नई दिल्ली
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है। सदन में सरकार को घेरने की रणनीति बनाने के लिए कांग्रेस ने सोमवार को ही विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई है। लेकिन टीएमसी इस बैठक में शामिल नहीं होगी। टीएमसी के वरिष्ठ नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने रविवार को साफ कर दिया कि उनकी पार्टी मल्लिकार्जुन खड़गे की बुलाई विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं होगी। इसके साथ ही, टीएमसी ने 2024 को ‘मोदी बनाम ममता’ बनाने के लिए ‘ममता बनाम सोनिया’ का एक तरह से शंखनाद कर दिया है।
विपक्षी पार्टियों की सोमवार को होने वाली मीटिंग राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुलाई है। इसका मकसद संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों में आम राय बनाने की कोशिश है। खड़गे ने कहा, ’29 नवंबर को कांग्रेस दफ्तर में सुबह पौने 10 बजे होने वाली मीटिंग के लिए सभी विपक्षी दलों को न्योता दिया गया है। इसमें आगामी सत्र को लेकर रणनीति पर चर्चा होगी।’
शनिवार को ही मिल गए थे संकेत
टीएमसी के एक नेता ने शनिवार को ही बताया था कि पार्टी की इसमें बिल्कुल भी रुचि नहीं है कि संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस के साथ तालमेल करे। हालांकि, साथ में उन्होंने यह भी कहा कि टीएमसी जनहित के मुद्दों पर अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर तालमेल बनाएगी। टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘हमें विंटर सेशन के दौरान कांग्रेस के साथ तालमेल बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। कांग्रेस नेताओं को सबसे पहले अपनी पार्टी के भीतर ही तालमेल बनाना चाहिए। पहले उन्हें अपना घर दुरुस्त करना चाहिए और इसके बाद दूसरों के साथ समन्वय के बारे में सोचना चाहिए। उनके नेताओं में भगवा कैंप से टक्कर लेने का जज्बा नहीं है।’
दिल्ली आईं थीं दीदी लेकिन सोनिया से नहीं मिलीं
ममता बनर्जी टीएमसी के आक्रामक विस्तार के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर खुद को बीजेपी और नरेंद्र मोदी के मजबूत विकल्प के तौर पर पेश करने के मिशन में जुटी हैं। ममता बनर्जी इसी हफ्ते जब दिल्ली के दो दिवसीय दौरे पर आईं तब उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं की। इसके बारे में पूछे जाने पर ममता ने कहा था कि क्या हर बार सोनिया से मिलना जरूरी है, संविधान में तो ऐसा नहीं लिखा गया। दरअसल, ममता बनर्जी को अच्छे से पता है कि अगर 2024 को ‘मोदी बनाम ममता’ के तौर पर पेश करना है तो उसका रास्ता पहले ‘ममता बनाम सोनिया’ से होकर जाएगा। अब ममता उसी राह में बढ़ चुकी हैं। तभी तो दिल्ली दौरे के दरम्यान ही मेघालय में कांग्रेस के 17 विधायकों में से 12 को तोड़ लिया। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी शामिल थे।
कांग्रेस के एक तबके में टीएमसी के खिलाफ आक्रोश
कांग्रेस में तोड़फोड़ से पार्टी के एक तबके में टीएमसी के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। मेघालय में कांग्रेस को तोड़े जाने पर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे अधीर रंजन चौधरी ने बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया दी। मामला सोनिया गांधी की बुलाई कांग्रेस नेताओं की बैठक में भी उठा। बताया जाता है कि बैठक में अधीर रंजन समेत कांग्रेस के कुछ नेताओं ने शीतकालीन सत्र में टीएमसी को साथ न लेने की दलील दी। लेकिन सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी के मामले अपनी जगह, संसद में जनहित और देशहित सबसे ऊपर है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी टीएमसी समेत सभी विपक्षी पार्टियों को साथ लेने की वकालत की। हालांकि, अब टीएमसी ने कांग्रेस की बुलाई बैठक का एक तरह से बहिष्कार का ऐलान करके ‘ममता बनाम सोनिया’ के नए सियासी युद्ध पर मुहर लगा दी है।