भोपाल। राजधानी में जमीनों के कारोबार व अनुमतियों में बड़ा खेल सामने आने के बाद नगर तथा ग्राम निवेश अफसरों के प्रोजेक्ट सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट की अनुमति स्थगित कर दी गई है और निर्माण पर भी पाबंदी लगा दी है। गौरतलब है कि सेवनिया गोंड़ में यह प्रोजेक्ट किया जा रहा है। यह लो डेंसिटी एरिया में आता है। यहां काफी कम निर्माण किया जा सकता है। लेकिन रसूखदारों की छत्रछाया में यहां बड़े-बड़े निर्माण किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार नगर तथा ग्राम निवेश ने कुणाल बिल्डर्स एंड डेवलपर्स द्वारा शपथ पत्र में जानकारी छुपाने और नोटिस दिए जाने के बाद भी सुनवाई के लिए उपस्थित न होने के आधार पर ग्राम सेवनियां गौड़ के सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट की अनुमति स्थगित की है। शपथ पत्र में यह बताया गया कि 31.77 हेक्टेयर भूमि का कोई अंश न तो विक्रय किया गया है, न ही किसी वित्तीय संस्था या अन्य किसी भी रूप में बंधक रखा गया है, जबकि, विकास अनुज्ञा पूर्व भूमि का अंश काम विक्रय किया गया था। बता दें कि आयकर विभाग ने बिल्डर राजेश शर्मा के विरुद्ध छापेमार कार्रवाई की थी, जिसमें भूमि में निवेश के कई दस्तावेज सामने आए हैं। शर्मा मेसर्स सेंट्रल इंफ्रा भागीदारी फर्म में भागीदार हैं। प्रोजेक्ट को जहां अनुमति दी गई, वह बड़े तालाब के कैचमेंट से लगी हुई है। इसको लेकर शिकायतें हुईं।
500 करोड़ के टैक्स चोरी की आशंका
तीन बिल्डरों के यहां पिछले सप्ताह आयकर छापे में बड़ी राशि की अघोषित संपत्तियां मिली हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिन तीन बिल्डरों और उनके सहयोगियों के यहां आयकर छापा पड़ा था, उनका एक वर्ष का टर्नओवर कागजों में मात्र 50 करोड़ रुपये है, जबकि दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच में इसके 10 गुना यानी 500 करोड़ तक आयकर चोरी का अनुमान आयकर विभाग ने अभी लमाया है। हालांकि, अंतिम मूल्यांकन होना बाकी है। बता दें कि बिल्डरों ने भोपाल में ही शहर से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों में 50 करोड़ रुपये से भी अधिक नकद राशि से जमीन खरीदी थी। भोपाल में नर्मदापुरम रोड स्थित सहारा सिटी में भी 110 एकड़ जमीन के दस्तावेज मिले हैं। आगे पूछताछ में कुछ और संपत्तियों का पता चल सकता है। आयकर विभाग त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के संचालक राजेश शर्मा के ड्राइवर, अकाउंटेंट व अन्य कर्मचारियों से पूछताछ करने की तैयारी कर रहा है। बिल्डर राजेश शर्मा को एक पूर्व मुख्य सचिव का करीबी बताया जाता है। अब ग्वालियर में पदस्थ एक आईएएस अधिकारी का जुड़ाव भी बिल्डरों से मिला है। दरअसल, जिनके यहां छापा पड़ा है उनमें कुछ रायपुर (छत्तीसगढ़) के एक कारोबारी से जुड़े हैं। उसने जमीन व कंपनियों में बड़ा निवेश किया है। इस व्यापारी से ग्वालियर में एक प्रदेश स्तरीय कार्यालय में पदस्थ आइएएस अधिकारी का जुड़ाव भी मिला है। संपत्ति की जानकारी मिली तो इनसे भी पूछताछ की जाएगी। छत्तीसगढ़ के कुछ अधिकारी भी उसके संपर्क में हैं।
कांग्रेस ने पूर्व सीएस पर लगाए हैं गंभीर आरोप
विधानसभा में उपनेता हेमंत कटारे ने पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बिल्डर से भूमि खरीदी। बैंस ने भूमि खरीदना तो स्वीकार किया पर इसे एक वर्ष के भीतर 2012 में बेच दिया। नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय में हुई शिकायत पर जब कुणाल बिल्डर्स को कारण बताओ नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया तो उसके द्वारा आठ मई 2024 को समक्ष में सुनवाई का अवसर चाहा। इस पर 17 मई 2024 को दोपहर तीन बजे सुनवाई के लिए अवसर दिया गया पर वे नहीं आए। इससे प्रकरण में यह स्पष्ट हो चुका है कि उस भूमि पर निम्न घनत्व आवासीय भूखंडीय विकास के लिए जारी विकास अनुज्ञा के पहले भूमि में से आधे भाग का विक्रय किया गया है। इस आधार पर अनुज्ञा को स्थगित करने के साथ भूमि पर किसी भी प्रकार के विकास या निर्माण को प्रतिबंधित कर दिया है।
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