहा है? इसमें स्कूल और टीचरों की क्या गलती है? मैं फटी हुई जींस में, घुटना दिखा रहे अपने बेटे को लेकर कहां जा रहा हूं? लड़कियां भी कम नहीं हैं, घुटने दिखा रही हैं, क्या ये अच्छी बात है?’
इसमें संदेह नहीं होना चाहिए कि माननीय की नज़र वस्त्रों से स्त्री के घुटनों तक पहुंच गई वहां किसी की भी जा सकती है ।और तीरथ जी नहीं चाहते स्त्री के देह को इस तरह देखा जाए ।क्योंकि उसके देखने के तौर तरीके अलग है। हां, कुछ स्त्रियों के लिए पूरी छूट है।यह विभाजक रेखा सभ्य,सुसंस्कारी स्त्रियों को एक अलग खाने में रखती है और धंधे वाली महिलाओं को अलग। कहने का मतलब यह कि महिलाओं की पोशाक या पहनावे का भी ख्याल रखना होगा। अच्छा हो तमाम देश की महिलाओं के लिए एक नियत पोशाक तय कर दी जाए और विभाजक रेखा ख़त्म हो । लेकिन यह क्या संभव होगा नहीं हरगिज़ नहीं ।दोष दृष्टि का है कपड़ों का नहीं।सवाल तो साहिबों का यही है दृष्टि है तो देखेंगे ही है ।बचा सको तो बचा लो।तीरथ जी का ख्याल एकदम दुरुस्त है ।सच्चे भारतीय संस्कृति के उपासक के ये उद्गार उन्हें महान बनाते हैं ।
अभी जुम्मा जुम्मा चंद रोज़ ही उनकी सियासत के सामने आए हैं वे इतिहास पुरुष बनने की तैयारी में हैं । मनुस्मृति की इच्छाएं उनके अन्तरमन से झरने लगीं हैं उम्मीद तो यही है कि मोदी जी के बाद एक अव्वल दर्जे का मुख्यमंत्री उत्तराखंड को मिला है वह भारतखंड को सुशोभित करने का माद्दा रखता है । आखिरकार क्यों ना हो वे1983से1988तक संघ के प्रचारक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उत्तराखंड के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री का तज़ुर्बा रखते हैं ।तभी तो उनकी ताजपोशी यकायक आश्चर्यजनक रुप से की गई ।बेशक वे संघ की प्रा्वीण्य सूची में भी अव्वल दर्जे के हैं ।